Shiv Chalisa Lyrics In Hindi

Shiv Chalisa Lyrics In Hindi | शिव चालीसा लिरिक्स इन हिंदी : कृपा प्राप्ति के लिए सरल पाठ

शिव चालीसा लिरिक्स इन हिंदी भगवान शिव की महिमा का बखान करने वाला एक अद्भुत और प्रभावशाली स्तोत्र है। Shiv Chalisa Lyrics In Hindi के प्रत्येक शब्द में भगवान शिव की महिमा और उनके दिव्य स्वरूप का वर्णन है। हिंदी भाषा में लिखी गई इस चालीसा में कुल 40 छंद हैं, जो भगवान शिव की … Read more

दुर्गा चालीसा लिखा हुआ नमो नमो दुर्गे सुख करनी,नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥ ॥   निरंकार है ज्योति तुम्हारी, तिहूं लोक फैली उजियारी॥२॥   शशि ललाट मुख महाविशाला, नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥३॥   रूप मातु को अधिक सुहावे, दरश करत जन अति सुख पावे॥४॥   तुम संसार शक्ति लै कीना, पालन हेतु अन्न धन दीना॥५॥   अन्नपूर्णा हुई जग पाला, तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥ ६॥   प्रलयकाल सब नाशन हारी, तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥ ७॥   शिव योगी तुम्हरे गुण गावें, ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥ ८ ॥   रूप सरस्वती को तुम धारा, दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥ ९ ॥   धरयो रूप नरसिंह को अम्बा, परगट भई फाड़कर खम्बा॥१०॥   रक्षा करि प्रह्लाद बचायो, हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥ ११॥   लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं, श्री नारायण अंग समाहीं॥१२ ॥   क्षीरसिन्धु में करत विलासा, दयासिन्धु दीजै मन आसा॥१३ ॥   हिंगलाज में तुम्हीं भवानी, महिमा अमित न जात बखानी॥१४ ॥   मातंगी अरु धूमावति माता, भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥१५॥   श्री भैरव तारा जग तारिणी, छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥ १६ ॥   केहरि वाहन सोह भवानी, लांगुर वीर चलत अगवानी॥१७॥   कर में खप्पर खड्ग विराजै, जाको देख काल डर भाजै॥ १८॥   सोहै अस्त्र और त्रिशूला, जाते उठत शत्रु हिय शूला॥ १९॥   नगरकोट में तुम्हीं विराजत, तिहुंलोक में डंका बाजत॥ २०॥   शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे, रक्तबीज शंखन संहारे॥ २१॥   महिषासुर नृप अति अभिमानी, जेहि अघ भार मही अकुलानी॥ २२॥   रूप कराल कालिका धारा, सेन सहित तुम तिहि संहारा॥ २३॥   परी गाढ़ संतन पर जब जब, भई सहाय मातु तुम तब तब॥ २४ ॥   अमरपुरी अरु बासव लोका, तब महिमा सब रहें अशोका॥ २५ ॥   ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी, तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥ २६ ॥   प्रेम भक्ति से जो यश गावें, दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥ २७ ॥   ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई, जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥ २८ ॥   जोगी सुर मुनि कहत पुकारी, योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥ २९ ॥   शंकर आचारज तप कीनो, काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥ ३० ॥   निशिदिन ध्यान धरो शंकर को, काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥ ३१ ॥   शक्ति रूप का मरम न पायो, शक्ति गई तब मन पछितायो॥ ३२ ॥   शरणागत हुई कीर्ति बखानी, जय जय जय जगदम्ब भवानी॥ ३३ ॥   भई प्रसन्न आदि जगदम्बा, दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥ ३४ ॥   मोको मातु कष्ट अति घेरो, तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥ ३५ ॥   आशा तृष्णा निपट सतावें, रिपू मुरख मौही डरपावे॥ ३६ ॥   शत्रु नाश कीजै महारानी, सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥३७ ॥   करो कृपा हे मातु दयाला, ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला॥ ३८ ॥   जब लगि जिऊं दया फल पाऊं, तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं॥ ३९ ॥   दुर्गा चालीसा जो कोई गावै, सब सुख भोग परमपद पावै।   देवीदास शरण निज जानी, करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥ ४० ॥   ॥ इति श्री दुर्गा चालीसा सम्पूर्ण ॥

