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संतोषी चालीसा: माँ संतोषी की कृपा प्राप्त करने का मार्ग

माँ संतोषी को संतोष, सुख और समृद्धि की देवी माना जाता है। उनकी उपासना से जीवन में शांति, धैर्य और सकारात्मकता आती है। ऐसे में संतोषी चालीसा का नियमित पाठ करने से भक्तों की सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं और घर में कभी धन-धान्य की कमी नहीं रहती। Santoshi Chalisa में 40 चौपाइयों द्वारा माँ … Read more

Vindheshwari Chalisa Lyrics ॥ दोहा ॥ नमो नमो विन्ध्येश्वरी, नमो नमो जगदम्ब। सन्तजनों के काज में, करती नहीं विलम्ब॥ जय जय जय विन्ध्याचल रानी। आदिशक्ति जगविदित भवानी॥ सिंहवाहिनी जै जगमाता। जै जै जै त्रिभुवन सुखदाता॥ कष्ट निवारण जै जगदेवी। जै जै सन्त असुर सुर सेवी॥ महिमा अमित अपार तुम्हारी। शेष सहस मुख वर्णत हारी॥ दीनन को दु:ख हरत भवानी। नहिं देखो तुम सम कोउ दानी॥ सब कर मनसा पुरवत माता। महिमा अमित जगत विख्याता॥ जो जन ध्यान तुम्हारो लावै। सो तुरतहि वांछित फल पावै॥ तुम्हीं वैष्णवी तुम्हीं रुद्रानी। तुम्हीं शारदा अरु ब्रह्मानी॥ रमा राधिका श्यामा काली। तुम्हीं मातु सन्तन प्रतिपाली॥ उमा माध्वी चण्डी ज्वाला। वेगि मोहि पर होहु दयाला॥10 तुम्हीं हिंगलाज महारानी। तुम्हीं शीतला अरु विज्ञानी॥ दुर्गा दुर्ग विनाशिनी माता। तुम्हीं लक्ष्मी जग सुख दाता॥ तुम्हीं जाह्नवी अरु रुद्रानी। हे मावती अम्ब निर्वानी॥ अष्टभुजी वाराहिनि देवा। करत विष्णु शिव जाकर सेवा॥ चौंसट्ठी देवी कल्यानी। गौरि मंगला सब गुनखानी॥ पाटन मुम्बादन्त कुमारी। भाद्रिकालि सुनि विनय हमारी॥ बज्रधारिणी शोक नाशिनी। आयु रक्षिनी विन्ध्यवासिनी॥ जया और विजया वैताली। मातु सुगन्धा अरु विकराली॥ नाम अनन्त तुम्हारि भवानी। वरनै किमि मानुष अज्ञानी॥ जापर कृपा मातु तब होई। जो वह करै चाहे मन जोई॥20 कृपा करहु मोपर महारानी। सिद्ध करहु अम्बे मम बानी॥ जो नर धरै मातु कर ध्याना। ताकर सदा होय कल्याना॥ विपति ताहि सपनेहु नाहिं आवै। जो देवीकर जाप करावै॥ जो नर कहँ ऋण होय अपारा। सो नर पाठ करै शत बारा॥ निश्चय ऋण मोचन होई जाई। जो नर पाठ करै चित लाई॥ अस्तुति जो नर पढ़े पढ़अवे। या जग में सो बहु सुख पावे॥ जाको व्याधि सतावे भाई। जाप करत सब दूर पराई॥ जो नर अति बन्दी महँ होई। बार हजार पाठ करि सोई॥ निश्चय बन्दी ते छुट जाई। सत्य वचन मम मानहु भाई॥ जापर जो कछु संकट होई। निश्चय देविहिं सुमिरै सोई॥30 जा कहँ पुत्र होय नहिं भाई। सो नर या विधि करे उपाई॥ पाँच वर्ष जो पाठ करावै। नौरातन महँ विप्र जिमावै॥ निश्चय होहिं प्रसन्न भवानी। पुत्र देहिं ता कहँ गुणखानी॥ ध्वजा नारियल आन चढ़ावै। विधि समेत पूजन करवावै॥ नित प्रति पाठ करै मन लाई। प्रेम सहित नहिं आन उपाई॥ यह श्री विन्ध्याचल चालीसा। रंक पढ़त होवे अवनीसा॥ यह जन अचरज मानहु भाई। कृपा दृश्टि जापर होइ जाई॥ जै जै जै जग मातु भवानी। कृपा करहु मोहि निज जन जानी॥40

