फुर्सत मिले जो मैया कभी मेरे घर भी आना

भक्त के लिए माँ केवल मंदिरों और शक्तिपीठों में नहीं, बल्कि उसके हृदय और घर में भी वास करती हैं। फुर्सत मिले जो मैया कभी मेरे घर भी आना भजन भक्त की उस भावनात्मक पुकार को प्रकट करता है, जहाँ वह माँ से निवेदन करता है कि वे कृपा करके उसके घर भी पधारें और अपने आशीर्वाद से जीवन को धन्य करें। यह भजन माँ के प्रति प्रेम, भक्ति और आत्मीयता का एक सुंदर संगम है। आइए, इस भजन के साथ माँ को अपने हृदय में आमंत्रित करें।

Fursat Mile Jo Maiya Kabhi Mere Ghar Bhi Aana

फुर्सत मिले जो मैया,
कभी मेरे घर भी आना,
आकर के घर में मैया,
वापस कभी ना जाना,
फुरसत मिले जो मैया,
कभी मेरे घर भी आना।1।

ना है मेवे बर्फी मैया,
ना ही मखमली बिछोना,
जैसा भी रूखा सूखा,
संग मेरे भोग लगाना,
पीड़ा जो भी हो तुमको,
मैया तू उसे बिसराना,
फुरसत मिले जो मैया,
कभी मेरे घर भी आना।2।

संग संग जब हम रहेंगे,
फिर खूब होंगी बातें,
माँ संग जो तुम रहोगी,
कट जाएंगी काली रातें,
छट जाएंगे गम के बादल,
देखेगा फिर जमाना,
फुरसत मिले जो मैया,
कभी मेरे घर भी आना।3।

सुबह शाम दोनों वक्त माँ,
सेवा करूं तुम्हारी,
जन्मो जनम मैं तेरा,
बनके रहूं पुजारी,
‘संजय’ को शरण रख लो,
ना करना माँ बहाना,
फुरसत मिले जो मैया,
कभी मेरे घर भी आना।4।

फुर्सत मिले जो मैया,
कभी मेरे घर भी आना,
आकर के घर में मैया,
वापस कभी ना जाना,
फुरसत मिले जो मैया,
कभी मेरे घर भी आना।5।

माँ अपने भक्तों की पुकार कभी अनसुनी नहीं करतीं, वे प्रेम और श्रद्धा से बुलाने पर अवश्य आती हैं और कृपा बरसाती हैं। फुर्सत मिले जो मैया कभी मेरे घर भी आना भजन भक्त और माँ के मधुर संबंध को दर्शाता है। यदि यह भजन आपको भक्ति-भाव से भर देता है, तो “एक तू सच्ची सरकार माँ झंडेयावाली” भजन भी अवश्य करे, जिसमें माँ के दरबार और उनकी अपार महिमा का भावपूर्ण वर्णन किया गया है।

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