आया आया जी दादी जी म्हे तो थारै धाम में

भक्ति की सच्ची राह वही है, जो हमें माँ के धाम तक ले जाए। आया आया जी दादी जी म्हे तो थारै धाम में भजन माँ के चरणों में पहुंचने की उस अद्भुत खुशी को व्यक्त करता है, जब भक्त अपने सारे दुख-दर्द भूलकर माँ की शरण में आता है। यह भजन माँ की पवित्र धरा पर कदम रखने का उत्साह और श्रद्धा का प्रतीक है, जहाँ भक्त को आत्मिक शांति और माँ का अपार आशीर्वाद प्राप्त होता है।

Aaya Aaya Ji Dadi Mhe To Thare Dham Me

आया आया जी दादी जी,
म्हे तो थारै धाम में,
झिलमिल झिलमिल चमके चंदा,
दादी थारै धाम में,
सोणो सोणो मंदिर सोवै
थारो नीमच धाम में,
सोणो सोणो मंदिर सोवै,
थारो नीमच धाम में।1।

मन्दिर में दादी थारै,
नोबत बाजे,
सिर सोणे को दादी,
छतर साजे,
चमचम चमके सूरज,
चमचम चमके सूरज,
दादी आज थारै धाम में,
सोणो सोणो मंदिर सोवै,
थारो नीमच धाम में।2।

चुनड़ी उढ़ास्यां थाणे,
मेहन्दी लगास्यां,
मोती माणक को दादी,
हार पैहरास्यां,
थारी चुनड़ी को,
थारी चुनड़ी को,
तेज चमके चारों धाम में,
सोणो सोणो मंदिर सोवै,
थारो नीमच धाम में।3।

दमदम दमके थारै,
माथे की बिंदिया,
छमछम छमके पैरों,
की पैजनिया,
मोर मोरिया नाचे,
मोर मोरिया नाचे,
दादी आज थारै धाम में,
सोणो सोणो मंदिर सोवै,
थारो नीमच धाम में।4।

उत्सव है आयो थारो,
बड़ो अलबेलो,
‘मधु’ को हिवड़ो दादी,
खावै हिचकोलो,
शंख नगाड़ा बाजे,
शंख नगाड़ा बाजे,
दादी आज थारै धाम में,
सोणो सोणो मंदिर सोवै,
थारो नीमच धाम में।5।

झूमझूम नाचां दादी,
मौज उड़ास्यां,
मंदिर में आके थारे,
मंगल गास्यां,
थारा लाड लडास्यां,
दादी आज थारै धाम में,
सोणो सोणो मंदिर सोवै,
थारो नीमच धाम में।6।

आया आया जी दादी जी,
म्हे तो थारै धाम में,
झिलमिल झिलमिल चमके चंदा,
दादी थारै धाम में,
सोणो सोणो मंदिर सोवै
थारो नीमच धाम में,
सोणो सोणो मंदिर सोवै,
थारो नीमच धाम में।7।

“आया आया जी दादी जी म्हे तो थारै धाम में” भजन माँ के धाम की पावनता और वहाँ मिलने वाले आत्मिक सुख को दर्शाता है। माँ के द्वार पर आकर हर भक्त को अपने जीवन का सच्चा उद्देश्य मिल जाता है, और उसका हृदय भक्ति से भर उठता है। माँ की इस भक्ति यात्रा को और अधिक भावपूर्ण बनाने के लिए “[दादी जी की महिमा न्यारी है]” जैसे भजन भी भक्तों के मन को श्रद्धा से सराबोर कर देते हैं। माँ का आशीर्वाद सभी पर बना रहे, जय माता दी! ????????

Leave a comment