Vindheshwari Chalisa Lyrics | विन्धेश्वरी चालीसा लिरिक्स: 40 श्लोकों में दिव्य शक्ति

विन्धेश्वरी चालीसा लिरिक्स देवी विन्धेश्वरी के परम शक्तिशाली और दिव्य रूप की स्तुति है। विन्धेश्वरी देवी, जो विंध्याचल की महिमा से जुड़ी हुई हैं, उनके चालीस का पाठ करने से व्यक्ति को मानसिक शांति और आध्यात्मिक आशीर्वाद प्राप्त होता है। Vindheshwari Chalisa Lyrics में कुल 40 श्लोक होते हैं, जो देवी के विभिन्न रूपों और … Read more

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Saraswati Chalisa PDF | सरस्वती चालीसा PDF: माँ सरस्वती की भक्ति और आशीर्वाद का स्रोत

सरस्वती चालीसा PDF माँ सरस्वती की महिमा का गान करने का एक ऐसा स्रोत है, जो उनके अद्भुत ज्ञान, बुद्धि और कला के प्रति श्रद्धा को प्रकट करता है। Saraswati Chalisa PDF में चालीसा के 40 श्लोको का वर्णन किया गया है, जिसका नियमित पाठ करके आप अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, बौद्धिक क्षमता में … Read more

Shiv Chalisa Lyrics In Hindi

Shiv Chalisa Lyrics In Hindi | शिव चालीसा लिरिक्स इन हिंदी : कृपा प्राप्ति के लिए सरल पाठ

शिव चालीसा लिरिक्स इन हिंदी भगवान शिव की महिमा का बखान करने वाला एक अद्भुत और प्रभावशाली स्तोत्र है। Shiv Chalisa Lyrics In Hindi के प्रत्येक शब्द में भगवान शिव की महिमा और उनके दिव्य स्वरूप का वर्णन है। हिंदी भाषा में लिखी गई इस चालीसा में कुल 40 छंद हैं, जो भगवान शिव की … Read more

