Dwadash Jyotirling Stotram सौराष्ट्रदेशे विशदेऽतिरम्ये ज्योतिर्मयं चन्द्रकलावतंसम् ! भक्तप्रदानाय कृपावतीर्णं तं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये !! १ !! श्रीशैलशृङ्गे विविधप्रसङ्गे शेषाद्रिशृङ्गेऽपि सदा वसन्तम् ! तमर्जुनं मल्लिकपूर्वमेनं नमामि संसारसमुद्रसेतुम् !! २ !! अवन्तिकायां विहितावतारं मुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम् ! अकालमृत्योः परिरक्षणार्थं वन्दे महाकालमहासुरेशम् !! ३ !! कावेरिकानर्मदयोः पवित्रे समागमे सज्जनतारणाय ! सदैव मान्धातृपुरे वसन्तं ओङ्कारमीशं शिवमेकमीडे !! ४ !! पूर्वोत्तरे प्रज्वलिकानिधाने सदा वसं तं गिरिजासमेतम् ! सुरासुराराधितपादपद्मं श्रीवैद्यनाथं तमहं नमामि !! ५ !! याम्ये सदङ्गे नगरेऽतिरम्ये विभूषिताङ्गं विविधैश्च भोगैः ! सद्भक्तिमुक्तिप्रदमीशमेकं श्रीनागनाथं शरणं प्रपद्ये !! ६ !! महाद्रिपार्श्वे च तटे रमन्तं सम्पूज्यमानं सततं मुनीन्द्रैः ! सुरासुरैर्यक्ष महोरगाढ्यैः केदारमीशं शिवमेकमीडे !! ७ !! सह्याद्रिशीर्षे विमले वसन्तं गोदावरितीरपवित्रदेशे ! यद्दर्शनात् पातकं पाशु नाशं प्रयाति तं त्र्यम्बकमीशमीडे !! ८ !! श्रीताम्रपर्णीजलराशियोगे निबध्य सेतुं विशिखैरसङ्ख्यैः ! श्रीरामचन्द्रेण समर्पितं तं रामेश्वराख्यं नियतं नमामि !! ९ !! यं डाकिनिशाकिनिकासमाजे निषेव्यमाणं पिशिताशनैश्च ! सदैव भीमादिपदप्रसिद्धं तं शङ्करं भक्तहितं नमामि !! १० !! सानन्दमानन्दवने वसन्तं आनन्दकन्दं हतपापबृन्दम् ! वाराणसीनाथमनाथनाथं श्रीविश्वनाथं शरणं प्रपद्ये !! ११ !! इलापुरे रम्यविशालकेऽस्मिन् समुल्लसन्तं च जगद्वरेण्यम् ! वन्दे महोदारतरस्वभावं घृष्णेश्वराख्यं शरणं प्रपद्ये !! १२ !! ज्योतिर्मयद्वादशलिङ्गकानां शिवात्मनां प्रोक्तमिदं क्रमेण ! स्तोत्रं पठित्वा मनुजोऽतिभक्त्या फलं तदालोक्य निजं भजेच्च !! !! इति श्री द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र पूर्ण !!

द्वादश ज्योतिर्लिंग | Dwadash Jyotirling Stotram : दर्शन से अध्यात्म जीवन सफल

हिन्दू मान्यता के अनुसार जब तक आप द्वादश ज्योतिर्लिंग का दर्शन नहीं कर लेते तब तक आप अध्यात्म जीवन पूर्ण नहीं माना जाता है। ये सभी ज्योतिर्लिंग सामान्य नहीं होते है ,ऐसा माना जाता है की इन बारह जगहों पर भगवान भोलेनाथ ने खुद दर्शन दिए तब जाकर ये ज्योतिर्लिंग उतपन्न हुए हैं। इन ज्योतिर्लिंग का दर्शन करने …

