भैरव अष्टमी, जिसे कालाष्टमी भी कहा जाता है, भगवान काल भैरव की उपासना का विशेष पर्व है। यह पर्व हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, लेकिन मार्गशीर्ष माह की अष्टमी को इसका विशेष महत्व होता है, जिसे काल Bhairav Jayanti के रूप में मनाया जाता है। आइये आपको इस Bhairav Ashtami से जुडी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी बताते है –
Bhairav Ashtami का महत्व
Kaal Bhairav Ashtami भगवान शिव के रौद्र रूप, काल भैरव की पूजा का दिन है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से भक्तों को भय, रोग, शत्रु और तंत्र बाधाओं से मुक्ति मिलती है। यह दिन विशेष रूप से तांत्रिक साधना, आत्मबल और सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। भक्त इस दिन उपवास रखते हैं, विशेष मंत्रों का जाप करते हैं और कुत्तों को भोजन कराते हैं, जो काल भैरव की सवारी माने जाते हैं।
2025 में इस अष्टमी की तिथियाँ
2025 में मासिक कालाष्टमी की प्रमुख तिथियाँ इस प्रकार हैं:
- 21 जनवरी 2025 (मंगलवार) – माघ, कृष्ण अष्टमी
- 20 फरवरी 2025 (गुरुवार) – फाल्गुन, कृष्ण अष्टमी
- 20 मार्च 2025 (गुरुवार) – चैत्र कृष्ण, अष्टमी
- 20 अप्रैल 2025 (रविवार) – वैशाख, कृष्ण अष्टमी
- 20 मई 2025 (मंगलवार) – ज्येष्ठ, कृष्ण अष्टमी
- 18 जून 2025 (बुधवार) – आषाढ़, कृष्ण अष्टमी
- 17 जुलाई 2025 (बृहस्पतिवार) – श्रावण, कृष्ण अष्टमी
- 16 अगस्त 2025 (शनिवार) – भाद्रपद, कृष्ण अष्टमी
- 14 सितम्बर 2025 (रविवार) – आश्विन, कृष्ण अष्टमी
- 13 अक्टूबर 2025 (सोमवार) – कार्तिक, कृष्ण अष्टमी
- 12 नवंबर 2025 (बुधवार) – मार्गशीर्ष, कृष्ण अष्टमी
- 11 दिसंबर 2025 (बृहस्पतिवार) – पौष, कृष्ण अष्टमी
अष्टमी 2025 से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी
विषय | विवरण |
---|---|
पर्व का नाम | भैरव अष्टमी / कालाष्टमी |
तिथि (2025) | ऊपर दिए हुए तिथि के अनुसार |
तिथि की विशेषता | काल भैरव की प्रकट होने की रात्रि |
प्रमुख पूज्य देवता | काल भैरव (भगवान शिव का रौद्र रूप) |
पूजा का समय | रात्री 12:00 से लेकर अष्टमी समापन तक |
पूजा के लाभ | भय से मुक्ति, बुरी शक्तियों से रक्षा, तांत्रिक सिद्धियाँ प्राप्त करना |
विशेष अनुष्ठान | काल भैरव चालीसा पाठ, दीपदान, सरसों तेल का अभिषेक, मदिरा अर्पण |
प्रमुख मंदिर दर्शन | काल भैरव मंदिर (वाराणसी, उज्जैन), बटुक भैरव मंदिर (दिल्ली), नाकोड़ा भैरव |
अनुशंसित मंत्र | “ॐ कालभैरवाय नमः”, “काल भैरव गायत्री मंत्र” |
व्रत विधि | अष्टमी तिथि को उपवास, रात्रि जागरण, तिल व काले वस्त्र का दान |
पूजा विधि और नियम
- शुद्धता: प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- व्रत: दिनभर उपवास रखें और केवल फलाहार करें।
- पूजा सामग्री: सरसों का तेल, काले तिल, काले वस्त्र, नींबू, नारियल, अगरबत्ती, लाल पुष्प, और विशेष तांत्रिक पूजा में मदिरा का प्रयोग होता है।
- मंत्र जाप: “ॐ कालभैरवाय नमः” मंत्र का जाप करें।
- दीपदान: सरसों के तेल का दीपक जलाकर भगवान काल भैरव को अर्पित करें।
- भोजन: कुत्तों को भोजन कराना शुभ माना जाता है।
Kaal Bhairav Ashtami का पर्व भक्तों को आत्मबल, साहस और निडरता प्रदान करता है। इस दिन की पूजा विधि और नियमों का पालन करके भक्त भगवान काल भैरव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
प्रमुख काल भैरव मंदिर
- काशी काल भैरव मंदिर (वाराणसी): काल भैरव की राजधानी मानी जाती है।
- काल भैरव मंदिर (उज्जैन): महाकाल की भूमि पर स्थित यह मंदिर अति चमत्कारी माना जाता है।
- बटुक भैरव मंदिर (दिल्ली): बच्चों की रक्षा हेतु प्रसिद्ध।
Bhairav Ashtami का पर्व न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह आत्मरक्षा, तांत्रिक ऊर्जा और भय नाशक शक्ति की प्रतीक भी है। यदि आप काल भैरव की संपूर्ण महिमा को जानना चाहते हैं तो हमारे विस्तृत लेख काल भैरव कौन हैं अवश्य पढ़ें। इसके अलावा भैरव बाबा मंत्र और बटुक भैरव मंदिर दिल्ली से जुड़ी जानकारी भी आपको भैरव साधना में गहराई प्रदान करेगी।
FAQ
इस दिन काल भैरव को क्या भोग लगाया जाता है?
उन्हें सरसों का तेल, काले तिल, उड़द, काले वस्त्र और कई जगहों पर मद्य का भोग भी अर्पित किया जाता है।
भारत में भैरव जी की अष्टमी कहां-कहां विशेष रूप से मनाई जाती है?
वाराणसी, उज्जैन, कालका, कटरा, कोलकाता और दिल्ली के भैरव मंदिरों में भारी भीड़ और विशेष आयोजन होते हैं।
इस दिन कौन-से रंग के वस्त्र पहनना शुभ होता है?
इस दिन काले या गहरे नीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है, क्योंकि ये रंग भैरव देव से जुड़े होते हैं।
क्या अष्टमी वाले दिन भैरव जी को शराब चढ़ाना ज़रूरी है?
यह परंपरा केवल कुछ विशेष मंदिरों में ही प्रचलित है, जैसे उज्जैन या वाराणसी में। यह भक्त की आस्था और परंपरा पर निर्भर करता है।

मैं शिवप्रिया पंडित, माँ शक्ति का एक अनन्य भक्त और विंध्येश्वरी देवी, शैलपुत्री माता और चिंतापूर्णी माता की कृपा से प्रेरित एक आध्यात्मिक साधक हूँ। मेरा उद्देश्य माँ के भक्तों को उनके दिव्य स्वरूप, उपासना विधि और कृपा के महत्व से अवगत कराना है, ताकि वे अपनी श्रद्धा और भक्ति को और अधिक दृढ़ बना सकें। मेरे लेखों में इन देवी शक्तियों के स्तोत्र, चालीसा, आरती, मंत्र, कथा और पूजन विधियाँ शामिल होती हैं, ताकि हर भक्त माँ की आराधना सही विधि से कर सके और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को सुख-समृद्धि से भर सके। जय माता दी! View Profile