गुरु देव जी के भजन हमें साहस, बलिदान और कर्तव्यपरायणता की सीख देते हैं। जिसने मरना सिख लिया है, जीने का अधिकार उसी को भजन वीरता और आत्मसमर्पण का प्रतीक है, जो हमें अपने धर्म, राष्ट्र और सत्य के लिए निडर होकर खड़े रहने की प्रेरणा देता है। जब हम इसे पढ़ते या करते हैं, तो हमारे भीतर अदम्य साहस और निष्ठा की भावना जाग्रत होती है।
Jisane Marana Sikh Liya Hai Jeene Ka Adhikar Usi Ko
जिसने मरना सिख लिया है,
जीने का अधिकार उसी को।
जो काँटों के पथ पर आया,
फूलों का उपहार उसी को,
जीने का अधिकार उसी को।।1।।
जिसने गीत सजाये अपने,
तलवारों के झन-झन स्वर पर।
जिसने विप्लव राग अलापे,
रिमझिम गोली के वर्षण पर।
जो बलिदानों का प्रेमी है,
जगती का है प्यार उसी को,
जीने का अधिकार उसी को।।2।।
हँस-हँस कर इक मस्ती लेकर,
जिसने सीखा है बलि होना,
अपनी पीड़ा पर मुस्काना,
औरों के कष्टों पर रोना,
जिसने सहना सीख लिया है।
संकट है त्यौहार उसी को,
जीने का अधिकार उसी को।।3।।
दुर्गमता लख बीहड़ पथ की,
जो न कभी भी रुका कहीं पर,
अनगिनती आघात सहे पर,
जो न कभी भी झुका कहीं पर,
झुका रहा है मस्तक अपना,
यह सारा संसार उसी को,
जीने का अधिकार उसी को।।4।।
जिसने मरना सिख लिया है,
जीने का अधिकार उसी को,
जो काँटों के पथ पर आया,
फूलों का उपहार उसी को,
जीने का अधिकार उसी को।।5।।
गुरु देव जी के भजन केवल प्रेरणा नहीं, बल्कि एक आह्वान हैं, जो हमें अपने कर्तव्यों का बोध कराते हैं। जिसने मरना सिख लिया है, जीने का अधिकार उसी को भजन हमें यह संदेश देता है कि सच्चा जीवन वही है, जो धर्म और कर्तव्य के मार्ग पर अडिग रहता है। यदि यह भजन आपको प्रेरित करता है, तो Meri Matribhumi Mandir Hai, Ab Ke Baras Tujhe Dharati Ki Rani Kar Denge, Aaya Bulawa Bharat Maa Ka Mera Hi Naam Pratham Likha Hai जैसे अन्य भजनों को भी पढ़ें और अपनी आत्मा को ऊर्जावान बनाएं। 🙏✨