बटुक भैरव भगवान शिव के एक बाल रूप हैं, जिनकी पूजा विशेष रूप से उनके भक्तों द्वारा बच्चों के भूत-प्रेत से सुरक्षा, भयमुक्ति और मानसिक शांति के लिए की जाती है। Batuk Bhairav को तांत्रिक साधना का देवता भी माना जाता है। यह रूप भैरव के रौद्र रूप से बिलकुल अलग और सौम्य होता है, जो भक्तों को मानसिक और भौतिक रूप से शांति और सुरक्षा प्रदान करता है-
Batuk Bhairav
Batuk Bhairav की उपासना न केवल भय और बाधाओं से मुक्ति दिलाती है, बल्कि साधक को आत्मिक बल और मानसिक शांति भी प्रदान करती है। यदि आप भैरव साधना के रहस्यों को और गहराई से समझना चाहते हैं, तो काल भैरव कौन हैं और भैरव बाबा मंत्र जैसे लेख अवश्य पढ़ें। साथ ही, दिल्ली स्थित बटुक भैरव मंदिर की चमत्कारी महिमा भी जानें, जहाँ भक्तों को विशेष भयमुक्ति और बाल सुरक्षा का अनुभव होता है।
इनकी उत्पत्ति और महिमा
Batuk Bhairav की उत्पत्ति भगवान शिव के उग्र रूप से जुड़ी हुई है, लेकिन उनका यह रूप अत्यंत सौम्य और शांति देने वाला होता है। कथा के अनुसार, जब भगवान शिव ने भैरव रूप में अवतार लिया, तो वे विशेष रूप से अपने भक्तों की रक्षा करने के लिए प्रकट हुए। इनका रूप बालक के रूप में आने के बाद, उन्हें बच्चों के रक्षक के रूप में पूजा जाने लगा। यह रूप विशेष रूप से बच्चो के स्वास्थ्य, खुशहाली और मानसिक शांति के लिए पूजनीय माना गया।
बटुक जी का मंत्र
बीज मंत्र
ॐ बटुकाय नमः
गायत्री मंत्र
ॐ बटुकाय विद्महे,
शिव रूपाय धीमहि।
तन्नो बटुक: प्रचोदयात्॥
इनके पूजा का समय, सामग्री एवं विधि
- पूजा का दिन और समय: इनकी पूजा विशेष रूप से मंगलवार, रविवार और बटुक भैरव अष्टमी को की जाती है।
- आवश्यक सामग्री: लाल फूल, दीपक और अगरबत्ती, नारियल, दूध, शहद और विशेष पूजा में तांत्रिक पूजन सामग्री।
पूजा विधि
- प्रातः स्नान करके लाल या काले वस्त्र पहनें।
- दीपक जलाकर इनका ध्यान करें।
- भैरव चालीसा या मंत्र का जाप करें।
- नारियल अर्पित करें और बच्चों की रक्षा के लिए विशेष रूप से आशीर्वाद लें।
- तांत्रिक पूजा में विशेष रूप से दूध और शहद का अर्पण किया जाता है।
बाबा बटुक भैरवनाथ जी के प्रमुख मंदिर
इनसे जुड़ी मान्यताएँ
- बच्चों की रक्षा: इनको विशेष रूप से बच्चों के रक्षक के रूप में पूजा जाता है, इसलिए माता-पिता उन्हें बच्चों की रक्षा के लिए पूजा करते हैं।
- तंत्र साधना: इनका पूजा तंत्र साधना से भी जुड़ा हुआ है, विशेष रूप से मानसिक शांति और भयमुक्ति के लिए।
- कुत्तों को भोजन देना: इनकी सवारी कुत्ता है, इसलिए भक्त कुत्तों को भोजन अर्पित करते हैं।
FAQ
इनकी पूजा कब करें?
पूजा विशेष रूप से मंगलवार, रविवार और बटुक भैरव अष्टमी को की जाती है।
क्या भैरव की पूजा घर में कर सकते हैं?
हाँ, बटुक भैरव की पूजा घर में भी की जा सकती है, खासकर बच्चों की रक्षा के लिए।
बटुक भैरव और काल भैरव में क्या अंतर है?
काल भैरव शिव के रौद्र रूप हैं, जबकि बटुक भैरव उनके बाल रूप हैं, जो विशेष रूप से बच्चों और मानसिक शांति के लिए पूजे जाते हैं।
मैं शिवप्रिया पंडित, माँ शक्ति का एक अनन्य भक्त और विंध्येश्वरी देवी, शैलपुत्री माता और चिंतापूर्णी माता की कृपा से प्रेरित एक आध्यात्मिक साधक हूँ। मेरा उद्देश्य माँ के भक्तों को उनके दिव्य स्वरूप, उपासना विधि और कृपा के महत्व से अवगत कराना है, ताकि वे अपनी श्रद्धा और भक्ति को और अधिक दृढ़ बना सकें। मेरे लेखों में इन देवी शक्तियों के स्तोत्र, चालीसा, आरती, मंत्र, कथा और पूजन विधियाँ शामिल होती हैं, ताकि हर भक्त माँ की आराधना सही विधि से कर सके और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को सुख-समृद्धि से भर सके। जय माता दी! View Profile 🙏🔱