चण्डी है महाकाली कालीका खप्पर वाली

माँ चंडी और माँ महाकाली का स्वरूप शक्ति और संहार का प्रतीक है, जो अधर्म और अज्ञान का नाश करके भक्तों को निर्भयता और ऊर्जा प्रदान करता है। चण्डी है महाकाली कालीका खप्पर वाली भजन माँ के इस उग्र और रौद्र रूप की महिमा को दर्शाता है, जहाँ वे अपने भक्तों की रक्षा के लिए काल का संहार करती हैं। आइए, इस भजन के माध्यम से माँ के इस अद्भुत रूप की आराधना करें।

Chandi Hai Mahakali Kalika Khappae Wali

चण्डी है महाकाली,
कालीका खप्पर वाली,
खप्पर वाली मैया,
खप्पर वाली,
रूप धरी रे विकराल,
कालीका खप्पर वाली।1।

खून से अपना खप्पर भरने,
चली दुष्टो से माँ वध करने,
लेके खडग विशाल,
कालीका खप्पर वाली।2।

भरली नेत्र में क्रोध की ज्याला,
डाल गले मुंडो की माला,
बिखराये है बाल,
कालीका खप्पर वाली।3।

रूप धरी कालीका रण में,
मारी रक्तबीज को क्षण में,
की पापी को निहाल,
कालीका खप्पर वाली।4।

अष्ट भुजी है मात भवानी,
सीता उमा है जगकल्याणी,
काटे मायाजाल,
कालीका खप्पर वाली।5।

चण्डी है महाकाली,
कालीका खप्पर वाली,
खप्पर वाली मैया,
खप्पर वाली,
रूप धरी रे विकराल,
कालीका खप्पर वाली।6।

माँ महाकाली का खप्परधारी स्वरूप बुराई और अज्ञान के अंत का प्रतीक है, जो अपने भक्तों को हर संकट से बचाकर उनकी रक्षा करता है। चण्डी है महाकाली कालीका खप्पर वाली भजन माँ की असीम शक्ति और उनके भयहरण रूप का गुणगान करता है। यदि यह भजन आपको भक्ति और ऊर्जा से भर देता है, तो “माँ काली ने देखो भक्तों लीला रचाई” भजन भी अवश्य करे, जिसमें माँ के दिव्य चमत्कारों और भक्तों पर उनकी कृपा का सुंदर वर्णन किया गया है।

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