यह कथा एक गरीब महिला की है, जिसका जीवन बृहस्पति देव (गुरु ग्रह) के दोष के कारण कई समस्याओं से घिरा हुआ था। वह महिला जीवन में हर पहलू में असफल होती जा रही थी। इसी बीच, उसकी मुलाकात एक संत से हुई, जिनसे उसे गुरु ग्रह दोष निवारण कथा के बारे में पता चला। आइए जानते हैं Guru Grah Dosh Nivaaran Katha के माध्यम से कैसे इस महिला ने गुरु ग्रह के दोष से छुटकारा पाया।

Guru Grah Dosh Nivaaran Katha
एक गरीब महिला का जीवन संघर्ष
किसी छोटे से गाँव में एक महिला रहती थी, जिसका नाम कुमारी राधा था। वह महिला बहुत ही गरीब थी, लेकिन मेहनत और ईमानदारी से अपना जीवन यापन करती थी। वह किसी भी काम में पीछे नहीं रहती थी, लेकिन उसके जीवन में हर कदम पर विफलता और दुख ही मिलते थे।
राधा का जीवन किसी भी दृष्टिकोण से अच्छा नहीं था। न तो उसका व्यापार चल रहा था, न ही घर में शांति थी। वह हमेशा कुछ न कुछ नकारात्मक घटित होते हुए महसूस करती थी। उसकी बेटी की शादी में भी समस्याएँ आ रही थीं, और वह दुखों से घिरी हुई थी।
राधा के मन में हमेशा एक सवाल उठता था कि “क्या कारण है कि मैं इतना मेहनत करने के बावजूद सफलता नहीं पा रही हूँ?” उसने कई बार भगवान से प्रार्थना की, लेकिन उसके जीवन में कोई बदलाव नहीं आ रहा था।
संत से मुलाकात और गुरु ग्रह के दोष का पता लगना
एक दिन राधा अपने घर से बाहर जा रही थी, जब उसने एक साधू संत को देखा। संत बहुत ही शांत और दिव्य आभा से युक्त थे। राधा ने उन्हें प्रणाम किया और फिर उनसे अपने दुखों के बारे में पूछा। संत ने उसकी बातें बड़े ध्यान से सुनीं और फिर कहा, “तुम्हारी समस्याओं का कारण तुम्हारे जीवन में गुरु ग्रह का दोष है। गुरु ग्रह तुम्हारे जीवन में कई बाधाएँ उत्पन्न कर रहा है। जब तक यह दोष शांत नहीं होगा, तुम्हें इन परेशानियों से छुटकारा नहीं मिलेगा।”
राधा हैरान हो गई, उसने कभी सुना नहीं था कि किसी ग्रह के कारण किसी के जीवन में इतनी समस्याएँ आ सकती हैं। संत ने उसे बताया कि गुरु ग्रह का जीवन में बहुत महत्वपूर्ण स्थान होता है। यदि गुरु ग्रह की स्थिति खराब हो, तो यह व्यक्ति के जीवन में समस्याएँ उत्पन्न करता है, जैसे कि आर्थिक तंगी, शिक्षा में विफलता, पारिवारिक कलह, और मानसिक शांति की कमी।
व्रत और पूजा का तरीका
संत ने राधा को गुरुवार व्रत करने की सलाह दी, जो गुरु ग्रह के दोष को निवारण करने के लिए अत्यंत प्रभावशाली है। उन्होंने राधा से कहा, “तुम हर गुरुवार को उपवासी रहकर गुरु ग्रह की पूजा करो। इस व्रत से तुम गुरु ग्रह की कृपा प्राप्त करोगी और तुम्हारा जीवन सुधर जाएगा।”
संत ने राधा को गुरु ग्रह पूजा की विधि बताई:
- गुरुवार को उपवासी रहना: राधा को हर गुरुवार को उपवासी रहना था और संपूर्ण दिन बृहस्पति देव की पूजा करनी थी।
- गुरु ग्रह का पूजन: बृहस्पति देव के फोटो या मूर्ति के सामने पीले फूल, हल्दी, चावल और मिठाई अर्पित करनी थी। राधा को शुद्ध मन से पूजा करनी थी और बृहस्पति देव से कृपा की प्रार्थना करनी थी।
- मंत्र जाप: राधा को “ॐ बृं बृहस्पतये नमः” मंत्र का जाप करना था। इस मंत्र का 108 बार जाप करने से गुरु ग्रह की कृपा प्राप्त होती है।
- दान: पूजा के बाद, राधा को किसी गरीब को पीले वस्त्र, खीर, और अन्य आवश्यक सामग्री दान करनी थी। दान से गुरु ग्रह प्रसन्न होते हैं और जीवन में खुशियाँ आती हैं।
व्रत के प्रभाव और जीवन में बदलाव
राधा ने संत की बातों को गांठ बांध लिया और अगले गुरुवार से ही व्रत करना शुरू कर दिया। पहले गुरुवार से ही उसने गुरु ग्रह की पूजा पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ की। अगले कुछ दिनों में उसे छोटे-छोटे बदलाव महसूस होने लगे।