दुर्गा चालीसा लिखा हुआ नमो नमो दुर्गे सुख करनी,नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥ ॥   निरंकार है ज्योति तुम्हारी, तिहूं लोक फैली उजियारी॥२॥   शशि ललाट मुख महाविशाला, नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥३॥   रूप मातु को अधिक सुहावे, दरश करत जन अति सुख पावे॥४॥   तुम संसार शक्ति लै कीना, पालन हेतु अन्न धन दीना॥५॥   अन्नपूर्णा हुई जग पाला, तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥ ६॥   प्रलयकाल सब नाशन हारी, तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥ ७॥   शिव योगी तुम्हरे गुण गावें, ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥ ८ ॥   रूप सरस्वती को तुम धारा, दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥ ९ ॥   धरयो रूप नरसिंह को अम्बा, परगट भई फाड़कर खम्बा॥१०॥   रक्षा करि प्रह्लाद बचायो, हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥ ११॥   लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं, श्री नारायण अंग समाहीं॥१२ ॥   क्षीरसिन्धु में करत विलासा, दयासिन्धु दीजै मन आसा॥१३ ॥   हिंगलाज में तुम्हीं भवानी, महिमा अमित न जात बखानी॥१४ ॥   मातंगी अरु धूमावति माता, भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥१५॥   श्री भैरव तारा जग तारिणी, छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥ १६ ॥   केहरि वाहन सोह भवानी, लांगुर वीर चलत अगवानी॥१७॥   कर में खप्पर खड्ग विराजै, जाको देख काल डर भाजै॥ १८॥   सोहै अस्त्र और त्रिशूला, जाते उठत शत्रु हिय शूला॥ १९॥   नगरकोट में तुम्हीं विराजत, तिहुंलोक में डंका बाजत॥ २०॥   शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे, रक्तबीज शंखन संहारे॥ २१॥   महिषासुर नृप अति अभिमानी, जेहि अघ भार मही अकुलानी॥ २२॥   रूप कराल कालिका धारा, सेन सहित तुम तिहि संहारा॥ २३॥   परी गाढ़ संतन पर जब जब, भई सहाय मातु तुम तब तब॥ २४ ॥   अमरपुरी अरु बासव लोका, तब महिमा सब रहें अशोका॥ २५ ॥   ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी, तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥ २६ ॥   प्रेम भक्ति से जो यश गावें, दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥ २७ ॥   ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई, जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥ २८ ॥   जोगी सुर मुनि कहत पुकारी, योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥ २९ ॥   शंकर आचारज तप कीनो, काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥ ३० ॥   निशिदिन ध्यान धरो शंकर को, काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥ ३१ ॥   शक्ति रूप का मरम न पायो, शक्ति गई तब मन पछितायो॥ ३२ ॥   शरणागत हुई कीर्ति बखानी, जय जय जय जगदम्ब भवानी॥ ३३ ॥   भई प्रसन्न आदि जगदम्बा, दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥ ३४ ॥   मोको मातु कष्ट अति घेरो, तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥ ३५ ॥   आशा तृष्णा निपट सतावें, रिपू मुरख मौही डरपावे॥ ३६ ॥   शत्रु नाश कीजै महारानी, सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥३७ ॥   करो कृपा हे मातु दयाला, ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला॥ ३८ ॥   जब लगि जिऊं दया फल पाऊं, तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं॥ ३९ ॥   दुर्गा चालीसा जो कोई गावै, सब सुख भोग परमपद पावै।   देवीदास शरण निज जानी, करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥ ४० ॥   ॥ इति श्री दुर्गा चालीसा सम्पूर्ण ॥

Durga Chalisa Likha Hua | दुर्गा चालीसा लिखा हुआ: एक आध्यात्मिक शक्ति

दुर्गा चालीसा लिखा हुआ होना सभी भक्तों के लिए एक अच्छा साधन है यह चालीसा 40 श्लोकों से बना होता है, जिसमें माँ दुर्गा के अद्वितीय रूप, उनके शक्तिशाली गुण और विभिन्न शक्तियों का वर्णन किया गया है। Durga Chalisa Likha Hua होने से इसका पाठ करना सभी के लिए आसान हो जाता है और … Read more

