जब भक्ति सच्ची होती है, तो मन संसार की चिंता छोड़कर माँ की दिव्यता में खो जाता है। मैया, मन खो गया है मेरा तेरे ऊँचे पहाड़ों में भजन उसी गहरे प्रेम और श्रद्धा का प्रतीक है, जहाँ भक्त माँ के पवित्र धाम, उनकी ऊँची पहाड़ियों और उनकी अद्भुत महिमा में पूरी तरह लीन हो जाता है। यह भजन हमें माँ के दिव्य स्वरूप का अनुभव कराता है और हमें उनकी शरण में समर्पित होने की प्रेरणा देता है।
Maiya Man Kho Gaya Hai Mera Tera Unche Pahadon Me
मैया मन खो गया है मेरा,
तेरे ऊंचे पहाड़ों में,
बड़ी दूर से आया हूं माँ,
तेरे दर्श की आशा में,
मैया मन खो गया हैं मेरा,
तेरे ऊंचे पहाड़ों में।1।
तेरी मर्जी पे आया हूँ माँ,
अब अर्जी हमारी है,
तेरी किरपा दिखा देना माँ,
सारे कष्ट मिटा दे मैया,
मैया मन खो गया हैं मेरा,
तेरे ऊंचे पहाड़ों में।2।
तेरे चरणों की धूल से माँ,
सारे जग में उजाला है,
‘लखु’ तेरे भरोसे है मां,
अब दर्श दिखा दे मैया,
मैया मन खो गया हैं मेरा,
तेरे ऊंचे पहाड़ों में।3।
मैया मन खो गया है मेरा,
तेरे ऊंचे पहाड़ों में,
बड़ी दूर से आया हूं माँ,
तेरे दर्श की आशा में,
मैया मन खो गया हैं मेरा,
तेरे ऊंचे पहाड़ों में।4।
माँ के धाम की पवित्रता और उनके दर्शन की लालसा हर भक्त के हृदय में बसी होती है। “मैया, मन खो गया है मेरा तेरे ऊँचे पहाड़ों में” भजन माँ की इसी अलौकिक शक्ति और भक्त की सच्ची भक्ति को दर्शाता है। यदि यह भजन आपको माँ की आराधना में मग्न कर देता है, तो “माँ सुन ले पुकार, मैं आया तेरे द्वार” भजन भी अवश्य करे, जिसमें एक भक्त माँ के दरबार में आकर अपने मन की व्यथा सुनाने और कृपा पाने की प्रार्थना करता है।

मैं मां दुर्गा की आराधना व पूजा-पाठ में गहरी आस्था रखती हूं। प्रतिदिन गायत्री मंत्र का जाप करती हूं और मां दुर्गा से जुड़े शक्तिशाली मंत्र, दिव्य आरती, चालीसा एवं अन्य पवित्र धार्मिक सामग्री भक्तों के साथ साझा करती हूं। मेरा उद्देश्य श्रद्धालुओं को सही पूजा विधि सिखाना और उन्हें आध्यात्मिक मार्ग पर प्रेरित कर कृपा प्राप्त करने में सहायक बनना है। View Profile