मंदिर में एक मूरत देखी ऐसी बिल्कुल लगती मईया तेरे जैसी

जब भक्त मंदिर में माँ की मूर्ति के दर्शन करता है, तो उसकी आत्मा श्रद्धा और भक्ति से भर जाती है। मंदिर में एक मूरत देखी ऐसी बिल्कुल लगती मैया तेरे जैसी भजन इसी दिव्य अनुभूति को प्रकट करता है, जहाँ भक्त माँ की मूर्ति में उनकी सजीव उपस्थिति का एहसास करता है। आइए, इस भजन के माध्यम से माँ के अनुपम सौंदर्य और उनकी कृपा का गुणगान करें।

Mandir Me Ek Murat Dekhi Aisi Bilkul Lagti

मंदिर में एक मूरत देखी ऐसी,
बिल्कुल लगती मईया तेरे जैसी।1।

अपने पास बुलाकर मुझको,
गोदी में बिठाया,
हाथ फिराया सर पे मेरे,
बड़े प्रेम से खिलाया,
जैसे खिलाती हो तुम हलवा देसी,
बिल्कुल लगती मईया तेरे जैसी।2।

मेरे मन को भा गई है,
तेरी सूरत भोली,
हर पल तेरे संग रहूंगी,
मईया मुझ से बोली,
मेरे रहते तुमको चिंता कैसी,
बिल्कुल लगती मईया तेरे जैसी।3।

जहाँ भी जाता मंदिर में माँ,
वही मुझे मिल जाती,
कभी इशारा करके बुलाती,
और कभी मुस्काती,
मुझको बिल्कुल न लगती परदेसी,
बिल्कुल लगती मईया तेरे जैसी।4।

जैसे मैं तेरी माँ वैसे,
वो सारे जग की माँ है,
‘श्याम’ कहे उसके वश में,
ये धरती आसमा है,
शक्ति नहीं कोई वो ऐसी वैसी,
बिल्कुल लगती मईया तेरे जैसी।5।

मंदिर में एक मूरत देखी ऐसी,
बिल्कुल लगती मईया तेरे जैसी।6।

माँ की मूर्ति केवल पत्थर नहीं होती, बल्कि उसमें भक्तों की आस्था और माँ की कृपा समाहित होती है। मंदिर में एक मूरत देखी ऐसी बिल्कुल लगती मैया तेरे जैसी भजन माँ की इसी दिव्यता का दर्शन कराता है। यदि यह भजन आपको माँ की अलौकिक छवि का अनुभव कराता है, तो “आया हूँ मैया दर पे तुम्हारे तुमसे मिलने को” भजन भी अवश्य करे, जिसमें भक्त माँ के दरबार में आकर उनके साक्षात दर्शन की अनुभूति करता है।

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