Durga Chalisa Likha Hua | दुर्गा चालीसा लिखा हुआ: एक आध्यात्मिक शक्ति

दुर्गा चालीसा लिखा हुआ होना सभी भक्तों के लिए एक अच्छा साधन है यह चालीसा 40 श्लोकों से बना होता है, जिसमें माँ दुर्गा के अद्वितीय रूप, उनके शक्तिशाली गुण और विभिन्न शक्तियों का वर्णन किया गया है। Durga Chalisa Likha Hua होने से इसका पाठ करना सभी के लिए आसान हो जाता है और … Read more

दुर्गा चालीसा पाठ दुर्गा चालीसा नमो नमो दुर्गे सुख करनी, नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी।   निरंकार है ज्योति तुम्हारी, तिहूं लोक फैली उजियारी।   शशि ललाट मुख महाविशाला, नेत्र लाल भृकुटि विकराला।   रूप मातु को अधिक सुहावे, दरश करत जन अति सुख पावे।   तुम संसार शक्ति लै कीना,पालन हेतु अन्न धन दीना।   अन्नपूर्णा हुई जग पाला, तुम ही आदि सुन्दरी बाला।   प्रलयकाल सब नाशन हारी, तुम गौरी शिवशंकर प्यारी।   शिव योगी तुम्हरे गुण गावें, ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें।   रूप सरस्वती को तुम धारा, दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा।   धरयो रूप नरसिंह को अम्बा, परगट भई फाड़कर खम्बा।   रक्षा करि प्रह्लाद बचायो, हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो।   लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं, श्री नारायण अंग समाहीं।   क्षीरसिन्धु में करत विलासा, दयासिन्धु दीजै मन आसा।   हिंगलाज में तुम्हीं भवानी, महिमा अमित न जात बखानी।   मातंगी अरु धूमावति माता, भुवनेश्वरी बगला सुख दाता।   श्री भैरव तारा जग तारिणी, छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी।   केहरि वाहन सोह भवानी, लांगुर वीर चलत अगवानी।   कर में खप्पर खड्ग विराजै, जाको देख काल डर भाजै।   सोहै अस्त्र और त्रिशूला, जाते उठत शत्रु हिय शूला।   नगरकोट में तुम्हीं विराजत, तिहुंलोक में डंका बाजत।   शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे, रक्तबीज शंखन संहारे।   महिषासुर नृप अति अभिमानी, जेहि अघ भार मही अकुलानी।   रूप कराल कालिका धारा, सेन सहित तुम तिहि संहारा।   परी गाढ़ संतन पर जब जब, भई सहाय मातु तुम तब तब.   अमरपुरी अरु बासव लोका, तब महिमा सब रहें अशोका।   ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी, तुम्हें सदा पूजें नर-नारी।   प्रेम भक्ति से जो यश गावें, दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें।   ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई, जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई।   जोगी सुर मुनि कहत पुकारी, योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी।   शंकर आचारज तप कीनो, काम अरु क्रोध जीति सब लीनो।   निशिदिन ध्यान धरो शंकर को, काहु काल नहिं सुमिरो तुमको।   शक्ति रूप का मरम न पायो, शक्ति गई तब मन पछितायो।   शरणागत हुई कीर्ति बखानी, जय जय जय जगदम्ब भवानी।   भई प्रसन्न आदि जगदम्बा, दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा।   मोको मातु कष्ट अति घेरो, तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो।   आशा तृष्णा निपट सतावें, रिपू मुरख मौही डरपावे।   शत्रु नाश कीजै महारानी, सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी।   करो कृपा हे मातु दयाला, ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला।   जब लगि जिऊं दया फल पाऊं , तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं।   दुर्गा चालीसा जो कोई गावै, सब सुख भोग परमपद पावै।   देवीदास शरण निज जानी, करहु कृपा जगदम्ब भवानी।

Durga Chalisa Paath | दुर्गा चालीसा पाठ: एक अद्भुत साधना

दुर्गा चालीसा पाठ एक शक्तिशाली और प्रभावी भक्ति कर्म है, जिसे भक्तों द्वारा माँ दुर्गा की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए नियमित रूप से किया जाता है। Durga Chalisa Paath माँ दुर्गा की स्तुति और उनके विभिन्न रूपों की महिमा का वर्णन करती है। दुर्गा चालीसा 40 श्लोकों में माँ दुर्गा की शक्ति, … Read more

