यह कल कल छल छल बहती क्या कहती गंगा धारा भजन गंगा नदी की पवित्रता और देश की सांस्कृतिक विरासत को सुंदरता से प्रस्तुत करता है। यह गीत हमें अपने देश की प्रकृति और संस्कृति के प्रति सम्मान और प्रेम की भावना जागृत करता है। आइए, इस भजन के माध्यम से हम अपनी मातृभूमि की शान को समझें और उसका संरक्षण करें।
Yah Kal Kal Chhal Chhal Bahati Kya Kahati Ganga Dhara Lyrics
यह कल कल छल छल बहती,
क्या कहती गंगा धारा,
युग युग से बहता आता।
यह पुण्य प्रवाह हमारा,
यह पुण्य प्रवाह हमारा।।
हम इसके लघुतम जल कण,
बनते मिटते है क्षण क्षण,
अपना अस्तित्व मिटा कर।
तन मन धन करते अर्पण,
बढते जाने का शुभ प्रण।
प्राणों से हमको प्यारा,
यह पुण्य प्रवाह हमारा,
यह पुण्य प्रवाह हमारा।।
इस धारा में घुल मिलकर,
वीरों की राख बही है।
इस धारा मे कितने ही,
ऋषियों ने शरन गहि है,
इस धारा की गोदी में,
खेला इतिहास हमारा।
यह पुण्य प्रवाह हमारा,
यह पुण्य प्रवाह हमारा।।
यह अविरल तप का फल है,
यह राष्ट्र प्रवाह का प्रबल है।
शुभ संस्कृति का परिचायक,
भारत माँ का आचल है,
यहा शास्वत है तिर जीवन।
मर्यादा धर्म हमारा,
यह पुण्य प्रवाह हमारा,
यह पुण्य प्रवाह हमारा।।
क्या उसको रोक सकेंगे,
मिटने वाले मिट जाये।
कंकर पत्थर की हस्ती,
क्या बाधा बनकर आये,
ढह जायेगें गिरी पर्वत।
कांपे भूमण्डल सारा,
यह पुण्य प्रवाह हमारा,
यह पुण्य प्रवाह हमारा।।
यह कल कल छल छल बहती,
क्या कहती गंगा धारा,
युग युग से बहता आता।
यह पुण्य प्रवाह हमारा,
यह पुण्य प्रवाह हमारा।।
देश की पवित्रता और सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाता यह भजन यह कल कल छल छल बहती क्या कहती गंगा धारा हमें अपने वतन से प्रेम और संरक्षण की प्रेरणा देता है। इसी भावना के साथ आप Rakt Shirao Me Rana Ka Rah Rah Aaj Hilore Leta Lyrics, Sarhad Tujhe Pranam Deshbhakti Geet Lyrics, Manushya Tu Bada Mahan Hai Dharati Ki Shan Tu Hai Lyrics को भी पढ़ सकते हैं, जो हमारे देश प्रेम को और गहरा करते हैं।