बृहस्पति स्तोत्रम्: जीवन में समृद्धि और सुख प्राप्ति का सर्वोत्तम उपाय

बृहस्पति स्तोत्रम् एक शक्तिशाली मंत्र है, जो बृहस्पति देव की पूजा के लिए पढ़ा जाता है। बृहस्पति देव को ज्ञान, समृद्धि और सफलता का देवता माना जाता है। Brihaspati Stotram का नियमित जाप जीवन में शांति, सुख और समृद्धि लाने में मदद करता है। अगर आप अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव चाहते हैं, तो Shri Brihaspati Stotram का पाठ आपके लिए अत्यंत लाभकारी हो सकता है।

Brihaspati Stotram

क्रौं शक्रादि देवै: परिपूजितोसि त्वं जीवभूतो जगतो हिताय।
ददाति यो निर्मलशास्त्रबुद्धिं स वाक्पतिर्मे वितनोतु लक्ष्मीम्॥

पीताम्बर: पीतवपु: किरीटश्र्वतुर्भजो देव गुरु: प्रशांत:।
दधाति दण्डं च कमण्डलुं च तथाक्षसूत्रं वरदोस्तुमहम्॥

ब्रहस्पति: सुराचार्योदयावानछुभलक्षण:।
लोकत्रयगुरु: श्रीमान्सर्वज्ञ: सर्वतो विभु:॥

सर्वेश: सर्वदा तुष्ठ: श्रेयस्क्रत्सर्वपूजित:।
अकोधनो मुनिश्रेष्ठो नितिकर्ता महाबल:॥

विश्र्वात्मा विश्र्वकर्ता च विश्र्वयोनिरयोनिज:।
भूर्भुवो धनदाता च भर्ता जीवो जगत्पति:॥

पंचविंशतिनामानि पुण्यानि शुभदानि च।
नन्दगोपालपुत्राय भगवत्कीर्तितानि च॥

प्रातरुत्थाय यो नित्यं कीर्तयेत्तु समाहितः।
विप्रस्तस्यापि भगवान् प्रीत: स च न संशय:॥

तंत्रान्तरेपि नम: सुरेन्द्रवन्धाय देवाचार्याय ते नम:।
नमस्त्त्वनन्तसामर्थ्य वेदसिद्वान्तपारग॥

सदानन्द नमस्तेस्तु नम: पीड़ाहराय च।
नमो वाचस्पते तुभ्यं नमस्ते पीतवाससे॥

नमोऽद्वितियरूपाय लम्बकूर्चाय ते नम:।
नम: प्रहष्टनेत्राय विप्राणां पतये नम:॥

नमो भार्गवशिष्याय विपन्नहितकारक।
नमस्ते सुरसैन्याय विपन्नत्राणहेतवे॥

विषमस्थस्तथा न्रणां सर्वकष्टप्रणाशमन्।
प्रत्यहं तु पठेधो वै तस्यकामफलप्रदम्॥

Brihaspati Stotram

क्रौं शक्रादि देवै: परिपूजितोसि त्वं जीवभूतो जगतो हिताय।
ददाति यो निर्मलशास्त्रबुद्धिं स वाक्पतिर्मे वितनोतु लक्ष्मीम्॥

पीताम्बर: पीतवपु: किरीटश्र्वतुर्भजो देव गुरु: प्रशांत:।
दधाति दण्डं च कमण्डलुं च तथाक्षसूत्रं वरदोस्तुमहम्॥

ब्रहस्पति: सुराचार्योदयावानछुभलक्षण:।
लोकत्रयगुरु: श्रीमान्सर्वज्ञ: सर्वतो विभु:॥

सर्वेश: सर्वदा तुष्ठ: श्रेयस्क्रत्सर्वपूजित:।
अकोधनो मुनिश्रेष्ठो नितिकर्ता महाबल:॥

विश्र्वात्मा विश्र्वकर्ता च विश्र्वयोनिरयोनिज:।
भूर्भुवो धनदाता च भर्ता जीवो जगत्पति:॥

पंचविंशतिनामानि पुण्यानि शुभदानि च।
नन्दगोपालपुत्राय भगवत्कीर्तितानि च॥

प्रातरुत्थाय यो नित्यं कीर्तयेत्तु समाहितः।
विप्रस्तस्यापि भगवान् प्रीत: स च न संशय:॥

तंत्रान्तरेपि नम: सुरेन्द्रवन्धाय देवाचार्याय ते नम:।
नमस्त्त्वनन्तसामर्थ्य वेदसिद्वान्तपारग॥

सदानन्द नमस्तेस्तु नम: पीड़ाहराय च।
नमो वाचस्पते तुभ्यं नमस्ते पीतवाससे॥

नमोऽद्वितियरूपाय लम्बकूर्चाय ते नम:।
नम: प्रहष्टनेत्राय विप्राणां पतये नम:॥

नमो भार्गवशिष्याय विपन्नहितकारक।
नमस्ते सुरसैन्याय विपन्नत्राणहेतवे॥

विषमस्थस्तथा न्रणां सर्वकष्टप्रणाशमन्।
प्रत्यहं तु पठेधो वै तस्यकामफलप्रदम्॥

बृहस्पति स्तोत्रम् का नियमित पाठ आपके जीवन को दिशा दे सकता है और आपको बृहस्पति देव की कृपा प्राप्त हो सकती है। यदि आप चाहते हैं कि आपके जीवन में समृद्धि, सफलता, और खुशहाली आए, तो इस स्तोत्र का नियमित रूप से जाप करना आवश्यक है। अगर आप इसके बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो हमारी वेबसाइट पर दिए गए अन्य स्तोत्रों और पूजा विधियों के बारे में भी पढ़ें।

कृपा से पाठ विधि

Brihaspati Stotram का पाठ विशेष रूप से बृहस्पति देव की पूजा और उपासना के लिए किया जाता है। इसे सुबह सूर्योदय से पहले और विशेष रूप से गुरुवार (गुरु के दिन) पढ़ना सबसे प्रभावी होता है।

  1. साफ और स्वच्छ स्थान पर बैठें और गंगाजल या ताजे पानी से स्नान करें।
  2. गायत्री मंत्र का उचारण करके अपने मन को शांत करें।
  3. अब बृहस्पति स्तोत्र का पाठ करें, इसे 11, 21 या 108 बार पढ़ने का सामान्य रूप से रिवाज है।
  4. ध्यान रखें कि पाठ करते समय आपका मन और विचार एकाग्र रहे।
  5. पाठ के बाद बृहस्पति देव का ध्यान करते हुए प्रसाद चढ़ाएं और उनके आशीर्वाद की प्रार्थना करें।

FAQ

क्या इस स्तोत्र का पाठ हर दिन करना चाहिए?

हां, स्तोत्र का नियमित पाठ आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है, खासकर यदि आप इसे हर गुरुवार को ध्यान और श्रद्धा से करते हैं।

क्या इस स्तोत्र का पाठ करना केवल बृहस्पति देव की पूजा से संबंधित है?

इसको को किस प्रकार पढ़ना चाहिए?

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