दुर्गा चालीसा पाठ दुर्गा चालीसा नमो नमो दुर्गे सुख करनी, नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी।   निरंकार है ज्योति तुम्हारी, तिहूं लोक फैली उजियारी।   शशि ललाट मुख महाविशाला, नेत्र लाल भृकुटि विकराला।   रूप मातु को अधिक सुहावे, दरश करत जन अति सुख पावे।   तुम संसार शक्ति लै कीना,पालन हेतु अन्न धन दीना।   अन्नपूर्णा हुई जग पाला, तुम ही आदि सुन्दरी बाला।   प्रलयकाल सब नाशन हारी, तुम गौरी शिवशंकर प्यारी।   शिव योगी तुम्हरे गुण गावें, ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें।   रूप सरस्वती को तुम धारा, दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा।   धरयो रूप नरसिंह को अम्बा, परगट भई फाड़कर खम्बा।   रक्षा करि प्रह्लाद बचायो, हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो।   लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं, श्री नारायण अंग समाहीं।   क्षीरसिन्धु में करत विलासा, दयासिन्धु दीजै मन आसा।   हिंगलाज में तुम्हीं भवानी, महिमा अमित न जात बखानी।   मातंगी अरु धूमावति माता, भुवनेश्वरी बगला सुख दाता।   श्री भैरव तारा जग तारिणी, छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी।   केहरि वाहन सोह भवानी, लांगुर वीर चलत अगवानी।   कर में खप्पर खड्ग विराजै, जाको देख काल डर भाजै।   सोहै अस्त्र और त्रिशूला, जाते उठत शत्रु हिय शूला।   नगरकोट में तुम्हीं विराजत, तिहुंलोक में डंका बाजत।   शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे, रक्तबीज शंखन संहारे।   महिषासुर नृप अति अभिमानी, जेहि अघ भार मही अकुलानी।   रूप कराल कालिका धारा, सेन सहित तुम तिहि संहारा।   परी गाढ़ संतन पर जब जब, भई सहाय मातु तुम तब तब.   अमरपुरी अरु बासव लोका, तब महिमा सब रहें अशोका।   ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी, तुम्हें सदा पूजें नर-नारी।   प्रेम भक्ति से जो यश गावें, दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें।   ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई, जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई।   जोगी सुर मुनि कहत पुकारी, योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी।   शंकर आचारज तप कीनो, काम अरु क्रोध जीति सब लीनो।   निशिदिन ध्यान धरो शंकर को, काहु काल नहिं सुमिरो तुमको।   शक्ति रूप का मरम न पायो, शक्ति गई तब मन पछितायो।   शरणागत हुई कीर्ति बखानी, जय जय जय जगदम्ब भवानी।   भई प्रसन्न आदि जगदम्बा, दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा।   मोको मातु कष्ट अति घेरो, तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो।   आशा तृष्णा निपट सतावें, रिपू मुरख मौही डरपावे।   शत्रु नाश कीजै महारानी, सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी।   करो कृपा हे मातु दयाला, ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला।   जब लगि जिऊं दया फल पाऊं , तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं।   दुर्गा चालीसा जो कोई गावै, सब सुख भोग परमपद पावै।   देवीदास शरण निज जानी, करहु कृपा जगदम्ब भवानी।

Durga Chalisa Paath | दुर्गा चालीसा पाठ: एक अद्भुत साधना

दुर्गा चालीसा पाठ एक शक्तिशाली और प्रभावी भक्ति कर्म है, जिसे भक्तों द्वारा माँ दुर्गा की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए नियमित रूप से किया जाता है। Durga Chalisa Paath माँ दुर्गा की स्तुति और उनके विभिन्न रूपों की महिमा का वर्णन करती है। दुर्गा चालीसा 40 श्लोकों में माँ दुर्गा की शक्ति, … Read more

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गणेश चालीसा इन हिंदी PDF | Ganesh Chalisa In Hindi PDF : भक्तों के लिए विशेष

आज के डिजिटल युग में गणेश चालीसा इन हिंदी पीडीएफ एक आदर्श विकल्प बन गया है। यह पीडीएफ उन भक्तों के लिए बहुत उपयोगी है जो चालीसा का पाठ सरलता और आसानी से करना चाहते हैं। Ganesh Chalisa In Hindi Pdf संस्करण डाउनलोड करना अब बेहद आसान हो गया है, और यह भक्तों को इस … Read more

