Krishna Aarti !! आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की !! !! आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की !! गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला... श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला !! गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली... लतन में ठाढ़े बनमाली भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक !! चंद्र सी झलक, ललित छवि श्यामा प्यारी की... !! श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की, आरती कुंजबिहारी की !! कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं... गगन सों सुमन रासि बरसै, बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग ग्वालिन संग !! अतुल रति गोप कुमारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की !! आरती कुंजबिहारी की !! जहां ते प्रकट भई गंगा, सकल मन हारिणि श्री गंगा... स्मरन ते होत मोह भंगा, बसी शिव सीस !! जटा के बीच,हरै अघ कीच, चरन छवि श्रीबनवारी की !! श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की, आरती कुंजबिहारी की !! चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू... चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू !! हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद, कटत भव फंद... टेर सुन दीन दुखारी की !! !! श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की, आरती कुंजबिहारी की !! !! आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की !! !! आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की !!

Krishna Aarti | कृष्ण आरती : भक्ति का मधुर संगम

श्रीकृष्ण आरती भक्तों के लिए एक ऐसा अनुभव है, जो मन और आत्मा को शांति और आनंद से भर देता है। भगवान श्रीकृष्ण, जिन्हें प्रेम, करुणा और चमत्कारों का प्रतीक माना जाता है, की आरती करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। Krishna Aarti के मधुर शब्द और भक्तिमय स्वर न केवल …

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Brihaspati Dev Ki Aarti ॐ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा... छिन-छिन भोग लगाऊं, कदली फल मेवा !! !! ॐ जय बृहस्पति देवा... !! तुम पूर्ण परमात्मा, तुम अंतर्यामी... जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी ॥ !! ॐ जय बृहस्पति देवा… !! चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता... सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता॥ !! ॐ जय बृहस्पति देवा… !! तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े... प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े॥ !! ॐ जय बृहस्पति देवा… !! दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी... पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी॥ !! ॐ जय बृहस्पति देवा… !! सकल मनोरथ दायक, सब संशय तारो... विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी॥ !! ॐ जय बृहस्पति देवा… !! जो कोई आरती तेरी प्रेम सहित गावे... जेष्टानंद बंद सो-सो निश्चय पावे॥ !! ॐ जय बृहस्पति देवा… !!

Brihaspati Dev Ki Aarti | बृहस्पतिदेव आरती : देवताओं के गुरु

बृहस्पतिदेव को देवताओं का गुरु माना जाता है।बृहस्पतिदेव आरती, पूजा और व्रत करने से आप के पास कभी भी धन की कमी नहीं होती है।  बृहस्पतिदेव को भगवान विष्णु का अंशावतार बताया गया है। जिस साधक की कुंडली में बृहस्पति कमजोर स्थिति में होता है तो Brihaspati dev ki aarti, पूजा और व्रत करने से …

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Laxmi Ji Ki Aarti Lyrics ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ! तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥ !! ॐ जय लक्ष्मी माता... !! उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता ! मैया तुम ही जग-माता... सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥ !! ॐ जय लक्ष्मी माता… !! दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता ! मैया सुख संपत्ति दाता... जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥ !! ॐ जय लक्ष्मी माता… !! तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता ! मैया तुम ही शुभदाता... कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥ !! ॐ जय लक्ष्मी माता… !! जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता ! मैया सब सद्गुण आता... सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता॥ !! ॐ जय लक्ष्मी माता… !! तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता ! मैया वस्त्र न कोई पाता... खान-पान का वैभव,सब तुमसे आता॥ !! ॐ जय लक्ष्मी माता… !! शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता ! मैया क्षीरोदधि-जाता... रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥ !! ॐ जय लक्ष्मी माता… !! महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता ! मैया जो कोई नर गाता... उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥ !! ॐ जय लक्ष्मी माता… !! ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ! तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥ !! ॐ जय लक्ष्मी माता… !!

Laxmi Ji Ki Aarti Lyrics | लक्ष्मी जी की आरती लिरिक्स : धन-धान्य से सम्पन्न

हमारे हिन्दू धर्म में माता लक्ष्मी को धन की देवी माना जाता है जिस भी घर में माता लक्ष्मी जी की आरती व पूजा की जाती है उस घर से आर्थिक संकट खत्म हो जाता हैं तथा घर धन-धान्य से सम्पन्न रहता है। Laxmi ji ki aarti lyrics भक्तों के जीवन को उजागर करती है और …