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Shri Hari Stotram lyrics जगज्जालपालं चलत्कण्ठमालं शरच्चन्द्रभालं महादैत्यकालं नभोनीलकायं दुरावारमायं सुपद्मासहायम् भजेऽहं भजेऽहं !! 1 !! सदाम्भोधिवासं गलत्पुष्पहासं जगत्सन्निवासं शतादित्यभासं गदाचक्रशस्त्रं लसत्पीतवस्त्रं हसच्चारुवक्त्रं भजेऽहं भजेऽहं !! 2 !! रमाकण्ठहारं श्रुतिव्रातसारं जलान्तर्विहारं धराभारहारं !! चिदानन्दरूपं मनोज्ञस्वरूपं ध्रुतानेकरूपं भजेऽहं भजेऽहं !! 3 !! जराजन्महीनं परानन्दपीनं समाधानलीनं सदैवानवीनं !! जगज्जन्महेतुं सुरानीककेतुं त्रिलोकैकसेतुं भजेऽहं भजेऽहं !! 4 !! कृताम्नायगानं खगाधीशयानं विमुक्तेर्निदानं हरारातिमानं !! स्वभक्तानुकूलं जगद्व्रुक्षमूलं निरस्तार्तशूलं भजेऽहं भजेऽहं !! 5 !! समस्तामरेशं द्विरेफाभकेशं जगद्विम्बलेशं ह्रुदाकाशदेशं !! सदा दिव्यदेहं विमुक्ताखिलेहं सुवैकुण्ठगेहं भजेऽहं भजेऽहं !! 6 !! सुरालिबलिष्ठं त्रिलोकीवरिष्ठं गुरूणां गरिष्ठं स्वरूपैकनिष्ठं !! सदा युद्धधीरं महावीरवीरं महाम्भोधितीरं भजेऽहं भजेऽहं !! 7 !! रमावामभागं तलानग्रनागं कृताधीनयागं गतारागरागं !! मुनीन्द्रैः सुगीतं सुरैः संपरीतं गुणौधैरतीतं भजेऽहं भजेऽहं !! 9 !! इदं यस्तु नित्यं समाधाय चित्तं पठेदष्टकं कण्ठहारम् मुरारे: !! स विष्णोर्विशोकं ध्रुवं याति लोकं जराजन्मशोकं पुनर्विन्दते नो !! 10 !!

श्री हरी स्तोत्रम | Shri Hari Stotram Lyrics : मनोकामनाओं की पूर्ति

श्री हरी स्तोत्रम भगवान विष्णु का एक शक्तिशाली मंत्र है। इस Shri hari stotram lyrics का पाठ स्वामी ब्रह्मानन्दं द्वारा किया गया  है। इसका पाठ करने से आप भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी का भी आशीर्वाद और कृपा प्राप्त करते हैं।  आप स्वयं इस श्री हरी स्तोत्रम लिरिक्स के द्वारा पाठ करके श्री विष्णु …

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Ganesh Sankat Nashan Stotram !! ॐ श्री गणेशायनमः !! प्रणम्यं शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम... भक्तावासं: स्मरैनित्यंमायु:कामार्थसिद्धये !! 1 !! प्रथमं वक्रतुंडंच एकदंतं द्वितीयकम... तृतीयं कृष्णं पिङा्क्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम !! 2 !! लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च... सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्ण तथाष्टकम् !! 3 !! नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम ... एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम !! 4 !! द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्य य: पठेन्नर:... न च विघ्नभयं तस्य सर्वासिद्धिकरं प्रभो !! 5 !! विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ... पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम् !! 6 !! जपेद्वगणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासै: फलं लभेत्... संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशय: !! 7 !! अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वां य: समर्पयेत... तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत: !! 8 !! !! इति श्रीनारदपुराणे संकष्टनाशनं गणेशस्तोत्रं सम्पूर्णम्‌ !!