राधा के घर में पहले की तरह कलह और विवाद नहीं थे। परिवार में शांति का वातावरण बना। उसका पति जो हमेशा चिंता और तनाव में रहता था, अब खुश रहने लगा। राधा के व्यापार में भी धीरे-धीरे सुधार होने लगा। पहले जो व्यापार नहीं चल पा रहा था, अब वह धीरे-धीरे चलने लगा और मुनाफा भी होने लगा।
राधा ने देखा कि अब उसकी बेटी की शादी के प्रस्ताव भी अच्छे से आने लगे और जल्द ही उसकी बेटी की शादी एक अच्छे घर में हो गई। उसके जीवन में जो भी समस्या थी, वह सब धीरे-धीरे समाप्त हो रही थी। वह समझ पाई कि यह सब बृहस्पति देव की कृपा से हुआ था।
कथा का अंत – गुरु ग्रह की कृपा से जीवन में सुख-शांति
कुछ महीनों बाद, राधा ने गुरु ग्रह के व्रत और पूजा को पूरी तरह से अपने जीवन का हिस्सा बना लिया। अब उसका जीवन पहले की तुलना में बहुत खुशहाल और समृद्ध था। उसने महसूस किया कि गुरु ग्रह की कृपा से उसके जीवन में बुरी स्थिति समाप्त हो गई और उसकी सभी समस्याएँ हल हो गईं।
राधा अब अन्य लोगों को भी गुरु ग्रह व्रत के बारे में बताती थी और यह सिखाती थी कि किस तरह ईश्वर की भक्ति और सही व्रत से जीवन में सुधार किया जा सकता है।
कथा का संदेश
यह कथा हमें यह सिखाती है कि किसी भी ग्रह के दोष को शांत करने के लिए हमें पूरी श्रद्धा, विश्वास और सही विधि से पूजा करनी चाहिए। गुरु ग्रह का व्रत और पूजा जीवन में खुशियाँ, समृद्धि और मानसिक शांति ला सकती है। यदि हम सच्चे मन से व्रत करते हैं, तो हमें भगवान की कृपा जरूर प्राप्त होती है और हमारे जीवन के सभी दुख समाप्त हो जाते हैं।
गुरु ग्रह का व्रत न केवल समस्याओं का निवारण करता है, बल्कि यह व्यक्ति के जीवन को नया दिशा भी देता है। इसलिए गुरु ग्रह की पूजा और व्रत को अपने जीवन में अपनाना अत्यंत लाभकारी है। भगवान बृहस्पति देव के अन्य कथाओं को भी आप यहां पढ़ सकते हैं। जो इस प्रकार से हैं – बृहस्पति देव और राजा की कथा, गुरुवार व्रत कथा और बृहस्पति देव महिमा कथा आदि।
FAQ
गुरु ग्रह दोष क्या होता है?
यह दोष तब उत्पन्न होता है जब कुंडली में बृहस्पति ग्रह अशुभ स्थिति में होता है, जैसे कि नीच राशि में, राहु-केतु या शनि के प्रभाव में, जिससे जीवन में बाधाएँ, आर्थिक समस्याएँ और शिक्षा में रुकावटें आती हैं।
इस दोष के लक्षण क्या होते हैं?
इसके लक्षण – शिक्षा और करियर में बाधाएँ, विवाह में देरी या दांपत्य जीवन में समस्याएँ, आर्थिक परेशानियाँ और ऋण बढ़ना, आत्मविश्वास में कमी और निर्णय लेने में कठिनाई का आना इत्यादि हैं।
इस कथा को पढ़ने का क्या लाभ है?
यह कथा पढ़ने और पालन करने से गुरु ग्रह का अशुभ प्रभाव कम होता है, जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं, करियर में उन्नति होती है और दांपत्य जीवन सुखद बनता है।
क्या यह उपाय सभी के लिए प्रभावी है?
हाँ, गुरु ग्रह की कृपा पाने के लिए ये उपाय और कथा सभी के लिए लाभकारी होती है, लेकिन कुंडली के अनुसार किसी विद्वान ज्योतिषी से परामर्श लेना भी उचित होता है।

मैं हेमानंद शास्त्री, एक साधारण भक्त और सनातन धर्म का सेवक हूँ। मेरा उद्देश्य धर्म, भक्ति और आध्यात्मिकता के रहस्यों को सरल भाषा में भक्तों तक पहुँचाना है। शनि देव, बालाजी, हनुमान जी, शिव जी, श्री कृष्ण और अन्य देवी-देवताओं की महिमा का वर्णन करना मेरे लिए केवल लेखन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक साधना है। मैं अपने लेखों के माध्यम से पूजन विधि, मंत्र, स्तोत्र, आरती और धार्मिक ग्रंथों का सार भक्तों तक पहुँचाने का प्रयास करता हूँ। 🚩 जय सनातन धर्म 🚩