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Vishnu Ji Ki Aarti ॐ जय जगदीश हरे — स्वामी! जय जगदीश हरे... भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे !! जो ध्यावै फल पावै — दुख बिनसे मन का... सुख-संपत्ति घर आवै — कष्ट मिटे तन का !! !! ॐ जय !! मात-पिता तुम मेरे — शरण गहूं किसकी... तुम बिनु और न दूजा — आस करूं जिसकी !! !! ॐ जय !! तुम पूरन परमात्मा — तुम अंतरयामी... पारब्रह्म परेमश्वर — तुम सबके स्वामी !! !! ॐ जय !! तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता... मैं मूरख खल कामी — कृपा करो भर्ता !! !! ॐ जय !! तुम हो एक अगोचर — सबके प्राणपति... किस विधि मिलूं दयामय तुमको मैं कुमति !! !! ॐ जय !! दीनबंधु दुखहर्ता — तुम ठाकुर मेरे... अपने हाथ उठाओ — द्वार पड़ा तेरे !! !! ॐ जय !! विषय विकार मिटाओ — पाप हरो देवा... श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ — संतन की सेवा !! !! ॐ जय !! तन-मन-धन और संपत्ति — सब कुछ है तेरा... तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा !! !! ॐ जय !! जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे... कहत शिवानंद स्वामी — मनवांछित फल पावे !! !! ॐ जय !!

Vishnu Ji Ki Aarti | विष्णु जी की आरती : मनोकामनाओं की पूर्ति

हमारे हिन्दू धर्म में विष्णु जी की आरती, व्रत और पूजा करने से पुण्य मिलता है और भगवान विष्णु जल्दी प्रसन्न होते हैं। Vishnu ji ki aarti करने से आप की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, Vishnu bhagwan ji ki aarti करने के लिए आप व्रत भी रख सकते हैं यदि नहीं रख पाते हैं तो सिर्फ …

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Ram Ji Ki Aarti श्री राम चंद्र कृपालु भजमन- हरण भव भय दारुणम्, नवकंज लोचन कंज मुखकर, कंज पद कन्जारुणम्॥1॥ कंदर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्, पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्॥2॥ भजु दीन बंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकंदनम्, रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्॥3॥ सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदारू अंग विभूषणं, आजानु भुज शर चाप धर संग्राम जित खर-धूषणं॥4॥ इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनम्, मम ह्रदय कुंज निवास कुरु कामादी खल दल गंजनम्॥5॥ मनु जाहिं राचेऊ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सावरों, करुना निधान सुजान सिलू सनेहू जानत रावरो॥6॥ एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हिय हरषी अली, तुलसी भवानी पूजि पूनी पूनी मुदित मन मंदिर चली॥7॥ दोहा जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि। मंजुल मंगल मूल वाम अंग फरकन लगे॥

Ram Ji Ki Aarti | श्री राम जी की आरती : प्यार और सम्मान का भाव

श्री राम जी की आरती करने से तन-मन पवित्र हो जाता है। पुरे भारतवर्ष में इन्हे मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के नाम से पुकारा जाता है। राम जी ने अपने कार्यों से मर्यादा में रहने और सबका सम्मान करने की शिक्षा दी हैं। Ram ji ki aarti करने से एक दूसरे के प्रति प्यार और सम्मान का …

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chandraghanta mata ki aarti जय मां चंद्रघंटा सुख धाम, पूर्ण कीजो मेरे सभी काम !! चंद्र समान तुम शीतल दाती, चंद्र तेज किरणों में समाती !! क्रोध को शांत करने वाली, मीठे बोल सिखाने वाली !! मन की मालक मन भाती हो, चंद्र घंटा तुम वरदाती हो !! सुंदर भाव को लाने वाली, हर संकट मे बचाने वाली !! हर बुधवार जो तुझे ध्याये, श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं !! मूर्ति चंद्र आकार बनाएं, सन्मुख घी की ज्योत जलाएं !! शीश झुका कहे मन की बाता, पूर्ण आस करो जगदाता !! कांची पुर स्थान तुम्हारा, करनाटिका में मान तुम्हारा। नाम तेरा रटू महारानी, भक्त की रक्षा करो भवानी।

Chandraghanta Mata ki Aarti | चंद्रघंटा माता की आरती : शुभ फलों की प्राप्ति

जब नवरात्रि प्रारम्भ होता है तब तीसरे दिन चंद्रघंटा माता की आरती और पूजा किया जाता है। माता के मस्तक पर घंटे के आकर में अर्धचंद्र बना है इसी कारण इनको चंद्रघंटा माता के नाम से पुकारा जाता है। Chandraghanta Mata ki Aarti का अर्थ केवल धार्मिक प्रार्थना नहीं है, बल्कि यह भक्त और देवी के …