गणेश संकट नाशन स्तोत्र | Ganesh Sankat Nashan Stotram : खुशियों और समृद्धि का आशीर्वाद

यह गणेश संकट नाशन स्तोत्र बहुत प्रसिद्ध और प्रिय स्तोत्र भगवान गणेश की आराधना के लिए किया जाता है। जो संकटों को दूर करने में हमारी सहायता करता है। इस स्तोत्र का पाठ कुछ खास पलों पर किया जाता है, जैसे कि गणेश चतुर्थी और अन्य शुभ कार्यों की पूजा के लिए Ganesh Sankat Nashan …

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आदित्य हृदय स्तोत्र | Aditya Hridaya Stotra ततो युद्धपरिश्रान्तं समरे चिन्तया स्थितम् ! रावणं चाग्रतो दृष्टवा युद्धाय समुपस्थितम् ॥1॥ दैवतैश्च समागम्य द्रष्टुमभ्यागतो रणम् ! उपगम्याब्रवीद् राममगरत्यो भगवांस्तदा !! 2 !! राम राम महाबाहो श्रृणु गुह्यं सनातनम् ! येन सर्वानरीन् वत्स समरे विजयिष्यसे !! 3 !! आदित्यहृदयं पुण्यं सर्वशत्रुविनाशनम् ! जयावहं जपं नित्यमक्षयं परमं शिवम् !! 4 !! सर्वमंगलमांगल्यं सर्वपापप्रणाशनम् ! चिन्ताशोकप्रशमनमायुर्वधैनमुत्तमम् !! 5 !! रश्मिमन्तं समुद्यन्तं देवासुरनमस्कृतम् ! पूजयस्व विवस्वन्तं भास्करं भुवनेश्वरम् !! 6 !! सर्वदेवतामको ह्येष तेजस्वी रश्मिभावनः ! एष देवासुरगणाँल्लोकान् पाति गभस्तिभिः !! 7 !! एष ब्रह्मा च विष्णुश्च शिवः स्कन्दः प्रजापतिः ! महेन्द्रो धनदः कालो यमः सोमो ह्यपां पतिः !! 8 !! पितरो वसवः साध्या अश्विनौ मरुतो मनुः ! वायुर्वन्हिः प्रजाः प्राण ऋतुकर्ता प्रभाकरः !! 9 !! आदित्यः सविता सूर्यः खगः पूषा गर्भास्तिमान् ! सुवर्णसदृशो भानुहिरण्यरेता दिवाकरः !! 10 !! हरिदश्वः सहस्रार्चिः सप्तसप्तिर्मरीचिमान् ! तिमिरोन्मथनः शम्भूस्त्ष्टा मार्तण्डकोंऽशुमान् !! 11 !! हिरण्यगर्भः शिशिरस्तपनोऽहरकरो रविः ! अग्निगर्भोऽदितेः पुत्रः शंखः शिशिरनाशनः !! 12 !! व्योमनाथस्तमोभेदी ऋम्यजुःसामपारगः ! घनवृष्टिरपां मित्रो विन्ध्यवीथीप्लवंगमः !! 13 !! आतपी मण्डली मृत्युः पिंगलः सर्वतापनः ! कविर्विश्वो महातेजा रक्तः सर्वभवोदभवः !! 14 !! नक्षत्रग्रहताराणामधिपो विश्वभावनः ! तेजसामपि तेजस्वी द्वादशात्मन् नमोऽस्तु ते !! 15 !! नमः पूर्वाय गिरये पश्चिमायाद्रये नमः ! ज्योतिर्गणानां पतये दिनाधिपतये नमः !! 16 !! जयाय जयभद्राय हर्यश्वाय नमो नमः ! नमो नमः सहस्रांशो आदित्याय नमो नमः !! 17 !! नम उग्राय वीराय सारंगाय नमो नमः ! नमः पद्मप्रबोधाय प्रचण्डाय नमोऽस्तु ते !! 18 !! ब्रह्मेशानाच्युतेशाय सूरायदित्यवर्चसे ! भास्वते सर्वभक्षाय रौद्राय वपुषे नमः !! 19 !! तमोघ्नाय हिमघ्नाय शत्रुघ्नायामितात्मने ! कृतघ्नघ्नाय देवाय ज्योतिषां पतये नमः !! 20 !! तप्तचामीकराभाय हस्ये विश्वकर्मणे ! नमस्तमोऽभिनिघ्नाय रुचये लोकसाक्षिणे !! 21 !! नाशयत्येष वै भूतं तमेव सृजति प्रभुः ! पायत्येष तपत्येष वर्षत्येष गभस्तिभिः !! 22 !! एष सुप्तेषु जागर्ति भूतेषु परिनिष्ठितः ! एष चैवाग्निहोत्रं च फलं चैवाग्निहोत्रिणाम् !! 23 !! देवाश्च क्रतवश्चैव क्रतूनां फलमेव च ! यानि कृत्यानि लोकेषु सर्वेषु परमप्रभुः !! 24 !! एनमापत्सु कृच्छ्रेषु कान्तारेषु भयेषु च ! कीर्तयन् पुरुषः कश्चिन्नावसीदति राघव !! 25 !! पूजयस्वैनमेकाग्रो देवदेवं जगत्पतिम् ! एतत् त्रिगुणितं जप्तवा युद्धेषु विजयिष्ति !! 26 !! अस्मिन् क्षणे महाबाहो रावणं त्वं जहिष्यसि ! एवमुक्त्वा ततोऽगस्त्यो जगाम स यथागतम् !! 27 !! एतच्छ्रुत्वा महातेजा, नष्टशोकोऽभवत् तदा ! धारयामास सुप्रीतो राघवः प्रयतात्मवान् !! 28 !! आदित्यं प्रेक्ष्य जप्त्वेदं परं हर्षमवाप्तवान् ! त्रिराचम्य शुचिर्भूत्वा धनुरादाय वीर्यवान् !! 29 !! रावणं प्रेक्ष्य हृष्टात्मा जयार्थे समुपागमत् ! सर्वयत्नेन महता वृतस्तस्य वधेऽभवत् !! 30 !! अथ रविरवदन्निरीक्ष्य रामं मुदितनाः परमं प्रहृष्यमाणः ! निशिचरपतिसंक्षयं विदित्वा सुरगणमध्यगतो वचस्त्वरेति !! 31 !!