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गणेश चालीसा इन हिंदी PDF | Ganesh Chalisa In Hindi PDF : भक्तों के लिए विशेष

आज के डिजिटल युग में गणेश चालीसा इन हिंदी पीडीएफ एक आदर्श विकल्प बन गया है। यह पीडीएफ उन भक्तों के लिए बहुत उपयोगी है जो चालीसा का पाठ सरलता और आसानी से करना चाहते हैं। Ganesh Chalisa In Hindi Pdf संस्करण डाउनलोड करना अब बेहद आसान हो गया है, और यह भक्तों को इस … Read more

Durga Chalisa Aarti नमो नमो दुर्गे सुख करनी नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥१॥ निरंकार है ज्योति तुम्हारी तिहूं लोक फैली उजियारी॥ शशि ललाट मुख महाविशाला नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥ रूप मातु को अधिक सुहावे दरश करत जन अति सुख पावे॥ तुम संसार शक्ति लै कीना पालन हेतु अन्न-धन दीना॥ अन्नपूर्णा हुई जग पाला तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥ प्रलयकाल सब नाशन हारी तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥ शिव योगी तुम्हरे गुण गावें ब्रह्मा-विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥ रूप सरस्वती को तुम धारा दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥ धरयो रूप नरसिंह को अम्बा परगट भई फाड़कर खम्बा॥ रक्षा करि प्रह्लाद बचायो हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥ लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं श्री नारायण अंग समाहीं॥ क्षीरसिन्धु में करत विलासा दयासिन्धु दीजै मन आसा॥ हिंगलाज में तुम्हीं भवानी महिमा अमित न जात बखानी॥ मातंगी अरु धूमावति माता भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥ श्री भैरव तारा जग तारिणी छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥ केहरि वाहन सोह भवानी लांगुर वीर चलत अगवानी॥ कर में खप्पर-खड्ग विराजै जाको देख काल डर भाजै॥ सोहै अस्त्र और त्रिशूला जाते उठत शत्रु हिय शूला॥ नगरकोट में तुम्हीं विराजत तिहुंलोक में डंका बाजत॥ शुंभ-निशुंभ दानव तुम मारे रक्तबीज शंखन संहारे॥ महिषासुर नृप अति अभिमानी जेहि अघ भार मही अकुलानी॥ रूप कराल कालिका धारा सेन सहित तुम तिहि संहारा॥ परी गाढ़ संतन पर जब जब भई सहाय मातु तुम तब तब॥ अमरपुरी अरु बासव लोका तब महिमा सब रहें अशोका॥ ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥ प्रेम भक्ति से जो यश गावें दुःख-दरिद्र निकट नहिं आवें॥ ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥ जोगी सुर मुनि कहत पुकारी योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥ शंकर आचारज तप कीनो काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥ निशिदिन ध्यान धरो शंकर को काहु काल नहि सुमिरो तुमको॥ शक्ति रूप का मरम न पायो शक्ति गई तब मन पछितायो॥ शरणागत हुई कीर्ति बखानी जय जय जय जगदम्ब भवानी॥ भई प्रसन्न आदि जगदम्बा दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥ मोको मातु कष्ट अति घेरो तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥ आशा तृष्णा निपट सतावें रिपू मुरख मौही डरपावे॥ शत्रु नाश कीजै महारानी सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥ करो कृपा हे मातु दयाला ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला। जब लगि जिऊं दया फल पाऊं तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं॥ दुर्गा चालीसा जो कोई गावै सब सुख भोग परमपद पावै॥ देवीदास शरण निज जानी करहु कृपा जगदम्बा भवानी॥ दुर्गा माता की जय… दुर्गा माता की जय… दुर्गा माता की जय

दुर्गा चालीसा आरती | Durga Chalisa Aarti : सम्पूर्ण आरती संग्रह

दुर्गा चालीसा आरती हमारे हिंदू धर्म में मां दुर्गा की भक्ति का एक अनमोल हिस्सा हैं। ये न केवल आस्था और श्रद्धा को प्रकट करते हैं, बल्कि हमें देवी दुर्गा की दिव्य ऊर्जा से जोड़ने का माध्यम भी बनते हैं। Durga Chalisa Aarti के 40 चौपाइयों में मां के नौ रूपों की महिमा का गुणगान … Read more