Durga Chalisa Aarti नमो नमो दुर्गे सुख करनी नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥१॥ निरंकार है ज्योति तुम्हारी तिहूं लोक फैली उजियारी॥ शशि ललाट मुख महाविशाला नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥ रूप मातु को अधिक सुहावे दरश करत जन अति सुख पावे॥ तुम संसार शक्ति लै कीना पालन हेतु अन्न-धन दीना॥ अन्नपूर्णा हुई जग पाला तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥ प्रलयकाल सब नाशन हारी तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥ शिव योगी तुम्हरे गुण गावें ब्रह्मा-विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥ रूप सरस्वती को तुम धारा दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥ धरयो रूप नरसिंह को अम्बा परगट भई फाड़कर खम्बा॥ रक्षा करि प्रह्लाद बचायो हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥ लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं श्री नारायण अंग समाहीं॥ क्षीरसिन्धु में करत विलासा दयासिन्धु दीजै मन आसा॥ हिंगलाज में तुम्हीं भवानी महिमा अमित न जात बखानी॥ मातंगी अरु धूमावति माता भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥ श्री भैरव तारा जग तारिणी छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥ केहरि वाहन सोह भवानी लांगुर वीर चलत अगवानी॥ कर में खप्पर-खड्ग विराजै जाको देख काल डर भाजै॥ सोहै अस्त्र और त्रिशूला जाते उठत शत्रु हिय शूला॥ नगरकोट में तुम्हीं विराजत तिहुंलोक में डंका बाजत॥ शुंभ-निशुंभ दानव तुम मारे रक्तबीज शंखन संहारे॥ महिषासुर नृप अति अभिमानी जेहि अघ भार मही अकुलानी॥ रूप कराल कालिका धारा सेन सहित तुम तिहि संहारा॥ परी गाढ़ संतन पर जब जब भई सहाय मातु तुम तब तब॥ अमरपुरी अरु बासव लोका तब महिमा सब रहें अशोका॥ ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥ प्रेम भक्ति से जो यश गावें दुःख-दरिद्र निकट नहिं आवें॥ ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥ जोगी सुर मुनि कहत पुकारी योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥ शंकर आचारज तप कीनो काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥ निशिदिन ध्यान धरो शंकर को काहु काल नहि सुमिरो तुमको॥ शक्ति रूप का मरम न पायो शक्ति गई तब मन पछितायो॥ शरणागत हुई कीर्ति बखानी जय जय जय जगदम्ब भवानी॥ भई प्रसन्न आदि जगदम्बा दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥ मोको मातु कष्ट अति घेरो तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥ आशा तृष्णा निपट सतावें रिपू मुरख मौही डरपावे॥ शत्रु नाश कीजै महारानी सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥ करो कृपा हे मातु दयाला ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला। जब लगि जिऊं दया फल पाऊं तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं॥ दुर्गा चालीसा जो कोई गावै सब सुख भोग परमपद पावै॥ देवीदास शरण निज जानी करहु कृपा जगदम्बा भवानी॥ दुर्गा माता की जय… दुर्गा माता की जय… दुर्गा माता की जय

दुर्गा चालीसा आरती | Durga Chalisa Aarti : सम्पूर्ण आरती संग्रह

दुर्गा चालीसा आरती हमारे हिंदू धर्म में मां दुर्गा की भक्ति का एक अनमोल हिस्सा हैं। ये न केवल आस्था और श्रद्धा को प्रकट करते हैं, बल्कि हमें देवी दुर्गा की दिव्य ऊर्जा से जोड़ने का माध्यम भी बनते हैं। Durga Chalisa Aarti के 40 चौपाइयों में मां के नौ रूपों की महिमा का गुणगान … Read more