आदित्य हृदय स्तोत्र | Aditya Hridaya Stotra : नई ऊर्जा

सबसे पहले  हम आप को यह बता दे की ‘आदित्य ‘शब्द से भगवान सूर्य को सम्बोधित किया जाता है। आदित्य हृदय स्तोत्र भगवान सूर्य की कृपा और ऊर्जा पाने के लिए किया जाता है। शास्त्रों में इस मंत्र का उच्चारण करने का अधिक लाभ और शुभ बताया गया है। इस प्राचीन स्तोत्र का पाठ करने से …

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Sheetla Mata Aarti जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता... आदि ज्योति महारानी सब फल की दाता !! ॥ जय जय शीतला माता ॥ रतन सिंहासन शोभित, श्वेत छत्र भ्राता... ऋद्धि-सिद्धि चंवर ढुलावें, जगमग छवि छाता !! ॥ जय जय शीतला माता ॥ विष्णु सेवत ठाढ़े, सेवें शिव धाता... वेद पुराण बरणत पार नहीं पाता !! ॥ जय जय शीतला माता ॥ इन्द्र मृदंग बजावत चन्द्र वीणा हाथा... सूरज ताल बजाते नारद मुनि गाता !! ॥ जय जय शीतला माता ॥ घंटा शंख शहनाई बाजै मन भाता... करै भक्त जन आरति लखि लखि हरहाता !! ॥ जय जय शीतला माता ॥ ब्रह्म रूप वरदानी तुही तीन काल ज्ञाता... भक्तन को सुख देनौ मातु पिता भ्राता !! ॥ जय जय शीतला माता ॥ जो भी ध्यान लगावें प्रेम भक्ति लाता... सकल मनोरथ पावे भवनिधि तर जाता !! ॥ जय जय शीतला माता ॥ रोगन से जो पीड़ित कोई शरण तेरी आता... कोढ़ी पावे निर्मल काया अन्ध नेत्र पाता !! ॥ जय जय शीतला माता ॥ बांझ पुत्र को पावे दारिद कट जाता... ताको भजै जो नाहीं सिर धुनि पछिताता !! ॥ जय जय शीतला माता ॥ शीतल करती जननी तू ही है जग त्राता... उत्पत्ति व्याधि विनाशत तू सब की घाता !! ॥ जय जय शीतला माता ॥ दास विचित्र कर जोड़े सुन मेरी माता... भक्ति आपनी दीजे और न कुछ भाता !! ॥ जय जय शीतला माता ॥