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gayatri mata aarti

Gaytri Mata Aarti | गायत्री माता आरती : जीवन मरण से मुक्ति

जिस प्रकार वेदों में गायत्री मंत्र को उत्तम माना गया है उसी प्रकार गायत्री माता आरती को भी सर्वाधिक उत्तम माना गया है। आरती और शंख नाद करने से घर का वातावरण शांत और खुशनुमा बन जाता है।  Gaytri mata aarti के फलस्वरूप से मनुष्यों को धर्म, अर्थ, काम मोक्ष से मुक्ति मिलती है। प्राचीन …

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Durga Maa ki Aarti जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी !! ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ माँग सिन्दूर विराजत, टीको मृगमद को ! उज्जवल से दोउ नैना, चन्द्रवदन नीको !! ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै ! रक्तपुष्प गल माला, कण्ठन पर साजै !! ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी ! सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी !! ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ! कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति !! ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ शुम्भ-निशुम्भ बिदारे, महिषासुर घाती ! धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती !! ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे ! मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे !! ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी ! आगम-निगम-बखानी, तुम शिव पटरानी !! ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरूँ ! बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरु !! ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता ! भक्तन की दु:ख हरता, सुख सम्पत्ति करता !! ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी ! मनवान्छित फल पावत, सेवत नर-नारी !! ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ कन्चन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ! श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति !! ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥ श्री अम्बेजी की आरती, जो कोई नर गावै ! कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति पावै !! ॥ॐ जय अम्बे गौरी॥

दुर्गा माँ की आरती | Durga Maa Ki Aarti : सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति

दुर्गा माँ की आरती आप प्रतिदिन कर सकते हैं, वही नवरात्रि में सुबह और शाम दोनों समय कर सकते हैं। Durga maa ki aarti करने वाले और आरती में शामिल होने वाले सभी को सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होता है। Durga mata ki aarti करने से हमें जीवन में सफलता प्राप्त होती है तथा उनकी कृपा …

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Shailputri Mata Aarti Lyrics शैलपुत्री मां बैल असवार... करें देवता जय जयकार॥ शिव शंकर की प्रिय भवानी... तेरी महिमा किसी ने ना जानी॥ पार्वती तू उमा कहलावे... जो तुझे सिमरे सो सुख पावे॥ ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू... दया करे धनवान करे तू॥ सोमवार को शिव संग प्यारी... आरती तेरी जिसने उतारी॥ उसकी सगरी आस पुजा दो... सगरे दुख तकलीफ मिला दो॥ घी का सुंदर दीप जला के... गोला गरी का भोग लगा के॥ श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं... प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं॥ जय गिरिराज किशोरी अंबे... शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे॥ मनोकामना पूर्ण कर दो... भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो॥

Shailputri Mata Aarti | शैलपुत्री माता की आरती : माँ दुर्गा की पहली शक्ति

शैलपुत्री माता की आरती देवी दुर्गा के प्रथम स्वरूप को समर्पित एक भक्तिपूर्ण स्तुति है। शैलपुत्री, जिनका नाम ‘पर्वत की पुत्री’ के अर्थ को प्रकट करता है, हिमालय की बेटी और देवी शक्ति का अवतार मानी जाती हैं। नवरात्रि के पहले दिन, उन्हें श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा जाता है। Shailputri Mata Aarti न …

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Brahmacharini Mata ki Aarti Lyrics जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता... जय चतुरानन प्रिय सुख दाता ॥ ब्रह्मा जी के मन भाती हो... ज्ञान सभी को सिखलाती हो ॥ ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा... जिसको जपे सकल संसारा॥ जय गायत्री वेद की माता... जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता॥ कमी कोई रहने न पाए... कोई भी दुख सहने न पाए॥ उसकी विरति रहे ठिकाने... जो ​तेरी महिमा को जाने॥ रुद्राक्ष की माला ले कर... जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर॥ आलस छोड़ करे गुणगाना... मां तुम उसको सुख पहुंचाना॥ ब्रह्माचारिणी तेरो नाम... पूर्ण करो सब मेरे काम॥ भक्त तेरे चरणों का पुजारी... रखना लाज मेरी महतारी॥

Brahmacharini Mata ki Aarti | ब्रह्मचारिणी माता की आरती : मन की शांति

माँ ब्रह्मचारिणी, दुर्गा माँ की नौ शक्तियों में से दूसरी शक्ति और स्वरूप हैं। ब्रह्मचारिणी माता की आरती और पूजा नवरात्रि के दूसरे दिन किया जाता है। Brahmacharini Mata ki Aarti व पूजा करने से भक्तों के रुके सभी कार्य पूर्ण होते हैं, सभी दोषों से मुक्ति मिलती है, आप का शारीरिक स्वास्थ्य और मन की …

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