दुर्गा चालीसा नमो नमो दुर्गे सुख करनी, नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥1॥ निरंकार है ज्योति तुम्हारी, तिहूं लोक फैली उजियारी॥2॥ शशि ललाट मुख महाविशाला, नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥3॥ रूप मातु को अधिक सुहावे, दरश करत जन अति सुख पावे॥4॥ तुम संसार शक्ति लै कीना, पालन हेतु अन्न धन दीना॥5॥ अन्नपूर्णा हुई जग पाला, तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥6॥ प्रलयकाल सब नाशन हारी, तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥7॥ शिव योगी तुम्हरे गुण गावें, ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥8॥ रूप सरस्वती को तुम धारा, दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥9॥ धरयो रूप नरसिंह को अम्बा, परगट भई फाड़कर खम्बा॥10॥ रक्षा करि प्रह्लाद बचायो, हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥11॥ लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं, श्री नारायण अंग समाहीं॥12॥ क्षीरसिन्धु में करत विलासा, दयासिन्धु दीजै मन आसा॥13॥ हिंगलाज में तुम्हीं भवानी, महिमा अमित न जात बखानी॥14॥ मातंगी अरु धूमावति माता, भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥15॥ श्री भैरव तारा जग तारिणी, छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥16॥ केहरि वाहन सोह भवानी, लांगुर वीर चलत अगवानी॥17॥ कर में खप्पर खड्ग विराजै, जाको देख काल डर भाजै॥18॥ सोहै अस्त्र और त्रिशूला, जाते उठत शत्रु हिय शूला॥19॥ नगरकोट में तुम्हीं विराजत, तिहुंलोक में डंका बाजत॥20॥ शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे, रक्तबीज शंखन संहारे॥21॥ महिषासुर नृप अति अभिमानी, जेहि अघ भार मही अकुलानी॥22॥ रूप कराल कालिका धारा, सेन सहित तुम तिहि संहारा॥23॥ परी गाढ़ संतन पर जब जब, भई सहाय मातु तुम तब तब॥24॥ अमरपुरी अरु बासव लोका, तब महिमा सब रहें अशोका॥25॥ ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी, तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥26॥ प्रेम भक्ति से जो यश गावें, दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥27॥ ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई, जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥28॥ जोगी सुर मुनि कहत पुकारी, योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥29॥ शंकर आचारज तप कीनो, काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥30॥ निशिदिन ध्यान धरो शंकर को, काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥31॥ शक्ति रूप का मरम न पायो, शक्ति गई तब मन पछितायो॥32॥ शरणागत हुई कीर्ति बखानी, जय जय जय जगदम्ब भवानी॥33॥ भई प्रसन्न आदि जगदम्बा, दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥34॥ मोको मातु कष्ट अति घेरो, तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥35॥ आशा तृष्णा निपट सतावें, रिपू मुरख मौही डरपावे॥36॥ शत्रु नाश कीजै महारानी, सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥37॥ करो कृपा हे मातु दयाला, ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला॥38॥ जब लगि जिऊं दया फल पाऊं, तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं॥39॥ दुर्गा चालीसा जो कोई गावै, सब सुख भोग परमपद पावै॥40॥ देवीदास शरण निज जानी, करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥41॥ ॥ॐ॥ इति श्री दुर्गा चालीसा सम्पूर्ण ॥ॐ॥

दुर्गा चालीसा | Durga Chalisa : एक अद्भुत शक्ति और श्रद्धा का प्रतीक

दुर्गा चालीसा, माँ दुर्गा की महिमा और उनकी कृपा का गान करने वाला एक पवित्र ग्रंथ है। यह 40 छंदों का संग्रह है, जो न केवल देवी की स्तुति करता है, बल्कि भक्तों के मन को शक्ति, साहस और विश्वास से भी भर देता है। भारत में Durga Chalisa विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान … Read more

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दुर्गा चालीसा PDF | Durga Chalisa PDF : देवी दुर्गा की कृपा और आशीर्वाद का अद्भुत स्रोत

