दरबार तेरा दरबारों में जैसे कोई चाँद हो तारों में

माँ दुर्गा का दरबार भक्तों के लिए वह पावन स्थान है, जहाँ हर मनोकामना पूरी होती है और हर दुख दूर हो जाता है। जब कोई श्रद्धालु माँ की शरण में आता है, तो उसे ऐसा अनुभव होता है मानो सितारों के बीच चमकता चाँद दिख रहा हो—सबसे अलग, सबसे दिव्य। दरबार तेरा दरबारों में जैसे कोई चाँद हो तारों में भजन माँ के इसी अनुपम दरबार की महिमा का गुणगान करता है, जहाँ भक्तों को शक्ति, शांति और अपार प्रेम मिलता है। आइए, इस भावपूर्ण भजन के माध्यम से माँ की आराधना करें।

Darbar Tera Darbaro Men Jaise Koyi Chand Ho Taro Me

दरबार तेरा दरबारों में,
जैसे कोई चाँद हो तारों में,
महिमा गाऊँ क्या तेरी माँ,
तुझ सा नहीं एक हज़ारों में।1।

जो भी तेरे दर आता है,
मन चाही मुरादें पाता है,
मुमकिन ही नहीं तुलना उसकी,
माँ बच्चों का जो नाता है,
ख़ुशक़िस्मत हूँ बड़भागी हूँ,
मैं भी हूँ तेरे दुलारों में,
दरबार तेरा दरबारो में,
जैसे कोई चाँद हो तारों में।2।

जब जब तेरा दर्शन पाऊँ,
मैया मैं गदगद हो जाऊँ,
कुछ ना कुछ दे ही देती हो,
जब भी तेरे दर पर आऊँ,
हर बार नया इक जुड़ जाता,
उपकार तेरे उपकारों में,
दरबार तेरा दरबारो में,
जैसे कोई चाँद हो तारों में।3।

बच्चों का सब कुछ तू है माँ,
मैं फूल हूँ तू ख़ुशबू है माँ,
‘साहिल’ मैं क्या हूँ कुछ भी नहीं,
सब तेरा ही जादू है माँ,
दुख को सुख में बदला तूने,
मातम बदला त्यौहारों में,
दरबार तेरा दरबारो में,
जैसे कोई चाँद हो तारों में।4।

दरबार तेरा दरबारों में,
जैसे कोई चाँद हो तारों में,
महिमा गाऊँ क्या तेरी माँ,
तुझ सा नहीं एक हज़ारों में।5।

माँ दुर्गा का दरबार प्रेम और भक्ति का केंद्र है, जहाँ हर भक्त को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। दरबार तेरा दरबारों में जैसे कोई चाँद हो तारों में भजन हमें याद दिलाता है कि माँ का दरबार दिव्यता का प्रतीक है, जहाँ हर भक्त को शरण मिलती है। यदि यह भजन आपके हृदय को भक्ति-भाव से भर देता है, तो “जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी” भजन भी अवश्य करे, जिसमें माँ की आराधना का अद्भुत रस है।

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