दुर्गा चालीसा नमो नमो दुर्गे सुख करनी, नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥1॥ निरंकार है ज्योति तुम्हारी, तिहूं लोक फैली उजियारी॥2॥ शशि ललाट मुख महाविशाला, नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥3॥ रूप मातु को अधिक सुहावे, दरश करत जन अति सुख पावे॥4॥ तुम संसार शक्ति लै कीना, पालन हेतु अन्न धन दीना॥5॥ अन्नपूर्णा हुई जग पाला, तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥6॥ प्रलयकाल सब नाशन हारी, तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥7॥ शिव योगी तुम्हरे गुण गावें, ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥8॥ रूप सरस्वती को तुम धारा, दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥9॥ धरयो रूप नरसिंह को अम्बा, परगट भई फाड़कर खम्बा॥10॥ रक्षा करि प्रह्लाद बचायो, हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥11॥ लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं, श्री नारायण अंग समाहीं॥12॥ क्षीरसिन्धु में करत विलासा, दयासिन्धु दीजै मन आसा॥13॥ हिंगलाज में तुम्हीं भवानी, महिमा अमित न जात बखानी॥14॥ मातंगी अरु धूमावति माता, भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥15॥ श्री भैरव तारा जग तारिणी, छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥16॥ केहरि वाहन सोह भवानी, लांगुर वीर चलत अगवानी॥17॥ कर में खप्पर खड्ग विराजै, जाको देख काल डर भाजै॥18॥ सोहै अस्त्र और त्रिशूला, जाते उठत शत्रु हिय शूला॥19॥ नगरकोट में तुम्हीं विराजत, तिहुंलोक में डंका बाजत॥20॥ शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे, रक्तबीज शंखन संहारे॥21॥ महिषासुर नृप अति अभिमानी, जेहि अघ भार मही अकुलानी॥22॥ रूप कराल कालिका धारा, सेन सहित तुम तिहि संहारा॥23॥ परी गाढ़ संतन पर जब जब, भई सहाय मातु तुम तब तब॥24॥ अमरपुरी अरु बासव लोका, तब महिमा सब रहें अशोका॥25॥ ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी, तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥26॥ प्रेम भक्ति से जो यश गावें, दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥27॥ ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई, जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥28॥ जोगी सुर मुनि कहत पुकारी, योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥29॥ शंकर आचारज तप कीनो, काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥30॥ निशिदिन ध्यान धरो शंकर को, काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥31॥ शक्ति रूप का मरम न पायो, शक्ति गई तब मन पछितायो॥32॥ शरणागत हुई कीर्ति बखानी, जय जय जय जगदम्ब भवानी॥33॥ भई प्रसन्न आदि जगदम्बा, दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥34॥ मोको मातु कष्ट अति घेरो, तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥35॥ आशा तृष्णा निपट सतावें, रिपू मुरख मौही डरपावे॥36॥ शत्रु नाश कीजै महारानी, सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥37॥ करो कृपा हे मातु दयाला, ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला॥38॥ जब लगि जिऊं दया फल पाऊं, तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं॥39॥ दुर्गा चालीसा जो कोई गावै, सब सुख भोग परमपद पावै॥40॥ देवीदास शरण निज जानी, करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥41॥ ॥ॐ॥ इति श्री दुर्गा चालीसा सम्पूर्ण ॥ॐ॥

दुर्गा चालीसा | Durga Chalisa : एक अद्भुत शक्ति और श्रद्धा का प्रतीक

दुर्गा चालीसा, माँ दुर्गा की महिमा और उनकी कृपा का गान करने वाला एक पवित्र ग्रंथ है। यह 40 छंदों का संग्रह है, जो न केवल देवी की स्तुति करता है, बल्कि भक्तों के मन को शक्ति, साहस और विश्वास से भी भर देता है। भारत में Durga Chalisa विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान … Read more

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दुर्गा चालीसा PDF | Durga Chalisa PDF : देवी दुर्गा की कृपा और आशीर्वाद का अद्भुत स्रोत

आजकल, तकनीकी युग में, दुर्गा चालीसा PDF के रूप में आसानी से उपलब्ध है, जिसे कोई भी अपने मोबाइल या कंप्यूटर पर डाउनलोड कर सकता है। Durga Chalisa Pdf फ़ॉर्मेट में यह सुविधा विशेष रूप से उन भक्तों के लिए लाभकारी है जो रोजाना माँ की आराधना करना चाहते हैं, लेकिन उन्हें प्रिंटेड पुस्तक उपलब्ध … Read more