काँटों से भरी बगियाँ फूलो से संवारी है भजन लिरिक्स

“काँटों से भरी बगियाँ फूलों से संवारी है” भजन माँ के अटूट प्रेम और बलिदान की गवाही देता है। यह भजन हमें यह समझाता है कि माँ ने अपने जीवन में कितने कठिन संघर्ष किए हैं, फिर भी वह अपने बच्चों के लिए हर मुश्किल को आसान बना देती हैं। यह भजन माँ की प्रेरणा और उनके अद्वितीय प्रेम का प्रतीक है, जो वह अपने बच्चों के लिए हर हालात में देती हैं। आइए, इस भजन के माध्यम से हम माँ के महान त्याग और प्रेम का सम्मान करें।

Kanto Se Bhari Bagiya Fulo Se Sanwari Hai Bhajan Lyrics

काँटों से भरी बगियाँ,
फूलो से संवारी है,
जैसा भी हूँ हरपल,
मुझ पर बलिहारी है,
इस पुरे जगत में मेरी,
माँ सबसे निराली है,
कांटो से भरी बगियाँ,
फूलो से संवारी है।।

खुद सो कर के भूखा,
भर पेट खिलाती है,
पीकर के हर आंसू,
हर दम मुस्काती है,
हालत हो कैसा भी,
मुझ पर इठलाती है,
इस पुरे जगत में मेरी,
माँ सबसे निराली है,
कांटो से भरी बगियाँ,
फूलो से संवारी है।।

हर एक मुसीबत से,
लड़ना सिखलाती है,
खुद को ये अकेले में,
अक्सर बहलाती है,
गम की परछाई को,
खुद गले लगाती है,
इस पुरे जगत में मेरी,
माँ सबसे निराली है,
कांटो से भरी बगियाँ,
फूलो से संवारी है।।

जबतक है साया तेरा,
हर रोज दिवाली है,
तेरे आँचल की छाया,
करती रखवाली है,
भगवान की धरती पर,
‘चेतन’ तू निशानी है,
इस पुरे जगत में मेरी,
माँ सबसे निराली है,
कांटो से भरी बगियाँ,
फूलो से संवारी है।।

काँटों से भरी बगियाँ,
फूलो से संवारी है,
जैसा भी हूँ हरपल,
मुझ पर बलिहारी है,
इस पुरे जगत में मेरी,
माँ सबसे निराली है,
कांटो से भरी बगियाँ,
फूलो से संवारी है।।

“काँटों से भरी बगियाँ फूलों से संवारी है” भजन हमें माँ के संघर्षों और उनके अपार प्रेम की याद दिलाता है। माँ वह स्त्री है जो अपने जीवन के हर दर्द और कष्ट को सहकर भी अपने बच्चों के लिए सुख और समृद्धि का रास्ता खोलती है। यह भजन माँ के महानता को सलाम करता है। अगर आपको यह भजन पसंद आया, तो आप अन्य माँ के भक्ति भजनों का भी आनंद ले सकते हैं, जैसे “मैया ओढ़ चुनरिया लाल के बैठी कर सोलह श्रृंगार”, “माँ के आँचल की छाया तू और कहीं ना पाएगा”, और “जागो माँ भवानी जागो कल्याणी”। इन भजनों से आप माँ के प्रेम को और भी महसूस कर सकते हैं।

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