Bajarang Baan | बजरंग बाण: हनुमान जी की आराधना का दिव्य मंत्र

बजरंग बाण भगवान हनुमान की स्तुति का एक प्रभावशाली और शक्तिशाली पाठ है, जिसे उनके भक्त संकटों और कष्टों से मुक्ति पाने के लिए पढ़ते हैं। “बजरंग” का अर्थ है बलशाली, और “बाण” का अर्थ है तीर। Bajarang Baan का पाठ हनुमान जी के उन भक्तों के लिए एक दिव्य साधन है, जो कठिन समय में उनकी सहायता और आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं।

इस बाण का पाठ करने से सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जाओं और भूत-प्रेत बाधाओं का नाश होता है। अगर आपके पास समय की कमी है तो, बजरंग बाण पीडीएफ आपके लिए एक अच्छा उपाय हो सकता है। इस स्तोत्र में उनके पराक्रम, बल, और भक्ति के विभिन्न पहलुओं का वर्णन है। इसको श्रद्धा और भक्ति से पढ़ने से मनुष्य के मन और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यहां हमने आपके लिए इस पाठ को नीचे उपलब्ध कराया है-

दोहा

निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान

चौपाई

जय हनुमन्त सन्त हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥
जन के काज विलम्ब न कीजै। आतुर दौरि महासुख दीजै॥
जैसे कूदि सिन्धु महि पारा। सुरसा बदन पैठि विस्तारा॥
आगे जाई लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुर लोका॥
जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा॥
बाग़ उजारि सिन्धु महँ बोरा। अति आतुर जमकातर तोरा॥
अक्षयकुमार को मारि संहारा। लूम लपेट लंक को जारा॥
लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर में भई॥
अब विलम्ब केहि कारण स्वामी। कृपा करहु उर अन्तर्यामी॥
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होय दुख हरहु निपाता॥
जै गिरिधर जै जै सुखसागर। सुर समूह समरथ भटनागर॥
ॐ हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहिंं मारु बज्र की कीले॥
गदा बज्र लै बैरिहिं मारो। महाराज प्रभु दास उबारो॥
ऊँकार हुंकार प्रभु धावो। बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो॥
ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा। ऊँ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा॥
सत्य होहु हरि शपथ पाय के। रामदूत धरु मारु जाय के॥
जय जय जय हनुमन्त अगाधा। दुःख पावत जन केहि अपराधा॥
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत हौं दास तुम्हारा॥
वन उपवन, मग गिरिगृह माहीं। तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं॥
पांय परों कर ज़ोरि मनावौं। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं॥
जय अंजनिकुमार बलवन्ता। शंकरसुवन वीर हनुमन्ता॥
बदन कराल काल कुल घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक॥
भूत प्रेत पिशाच निशाचर। अग्नि बेताल काल मारी मर॥
इन्हें मारु तोहिं शपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की॥
जनकसुता हरिदास कहावौ। ताकी शपथ विलम्ब न लावो॥
जय जय जय धुनि होत अकाशा। सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा॥
चरण शरण कर ज़ोरि मनावौ। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं॥
उठु उठु चलु तोहि राम दुहाई। पांय परों कर ज़ोरि मनाई॥
ॐ चं चं चं चं चपत चलंता। ऊँ हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता॥
ऊँ हँ हँ हांक देत कपि चंचल। ऊँ सं सं सहमि पराने खल दल॥
अपने जन को तुरत उबारो। सुमिरत होय आनन्द हमारो॥
यह बजरंग बाण जेहि मारै। ताहि कहो फिर कौन उबारै॥
पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमत रक्षा करै प्राण की॥
यह बजरंग बाण जो जापै। ताते भूत प्रेत सब काँपै॥
धूप देय अरु जपै हमेशा। ताके तन नहिं रहै कलेशा॥

दोहा

प्रेम प्रतीतहि कपि भजै, सदा धरैं उर ध्यान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्घ करैं हनुमान॥

हनुमान जी के प्रति अपनी भक्ति भावना हो और मजबूत और गहरा करने के लिए आप Shri Hanuman Chalisa, Sankat Mochan Lyrics और Hanuman Ashtak का पाठ कर सकते है, यह हमें हर कठिनाई से उबरने की शक्ति देता है और जीवन में भक्ति, साहस और समर्पण का मार्ग प्रशस्त करता है।

Bajarang Baan पाठ की विधि

इसका पाठ करने के लिए श्रद्धा और भक्ति का होना सबसे महत्वपूर्ण है। यह पाठ भगवान हनुमान की कृपा प्राप्त करने और जीवन की परेशानियों को दूर करने का एक शक्तिशाली साधन है। पाठ की सही विधि इस प्रकार है-