आजकल, तकनीकी युग में, दुर्गा चालीसा PDF के रूप में आसानी से उपलब्ध है, जिसे कोई भी अपने मोबाइल या कंप्यूटर पर डाउनलोड कर सकता है। Durga Chalisa Pdf फ़ॉर्मेट में यह सुविधा विशेष रूप से उन भक्तों के लिए लाभकारी है जो रोजाना माँ की आराधना करना चाहते हैं, लेकिन उन्हें प्रिंटेड पुस्तक उपलब्ध … Read more

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शिव चालीसा हिंदी में PDF | Shiv Chalisa In Hindi PDF : भगवान शिव की भक्ति का दिव्य स्रोत

शिव भक्तो के लिए शिव चालीसा हिंदी में पीडीएफ एक अच्छा और बेहद लोकप्रिय साधन है। यह उन लोगों के लिए एक वरदान की तरह है जो चलते-फिरते, यात्रा के दौरान, ऑफिस में, या घर पर आसानी से शिव चालीसा का पाठ करना चाहते हैं। Shiv Chalisa In Hindi Pdf फॉर्मेट को डाउनलोड करना काफी … Read more

Shiv Chalisa Aarti ॥दोहा॥   श्री गणेश गिरिजा सुवन। मंगल मूल सुजान॥ कहत अयोध्यादास तुम। देहु अभय वरदान॥ ॥चौपाई॥   जय गिरिजा पति दीन दयाला, सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥ भाल चन्द्रमा सोहत नीके, कानन कुण्डल नागफनी के॥   अंग गौर शिर गंग बहाये, मुण्डमाल तन छार लगाये॥ वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे, छवि को देख नाग मुनि मोहे॥   मैना मातु की ह्वै दुलारी, बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥ कर त्रिशूल सोहत छवि भारी, करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥   नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे, सागर मध्य कमल हैं जैसे॥ कार्तिक श्याम और गणराऊ, या छवि को कहि जात न काऊ॥   देवन जबहीं जाय पुकारा, तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥ किया उपद्रव तारक भारी, देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥   तुरत षडानन आप पठायउ, लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥ आप जलंधर असुर संहारा, सुयश तुम्हार विदित संसारा॥   त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई, सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥ किया तपहिं भागीरथ भारी, पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥   दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं, सेवक स्तुति करत सदाहीं॥ वेद नाम महिमा तव गाई, अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥   प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला, जरे सुरासुर भये विहाला॥ कीन्ह दया तहँ करी सहाई, नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥   पूजन रामचंद्र जब कीन्हा, जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥ सहस कमल में हो रहे धारी, कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥   एक कमल प्रभु राखेउ जोई, कमल नयन पूजन चहं सोई॥ कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर, भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥   जय जय जय अनंत अविनाशी, करत कृपा सब के घटवासी॥ दुष्ट सकल नित मोहि सतावै , भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥   त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो, यहि अवसर मोहि आन उबारो॥ लै त्रिशूल शत्रुन को मारो, संकट से मोहि आन उबारो॥   मातु पिता भ्राता सब कोई, संकट में पूछत नहिं कोई॥ स्वामी एक है आस तुम्हारी, आय हरहु अब संकट भारी॥ धन निर्धन को देत सदाहीं, जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥ अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी, क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥   शंकर हो संकट के नाशन, मंगल कारण विघ्न विनाशन॥ योगी यति मुनि ध्यान लगावैं, नारद शारद शीश नवावैं॥   नमो नमो जय नमो शिवाय, सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥ जो यह पाठ करे मन लाई, ता पार होत है शम्भु सहाई॥   ॠनिया जो कोई हो अधिकारी, पाठ करे सो पावन हारी॥ पुत्र हीन कर इच्छा कोई, निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥ पण्डित त्रयोदशी को लावे, ध्यान पूर्वक होम करावे॥ त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा, तन नहीं ताके रहे कलेशा॥   धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥ जन्म जन्म के पाप नसावे, अन्तवास शिवपुर में पावे॥ कहे अयोध्या आस तुम्हारी, जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥   ॥दोहा॥ नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा॥ तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥

शिव चालीसा आरती | Shiv Chalisa Aarti : दिव्य भक्ति स्वर

शिव चालीसा आरती भगवान शिव की महिमा का वर्णन करने वाला एक अत्यंत प्रभावशाली भक्ति पाठ है, जो भगवान शिव के प्रति श्रद्धा और आस्था को व्यक्त करता है। Shiv Chalisa Aarti के शब्द न केवल शिव के अद्वितीय और अलौकिक रूप का गुणगान करते हैं, बल्कि उनके द्वारा किए गए कल्याणकारी कार्यों और उनके … Read more

