मेरी मातृभूमी मंदिर है | Meri Matribhumi Mandir Hai

गुरु देव जी के भजन हमें मातृभूमि के प्रति अटूट प्रेम और समर्पण का भाव सिखाते हैं। मेरी मातृभूमि मंदिर है भजन भारत भूमि को एक पवित्र मंदिर के रूप में देखने की प्रेरणा देता है, जहाँ सेवा, त्याग और श्रद्धा ही सच्ची पूजा होती है। जब हम इसे पढ़ते या करते हैं, तो हमारा मन राष्ट्रभक्ति से भर जाता है और हमें अपने कर्तव्यों की गहरी अनुभूति होती है।

Meri Matribhumi Mandir Hai

श्वेत हिमलय शृंग बना है,
शिव का तांडव बल अपना है,
भगवा-ध्वज यश गौरव वाला,
लहरता फर-फर है।।1।।

वीर शिवा राणा से नायक,
सूर और तुलसी से गायक,
जिनकी वाणी कालजयी है,
जिनका यश चिर-स्थिर है।।2।।

स्वाभिमान की बलिवेदी पर,
सतियाँ लाख हुयी न्यौछावर,
सन्तो ऋषियों मुनियों वाली,
भारत भूमि मिहिर है।।3।।

हमको जो ललकार रहा है,
अपना काल पुकार रहा है,
विश्व जानता है भारत का,
अपराजेय रुधिर है।।4।।

मेरी मातृभूमी मंदिर है,

गुरु देव जी के भजन केवल गान नहीं, बल्कि आत्मा को झकझोर देने वाले संदेश होते हैं। मेरी मातृभूमि मंदिर है भजन हमें अपने देश के प्रति निष्ठा और सेवा भाव के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। यदि यह भजन आपके मन को छू गया हो, तो अब के बरस तुझे धरती की रानी कर देंगे, आया बुलावा भारत माँ का मेरा ही नाम प्रथम लिखा है, आजादी की दुल्हन का श्रृंगार अभी तक बाकी है जैसे अन्य भजनों को भी पढ़ें और राष्ट्रसेवा की भावना को और प्रबल करें। 🙏✨

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