गल मोत्यां को हार सिर चुनड़ चमकदार भजन माँ के भव्य रूप और उनकी दिव्य महिमा की स्तुति करता है। यह भजन हमें माँ के रूप, उनके शृंगार और उनके आशीर्वाद की महत्वपूर्णता का अहसास कराता है। माँ की महिमा अनंत है और उनका हर रूप भक्तों को प्रेरणा और आशीर्वाद से भर देता है। आइए, इस भजन के माधुर्य में खो जाएं और माँ के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करें।
Gal Motyan Ko Har Sir Chunad Chamakdar Bhajan Lyrics
गल मोत्यां को हार,
सिर चुनड़ चमकदार,
थे कर सोलह श्रृंगार,
माँ बनड़ी सी लागो जी,
माँ बनड़ी सी लागो जी।।
थारे हाथा सोणी चंगी,
माँ मेहंदी रची सुरंगी,
चुडले की खन खन न्यारी,
झांकी थारी सतरंगी,
मन मेरो मोह लियो है,
थारी पायल की झंकार,
गल मोत्या को हार,
सिर चुनड़ चमकदार,
थे कर सोलह श्रृंगार,
माँ बनड़ी सी लागो जी,
माँ बनड़ी सी लागो जी।।
थारे माथे बिंदिया चमके,
नथनी में हीरो दमके,
थारे देख देख कर दादी,
भक्ता को मनडो हरखे,
जादू सो चढ़ गयो है,
मैं भूली माँ घर बार,
गल मोत्या को हार,
सिर चुनड़ चमकदार,
थे कर सोलह श्रृंगार,
माँ बनड़ी सी लागो जी,
माँ बनड़ी सी लागो जी।।
थाने ‘स्वाति’ निरखन ताई,
थारे मन्दरिये में आई,
कवे ‘हर्ष’ देख कर थाने,
सुध बुध सारी बिसराई,
पलभर ना हटे निजरा,
मैं निरखु बारम्बार,
गल मोत्या को हार,
सिर चुनड़ चमकदार,
थे कर सोलह श्रृंगार,
माँ बनड़ी सी लागो जी,
माँ बनड़ी सी लागो जी।।
गल मोत्यां को हार,
सिर चुनड़ चमकदार,
थे कर सोलह श्रृंगार,
माँ बनड़ी सी लागो जी,
माँ बनड़ी सी लागो जी।।
“गल मोत्यां को हार सिर चुनड़ चमकदार” भजन हमें माँ के दिव्य रूप की सुंदरता और उनकी महानता का अहसास कराता है। इस भजन के माध्यम से हम माँ की कृपा और आशीर्वाद को महसूस करते हैं। अगर आपको यह भजन पसंद आया, तो आप और भी भक्ति भजनों का आनंद ले सकते हैं जैसे “माँ के आँचल की छाया तू और कहीं ना पाएगा”, “माँ मैं तेरी कठपुतली तेरा हुक्म बजाऊंगी”, और “जपु नारायणी तेरो नाम”। इन भजनों के माध्यम से आप माँ के प्रेम को और भी गहराई से महसूस कर सकते हैं।