Shiv Chalisa Lyrics ॥दोहा॥   श्री गणेश गिरिजा सुवन। मंगल मूल सुजान॥ कहत अयोध्यादास तुम। देहु अभय वरदान॥ ॥चौपाई॥   जय गिरिजा पति दीन दयाला, सदा करत सन्तन प्रतिपाला। भाल चन्द्रमा सोहत नीके, कानन कुण्डल नागफनी के।   अंग गौर शिर गंग बहाये, मुण्डमाल तन छार लगाये। वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे, छवि को देख नाग मुनि मोहे।   मैना मातु की ह्वै दुलारी, बाम अंग सोहत छवि न्यारी। कर त्रिशूल सोहत छवि भारी, करत सदा शत्रुन क्षयकारी।   नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे, सागर मध्य कमल हैं जैसे। कार्तिक श्याम और गणराऊ, या छवि को कहि जात न काऊ।   देवन जबहीं जाय पुकारा, तब ही दुख प्रभु आप निवारा। किया उपद्रव तारक भारी, देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी।   तुरत षडानन आप पठायउ, लवनिमेष महँ मारि गिरायउ। आप जलंधर असुर संहारा, सुयश तुम्हार विदित संसारा।   त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई, सबहिं कृपा कर लीन बचाई। किया तपहिं भागीरथ भारी, पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी।   दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं, सेवक स्तुति करत सदाहीं। वेद नाम महिमा तव गाई, अकथ अनादि भेद नहिं पाई।   प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला, जरे सुरासुर भये विहाला। कीन्ह दया तहँ करी सहाई, नीलकण्ठ तब नाम कहाई।   पूजन रामचंद्र जब कीन्हा, जीत के लंक विभीषण दीन्हा। सहस कमल में हो रहे धारी, कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी।   एक कमल प्रभु राखेउ जोई, कमल नयन पूजन चहं सोई। कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर, भये प्रसन्न दिए इच्छित वर।   जय जय जय अनंत अविनाशी, करत कृपा सब के घटवासी। दुष्ट सकल नित मोहि सतावै , भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै।   त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो, यहि अवसर मोहि आन उबारो। लै त्रिशूल शत्रुन को मारो, संकट से मोहि आन उबारो।   मातु पिता भ्राता सब कोई, संकट में पूछत नहिं कोई। स्वामी एक है आस तुम्हारी, आय हरहु अब संकट भारी।   धन निर्धन को देत सदाहीं, जो कोई जांचे वो फल पाहीं। अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी, क्षमहु नाथ अब चूक हमारी।   शंकर हो संकट के नाशन, मंगल कारण विघ्न विनाशन। योगी यति मुनि ध्यान लगावैं, नारद शारद शीश नवावैं।   नमो नमो जय नमो शिवाय, सुर ब्रह्मादिक पार न पाय। जो यह पाठ करे मन लाई, ता पार होत है शम्भु सहाई।   ॠनिया जो कोई हो अधिकारी, पाठ करे सो पावन हारी। पुत्र हीन कर इच्छा कोई, निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई।  पण्डित त्रयोदशी को लावे, ध्यान पूर्वक होम करावे। त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा, तन नहीं ताके रहे कलेशा।   धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे। जन्म जन्म के पाप नसावे, अन्तवास शिवपुर में पावे। कहे अयोध्या आस तुम्हारी,जानि सकल दुःख हरहु हमारी।   ॥दोहा॥ नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा। तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥

शिव चालीसा लिरिक्स | Shiv Chalisa Lyrics : भगवान शिव की महिमा और कृपा का पवित्र स्तोत्र

शिव चालीसा लिरिक्स भगवान शिव के महिमामय और अद्भुत गुणों का वर्णन करने वाला एक शक्तिशाली स्तोत्र है। इसमें 40 छंदों के माध्यम से शिवजी की आराधना की जाती है और उनके महान लीलाओं, शक्तियों, और सौम्य स्वरूप का वर्णन किया गया है। शिव भक्तों के लिए यह Shiv Chalisa Lyrics एक अद्वितीय साधना का … Read more