हे शारदे माँ ऐसा वर दे भजन लिरिक्स

हे शारदे माँ ऐसा वर दे भजन माँ सरस्वती की उपासना में समर्पित है। इस भजन में भक्त माँ सरस्वती से ज्ञान, बुद्धि, और कला में सफलता की प्रार्थना करते हैं। माँ सरस्वती को संगीत, कला और विद्या की देवी माना जाता है, और यह भजन उसी श्रद्धा से भरा हुआ है। भक्त माँ से वरदान प्राप्त करने की कामना करते हैं ताकि वे जीवन में अपनी पूरी क्षमता का उपयोग कर सकें और अपनी राह में आने वाली चुनौतियों को आसानी से पार कर सकें।

Hey Sharde Maa Aisa Var De Bhajan Lyrics

हे शारदे माँ ऐसा वर दे,
सुन्दर स्वर माँ कंठ में भर दे,
दे दे स्वर का ज्ञान,
सदा गुण गाऊं सुबहो शाम,
सदा गुण गाऊं सुबहो शाम।।

स से सात सुरों का संगम,
र रे राग का है एक बंधन,
ग से गम को दूर माँ कर दे,
दे ऐसा वरदान,
सदा गुण गाऊं सुबहो शाम,
सदा गुण गाऊं सुबहो शाम।।

माँ मन मन्दिर पावन कर दे,
पाएं धरा निर्मल तू वर दे,
निश्चल मन से गाएं सभी जन,
तेरा ही गुणगान,
सदा गुण गाऊं सुबहो शाम,
सदा गुण गाऊं सुबहो शाम।।

आरती तेरी माँ जो जन गावे,
सुख सम्पति धन वैभव पावे,
तेरे दर से जाए ना खाली,
निर्धन हो या धनवान,
सदा गुण गाऊं सुबहो शाम,
सदा गुण गाऊं सुबहो शाम।।

हे शारदे माँ ऐसा वर दे,
सुन्दर स्वर माँ कंठ में भर दे,
दे दे स्वर का ज्ञान,
सदा गुण गाऊं सुबहो शाम,
सदा गुण गाऊं सुबहो शाम।।

“हे शारदे माँ ऐसा वर दे” भजन हमें माँ सरस्वती के आशीर्वाद की आवश्यकता को समझाता है। जैसा कि “जय माँ सरस्वती” और “सरस्वती वन्दना” भजन में भी माँ के ज्ञान और विद्या के प्रति श्रद्धा व्यक्त की जाती है, वैसे ही इस भजन में भक्त माँ से जीवन के हर क्षेत्र में सफलता की कामना करते हैं। माँ सरस्वती के आशीर्वाद से हम अपने जीवन को सही दिशा में मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं। हर भजन में माँ की शक्ति और आशीर्वाद का अद्वितीय रूप दर्शाया जाता है, जो हमें जीवन में उज्जवल भविष्य की दिशा में प्रेरित करता है।

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