Sheetla Mata Aarti | शीतला माता की आरती : बीमारियों से रक्षा

शीतला माता की आरती व पूजा शीतला अष्टमी के दिन किया जाता है। Sheetla mata aarti पुरे भारत में किया जाता है क्युकि ऐसा माना जाता है की गर्मी की शुरुआत होने पर अनेक बीमारिया भी शुरू होने लगती हैं और इन बीमारियों से बचने के लिए हम माता जी की आरती व पूजा करते हैं। …

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Chintpurni Mata Aarti चिंतपूर्णी चिंता दूर करनी, जग को तारो भोली माँ, जन को तारो भोली माँ, काली दा पुत्र पवन दा घोड़ा !! !! भोली माँ…!! सिन्हा पर भाई असवार, भोली माँ, चिंतपूर्णी चिंता दूर !! भोली माँ…!! एक हाथ खड़ग दूजे में खांडा, तीजे त्रिशूल सम्भालो !! भोली माँ…!! चौथे हाथ चक्कर गदा, पाँचवे-छठे मुण्ड़ो की माला !! भोली माँ…!! सातवे से रुण्ड मुण्ड बिदारे, आठवे से असुर संहारो !! भोली माँ…!! चम्पे का बाग़ लगा अति सुन्दर, बैठी दीवान लगाये !! भोली माँ…!! हरी ब्रम्हा तेरे भवन विराजे, लाल चंदोया बैठी तान !! भोली माँ…!! औखी घाटी विकटा पैंडा, तले बहे दरिया !! भोली माँ…!! सुमन चरण ध्यानु जस गावे, भक्तां दी पज निभाओ !! भोली माँ…!! !! चिंतपूर्णी माता की जय !!

Chintpurni Mata Aarti | चिंतपूर्णी माता की आरती : चिंताओं से मुक्ति

चिंतपूर्णी माता आरती देवी चिंतपूर्णी को समर्पित एक पवित्र भक्ति गीत है, जो हिमाचल प्रदेश के उना जिले में स्थित प्रसिद्ध चिंतपूर्णी मंदिर की अधिष्ठात्री देवी हैं। यह Chintpurni Mata Aarti श्रद्धालुओं के दिलों में विशेष स्थान रखती है और उनकी आस्था का प्रतीक है। माना जाता है कि माता चिंतपूर्णी सभी चिंताओं और कष्टों …

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Ganga Aarti हर हर गंगे, जय मां गंगे, हर हर गंगे, जय मां गंगे ॥ ओम जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता... जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता !! चंद्र सी जोत तुम्हारी, जल निर्मल आता... शरण पडें जो तेरी, सो नर तर जाता !! !! ओम जय गंगे माता !! पुत्र सगर के तारे, सब जग को ज्ञाता... कृपा दृष्टि तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता !! !! ओम जय गंगे माता !! एक ही बार जो तेरी, शारणागति आता... यम की त्रास मिटा कर, परमगति पाता !! !! ओम जय गंगे माता !! आरती मात तुम्हारी, जो जन नित्य गाता... दास वही सहज में, मुक्त्ति को पाता !! !! ओम जय गंगे माता !! ओम जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता... जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता !! !! ओम जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता !!

