अब के नवरात्रो में माँ मैं भी तेरे दर पे आऊं

नवरात्रि का पावन समय माँ की भक्ति में लीन होने और उनके दर्शन का सौभाग्य पाने का होता है। अब के नवरात्रों में माँ, मैं भी तेरे दर पे आऊं भजन एक भक्त की उस गहरी इच्छा को प्रकट करता है, जिसमें वह माँ के दरबार में हाज़िरी लगाने और उनके चरणों में शीश नवाने की कामना करता है। माँ का दरबार हर भक्त के लिए खुला होता है। आइए, इस भजन के माध्यम से माँ की भक्ति में खो जाएं।

Aab Ke Navratro Me Maa Main Bhi Tere Dar Pe Aaun

अब के नवरात्रो में माँ,
मैं भी तेरे दर पे आऊं,
मैं भी तेरे दर पे आऊं,
तेरी पावन ज्योत जगाऊँ,
अब के नवरात्रों में माँ,
मैं भी तेरे दर पे आऊं।1।

मेरी अर्ज सुनो महारानी,
माँ तू है जग कल्याणी,
देवों ने यश है गाया,
तेरी महिमा वेद बखानी,
तेरी किरपा हो जाए माँ,
पौड़ी पौड़ी चलकर आऊं,
अब के नवरात्रों में माँ,
मैं भी तेरे दर पे आऊं।2।

राजा अकबर भी मैया,
था नंगे पैरो आया,
तूने शीश झुकाकर उसका,
ध्यानु का मान बढ़ाया,
करके तेरी भक्ति माँ,
मैं भी ध्यानु सा यश पाऊं,
अब के नवरात्रों में माँ,
मैं भी तेरे दर पे आऊं।3।

इस बार के नवरातो में,
माँ सुनले मेरी अर्जी,
करता है विनती ‘कुंदन’,
आगे माँ तेरी मर्जी,
अगले नवरातों में माँ,
मैं परिवार के संग में आऊं,
अब के नवरात्रों में माँ,
मैं भी तेरे दर पे आऊं।4।

अब के नवरात्रो में माँ,
मैं भी तेरे दर पे आऊं,
मैं भी तेरे दर पे आऊं,
तेरी पावन ज्योत जगाऊँ,
अब के नवरात्रों में माँ,
मैं भी तेरे दर पे आऊं।5।

माँ का दरबार भक्तों के प्रेम और श्रद्धा से सजा रहता है, और नवरात्रि के शुभ दिनों में माँ की आराधना का विशेष महत्व होता है। “अब के नवरात्रों में माँ, मैं भी तेरे दर पे आऊं” भजन इसी भक्तिपूर्ण भावना को व्यक्त करता है। यदि यह भजन आपके मन को माँ की भक्ति से भर देता है, तो “शेर सवारी कर जगदम्बे आएगी” भजन भी अवश्य करे, जिसमें माँ के आगमन और उनकी शक्ति का दिव्य वर्णन किया गया है।

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