  1. स्नान और शुद्धता: पाठ से पहले स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें। स्थान को स्वच्छ और पवित्र बनाएं।
  2. स्थान: इसका पाठ सुबह या शाम के समय शांत और एकांत स्थान पर करना सबसे शुभ होता है। स्थान को अच्छे से साफ कर लें और वहाँ आसान तैयार कर के हनुमान जी के मूर्ति या चित्र को विधिपूर्वक स्थापित कर लें।
  3. पूजन सामग्री: भगवान हनुमान की प्रतिमा या तस्वीर के सामने दीपक जलाएं। लाल फूल, गुड़हल का फूल, सिंदूर, और चंदन अर्पित करें। नैवेद्य के रूप में गुड़, चने, या लड्डू चढ़ाएं।
  4. ध्यान और मंत्र: पाठ शुरू करने से पहले “ॐ हं हनुमते नमः” या “ॐ श्री राम दूताय नमः” मंत्र का जाप करें। हनुमान जी का ध्यान करें और अपने मन को शांत रखें।
  5. पाठ: बजरंग बाण का पाठ स्पष्ट उच्चारण और श्रद्धा के साथ करें। हर शब्द को ठीक से पढ़ें और भगवान हनुमान के स्वरूप को मन में ध्यान करें।
  6. आरती: पाठ समाप्त होने के बाद भगवान हनुमान की आरती करें। “आरती कीजै हनुमान लला की आरती ” गाना शुभ माना जाता है।
  7. प्रसाद वितरण: पाठ के बाद चढ़ाए गए प्रसाद को सभी में बांटें और स्वयं भी ग्रहण करें।
  8. संख्या: यदि आप किसी विशेष समस्या से छुटकारा पाने के लिए पाठ कर रहे हैं, तो इसे 21, 41, या 108 बार नियमित रूप से करने का संकल्प लें।
  9. सावधानियां: पाठ के दौरान मन को शांत रखें और भगवान हनुमान पर पूरा विश्वास रखें। किसी भी प्रकार की नकारात्मक भावना या संदेह से बचें।

पाठ के लाभ

इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ पढ़ने से भक्तों को मानसिक, शारीरिक, और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। नीचे पाठ से होने वाले प्रमुख लाभ दिए गए हैं-

  • नकारात्मक ऊर्जा: इसका पाठ करने से नकारात्मक शक्तियां, भूत-प्रेत बाधाएं और अज्ञात भय दूर हो जाते हैं। यह पाठ जीवन में सुरक्षा और आत्मविश्वास लाता है।
  • तनाव से मुक्ति: यह पाठ मन को शांति प्रदान करता है और तनाव, चिंता तथा मानसिक परेशानियों को कम करता है।
  • विजय: पाठ करने से शत्रुओं और बाधाओं पर विजय प्राप्त होती है। यह पाठ जीवन में आने वाली हर प्रकार की रुकावटों को दूर करता है।
  • स्वास्थ्य में सुधार: नियमित पाठ शरीर को ऊर्जा और स्फूर्ति प्रदान करता है। यह पाठ हनुमान जी की कृपा से रोगों और शारीरिक समस्याओं से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है।
  • संकटों का समाधान: जब भी जीवन में किसी बड़े संकट का सामना करना पड़े, यह पाठ तुरंत प्रभावकारी होता है। यह सभी प्रकार की परेशानियों को दूर करने में मदद करता है।
  • आत्मिक बल: इसका पाठ भक्त को साहस, आत्मबल और दृढ़ विश्वास प्रदान करता है। यह कठिन समय में सहनशक्ति और धैर्य बढ़ाता है।
  • धन और समृद्धि: भगवान हनुमान की कृपा से आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है और जीवन में समृद्धि आती है।
  • आशीर्वाद: यह पाठ भगवान हनुमान की कृपा पाने का सबसे प्रभावी तरीका है। यह उनके आशीर्वाद से जीवन को सुखमय और समृद्ध बनाता है।
  • ऊर्जा का संचार: इस बाण का पाठ सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है और घर-परिवार में सुख-शांति बनाए रखता है।
  • आत्मविश्वास: बजरंग जी के बाण का नियमित पाठ करने से कार्यों में सफलता प्राप्त होती है और आत्मविश्वास बढ़ता है।

यह केवल एक स्तोत्र नहीं है, यह भगवान हनुमान के प्रति अटूट विश्वास और भक्ति का प्रतीक है। यह पाठ जीवन को संकटमुक्त, शांतिपूर्ण और समृद्ध बनाने का मार्ग है।

FAQ

क्या इसका पाठ घर पर किया जा सकता है?

हां, इसे घर पर, मंदिर में, या किसी भी शांत और पवित्र स्थान पर किया जा सकता है।

क्या पाठ हर रोज किया जा सकता है?

क्या यह पाठ विशेष उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है?

क्या बजरंगबलि के इस पाठ के लिए किसी गुरु की आवश्यकता होती है?

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