गंगा आरती लिरिक्स | Ganga Aarti : मोक्ष की प्राप्ति

माँ गंगा आरती पुरे भारतवर्ष में महत्वपूर्ण माना जाता है। गंगा नदी को हिन्दू धर्म में सबसे पवित्र माना जाता है, ऐसी मान्यता है की गंगा  में स्नान करने से अनजाने में किये सभी पाप धूल जाते हैं। Ganga Aarti करने के लिए आप गंगा आरती लिरिक्स का प्रयोग कर सकते हैं। गंगा मईया की …

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Vaishno Mata Aarti जय वैष्णवी माता, मैया जय वैष्णवी माता, हाथ जोड़ तेरे आगे, आरती मैं गाता॥ !! जय वैष्णवी माता !! शीश पे छत्र विराजे, मूरतिया प्यारी, गंगा बहती चरनन, ज्योति जगे न्यारी॥ !! जय वैष्णवी माता !! ब्रह्मा वेद पढ़े नित द्वारे, शंकर ध्यान धरे, सेवक चंवर डुलावत, नारद नृत्य करे॥ !! जय वैष्णवी माता !! सुन्दर गुफा तुम्हारी, मन को अति भावे, बार-बार देखन को, ऐ माँ मन चावे॥ !! जय वैष्णवी माता !! भवन पे झण्डे झूलें, घंटा ध्वनि बाजे, ऊँचा पर्वत तेरा, माता प्रिय लागे॥ !! जय वैष्णवी माता !! पान सुपारी ध्वजा नारियल, भेंट पुष्प मेवा, दास खड़े चरणों में, दर्शन दो देवा॥ !! जय वैष्णवी माता !! जो जन निश्चय करके, द्वार तेरे आवे, उसकी इच्छा पूरण, माता हो जावे॥ !! जय वैष्णवी माता !! इतनी स्तुति निश-दिन, जो नर भी गावे, कहते सेवक ध्यानू, सुख सम्पत्ति पावे॥ !! जय वैष्णवी माता !!

Vaishno Mata Aarti | वैष्णो माता की आरती : सुख और शांति

माता वैष्णो जी के मंदिर में आरती दिन में दो बार किया जाता है, हम आप को बता दे यदि आप माता वैष्णो जी की आरती के लिए वैष्णो जी मंदिर जाना चाहते हैं तो आप ख़ुशी से जा कर वहाँ Vaishno Mata Aarti कर सकते हैं, लेकिन जो भक्त वैष्णो देवी के मंदिर नहीं …

