मन प्राण बुद्धि हो प्रबल चित्त विमल कर दे शारदे

मन प्राण बुद्धि हो प्रबल चित्त विमल कर दे शारदे भजन माँ शारदा की महिमा को बयां करता है। इस भजन में भक्त अपनी श्रद्धा और भक्ति के साथ माँ शारदा से अपने मन, प्राण, बुद्धि और चित्त को शुद्ध करने की प्रार्थना करता है। माँ शारदा, जो ज्ञान, विद्या, और बुद्धि की देवी हैं, उनकी कृपा से भक्त अपने मन और विचारों को शुद्ध करता है, ताकि उसकी सोच, कार्य और जीवन के हर पहलू में प्रगति हो।

Man Pran Buddhi Ho Prabal Chitt Vimal Kar De Sharde

मन प्राण बुद्धि हो प्रबल,
चित्त विमल कर दे शारदे,
उठे मन में उद्रेक सात्विक,
उद्दात भाव का सार दे।।

हे ज्ञानेश्वरी हे योगेश्वरी,
माँ सरस्वती वागेश्वरी,
निपट मूर्ख ये दास तेरा,
ज्ञान ज्योति का संचार दे,
मन प्राण बुद्धि हों प्रबल,
चित्त विमल कर दे शारदे।।

श्वेतवर्णी कमल आसिनी,
हंस वाहिनी ज्ञान दायिनी,
सुदृढ़ हो हर कर्म लक्ष मेरा,
ऐसा संकल्पित विचार दे,
मन प्राण बुद्धि हों प्रबल,
चित्त विमल कर दे शारदे।।

मन प्राण बुद्धि हो प्रबल,
चित्त विमल कर दे शारदे,
उठे मन में उद्रेक सात्विक,
उद्दात भाव का सार दे।।

गायक – रूपेश चौधरी।
लेखक – निशान्त झा “बटोही”।

“मन प्राण बुद्धि हो प्रबल चित्त विमल कर दे शारदे” भजन एक सुंदर उपासना है जो हमें यह याद दिलाती है कि ज्ञान और बुद्धि की देवी माँ शारदा ही हमें सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं। इस भजन के माध्यम से हम माँ शारदा की महिमा को नमन करते हैं और उनकी कृपा से अपने जीवन को बेहतर बनाने की कामना करते हैं। अन्य देवी दुर्गा के भजनों के जैसे “है सुखी मेरा परिवार माँ तेरे कारण” और “कर सिंघ सवारी माई लगे प्यारी”, इस भजन में भी भक्त अपनी आस्था और विश्वास को माँ के चरणों में समर्पित करता है, यह सोचते हुए कि माँ शारदा से मिलकर वह अपनी जीवन की चुनौतियों का समाधान पा सकेगा। जय माँ शारदा! 🌸

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