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Shiv Tandav Stotram जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले- गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम् !! डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं- चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् !!१!! जटाकटाहसम्भ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरी- विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि !! धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके- किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम !!२!! धराधरेन्द्रनंदिनीविलासबन्धुबन्धुर- स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे !! कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि- क्वचिद्दिगम्बरे(क्वचिच्चिदम्बरे) मनो विनोदमेतु वस्तुनि !!३!! जटाभुजङ्गपिङ्गलस्फुरत्फणामणिप्रभा- कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे !! मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे- मनो विनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ॥४॥ सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर- प्रसूनधूलिधोरणी विधूसराङ्घ्रिपीठभूः !! भुजङ्गराजमालया निबद्धजाटजूटक- श्रियै चिराय जायतां चकोरबन्धुशेखरः ॥५॥ ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा- निपीतपञ्चसायकं नमन्निलिम्पनायकम् !! सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं- महाकपालिसम्पदेशिरोजटालमस्तु नः ॥६॥ करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल- द्धनञ्जयाहुतीकृतप्रचण्डपञ्चसायके !! धराधरेन्द्रनन्दिनीकुचाग्रचित्रपत्रक- प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम !!७!! नवीनमेघमण्डली निरुद्धदुर्धरस्फुरत्- कुहूनिशीथिनीतमः प्रबन्धबद्धकन्धरः !! निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिन्धुरः- कलानिधानबन्धुरः श्रियं जगद्धुरंधरः !!८!! प्रफुल्लनीलपङ्कजप्रपञ्चकालिमप्रभा- वलम्बिकण्ठकन्दलीरुचिप्रबद्धकन्धरम् !! स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं- गजच्छिदांधकच्छिदं तमन्तकच्छिदं भजे !!९!! अगर्व सर्वमङ्गलाकलाकदम्बमञ्जरी- रसप्रवाहमाधुरी विजृम्भणामधुव्रतम् !! स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं- गजान्तकान्धकान्तकं तमन्तकान्तकं भजे !!१०!! जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजङ्गमश्वस- द्विनिर्गमत्क्रमस्फुरत्करालभालहव्यवाट् !!। धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्गतुङ्गमङ्गल- ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्डताण्डवः शिवः !!११!! दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजङ्गमौक्तिकस्रजोर्- गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः !! तृणारविन्दचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः - समं प्रव्रितिक: कदा सदाशिवं भजाम्यहम !!१२!! कदा निलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरे वसन्- विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरः स्थमञ्जलिं वहन् !! विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः - शिवेति मंत्रमुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् !!१३!! निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका- निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः !! तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं- परिश्रय परं पदं तदङ्गजत्विषां चयः !!१४!! प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी- महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना !! विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः - शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम् !!१५!! इमं हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं- पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेतिसंततम् !! हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं- विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम् !!१६!! पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतं- यः शम्भुपूजनपरं पठति प्रदोषे !! तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रतुरङ्गयुक्तां- लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शम्भुः !!१७!! !! इति श्रीरावण कृतम् शिव ताण्डव स्तोत्रम्सम्पूर्णम् !!

Shiv Tandav Stotram | शिव तांडव स्तोत्र : शिव जी को प्रसन्न करने का मंत्र

शिव तांडव स्तोत्र की रचना रावण द्वारा किया गया है। इस स्तोत्र में 17 श्लोकों से भगवान शिव की स्तुति की गयी है। यह स्तुति भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है, इसलिए इस स्तोत्र का पाठ करने से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं। Shiv Tandav Stotram का पाठ करने से घर में धन -संपत्ति …

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Saraswati Mata Ki Aarti ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता ! सद्‍गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता !! !! ॐ जय जय सरस्वती माता… !! देवी शरण जो आएं, उनका उद्धार किया ! पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया !! !! ॐ जय जय सरस्वती माता… !! विद्या ज्ञान प्रदायिनी, ज्ञान प्रकाश भरो ! मोह, अज्ञान, तिमिर का जग से नाश करो !! !! ॐ जय जय सरस्वती माता… !! धूप, दीप, फल, मेवा मां स्वीकार करो ! ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो !! !! ॐ जय जय सरस्वती माता… !! मां सरस्वती की आरती जो कोई जन गावें ! हितकारी, सुखकारी, ज्ञान भक्ती पावें !! !! ॐ जय जय सरस्वती माता… !! जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता ! सद्‍गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता !! !! ॐ जय जय सरस्वती माता… !! ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता ! सद्‍गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता !! !! ॐ जय जय सरस्वती माता… !!

Saraswati Mata Ki Aarti | सरस्वती माता की आरती : सफलता की प्राप्ति

सरस्वती माता की आरती और पूजा करने से आप हर मुश्किल काम को आसानी से सिखने की क्षमता रख पाते हैं, आप संगीत, नृत्य, ज्ञान और किसी भी प्रकार की कला में महारथ हासिल कर पाते है। Saraswati mata ki aarti करने से माँ का आशीर्वाद हमेशा आप पर बना रहता है।  सरस्वती माता को …

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