mansa devi aarti in hindi

मनसा देवी जी की आरती | Mansa Devi Aarti : विष से रक्षा

मांसा देवी, जिन्हें ‘मनोकामना पूर्ण करने वाली देवी’ के रूप में जाना जाता है, श्रद्धालुओं के लिए अपार विश्वास और आस्था का प्रतीक हैं। मनसा देवी जी की आरती, एक आध्यात्मिक यात्रा का हिस्सा है, जिसमें भक्तजन अपने मन की शुद्धता और श्रद्धा के साथ देवी मां की स्तुति करते हैं। Mansa Devi Aarti न … Read more

Jai Tulsi Mata

Jai Tulsi Mata | तुलसी माता आरती : एक पवित्र पौधा

Jai Tulsi Mata, यह शब्द जितना सुनने में अच्छा लग रहा है। उससे भी बड़ा इसकी मान्यता है। तुलसी जी को हमारे हिन्दू धर्म में माता का स्थान दिया गया है, यह केवल एक पौधा नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और आस्था का प्रतीक है। इसे पूजनीय माना जाता है क्योंकि यह न केवल धार्मिक दृष्टि … Read more

Santoshi Mata Ki Aarti in hindi

Santoshi Mata Ki Aarti | संतोषी माता की आरती : सुख, समृद्धि और वैभव

संतोषी माता की आरती भक्तों के जीवन में शांति, संतोष और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है। Santoshi Mata Ki Aarti संतोषी माता के प्रति श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है। संतोषी माता को हिंदू धर्म में सौम्यता, सरलता और संतोष की देवी के रूप में पूजा जाता है। भक्तजन मानते हैं कि माता संतोषी … Read more

Shree Vishwakarma Ji Ki Aarti in hindi

Shree Vishwakarma Ji Ki Aarti | विश्वकर्मा भगवान की आरती : देवताओं के वास्तुकार

हिन्दू शास्त्रों के अनुसार इस पृथ्वी पर पहला वास्तुकार और शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा को माना जाता है। उनके प्रति श्रद्धा और भक्ति के भाव से श्री विश्वकर्मा जी की आरती व पूजा पुरे भारतवर्ष में किया जाता है। Shree Vishwakarma Ji Ki Aarti उनकी कृपा, दिव्यता और शक्ति का गुणगान करती है। विश्वकर्मा जी भारतीय … Read more

सूर्यदेव की आरती

Surya Dev Ki Aarti | सूर्यदेव की आरती : दु:खहारी, सुखकारी, मानस-मल-हारी

हिन्दू धर्म में सूर्य को नौ ग्रहों का अधिपति माना जाता है। भास्कर ही ऐसे देवता हैं जो हमे प्रतिदिन दर्शन देते हैं। इसलिए भगवान सूर्य की पूजा व आरती हमे समय से कर लेना चाहिए। सूर्यदेव की आरती करने से अनेक बीमारिया, ग्रह दोष  जैसे अनेक समस्याए खत्म हो जाती है।  इस लेख के … Read more

Annapurna Mata Ki Aarti

Annapurna Mata Ki Aarti | अन्नपूर्णा माता की आरती : अन्न की प्राप्ति

अन्नपूर्णा माता की आरती सभी को करनी चाहिए क्युकि माता को अन्न की देवी माना जाता है। इनकी आरती करने से घर में अन्न का भंडार भरा रहता है,रसोईघर में कभी भी भोजन की कमी नहीं होती है। Annapurna Mata Ki Aarti व पूजा कैसे की जाती और इस पूजा से माँ की क्या कृपा बनती … Read more

Hanuman Dwadash Naam Stotram !! श्री हनुमानद्वादशनाम स्तोत्र !! हनुमानञ्जनी सूनुर्वायुपुत्रो महाबल: ... ! रामेष्ट: फाल्गुनसख: पिङ्गाक्षोऽमितविक्रम: !! उदधिक्रमणश्चैव सीताशोकविनाशन: ...! लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा !! एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मन: ... ! स्वापकाले प्रबोधे च यात्राकाले च य: पठेत् !! तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भवेत् ... ! राजद्वारे गह्वरे च भयं नास्ति कदाचन !!

Hanuman Dwadash Naam Stotram | हनुमान द्वादश नाम स्तोत्र : सकारात्मक ऊर्जा

हनुमान द्वादश नाम स्तोत्र भगवान हनुमान के बारह पवित्र नामों का संकलन है, जो भक्तों के लिए अति शुभ और फलदायी माना जाता है। यह Hanuman Dwadash Naam Stotram भक्तों के जीवन में साहस, शक्ति, और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। हनुमान जी को हिंदू धर्म में असीम शक्ति, अद्वितीय भक्ति और अटल विश्वास … Read more

Hanuman Vadvanal Stotra ॥ विनियोग ॥ ॐ अस्य श्री हनुमान् वडवानल-स्तोत्र-मन्त्रस्य श्रीरामचन्द्र ऋषिः ! श्रीहनुमान् वडवानल देवता, ह्रां बीजम्, ह्रीं शक्तिं, सौं कीलकं !! मम समस्त विघ्न-दोष-निवारणार्थे, सर्व-शत्रुक्षयार्थे ॥ सकल-राज-कुल-संमोहनार्थे, मम समस्त-रोग-प्रशमनार्थम् ! आयुरारोग्यैश्वर्याऽभिवृद्धयर्थं समस्त-पाप-क्षयार्थं !! श्रीसीतारामचन्द्र-प्रीत्यर्थं च हनुमद् वडवानल-स्तोत्र जपमहं करिष्ये ॥ ॥ ध्यान ॥ मनोजवं मारुत-तुल्य-वेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं ! वातात्मजं वानर-यूथ-मुख्यं श्रीरामदूतम् शरणं प्रपद्ये ॥ ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते श्रीमहा-हनुमते प्रकट-पराक्रम ! सकल-दिङ्मण्डल-यशोवितान-धवलीकृत-जगत-त्रितय ॥ वज्र-देह रुद्रावतार लंकापुरीदहय उमा-अर्गल-मंत्र ! उदधि-बंधन दशशिरः कृतान्तक सीताश्वसन वायु-पुत्र ॥ अञ्जनी-गर्भ-सम्भूत श्रीराम-लक्ष्मणानन्दकर कपि-सैन्य-प्राकार ! सुग्रीव-साह्यकरण पर्वतोत्पाटन कुमार-ब्रह्मचारिन् गंभीरनाद ॥ सर्व-पाप-ग्रह-वारण-सर्व-ज्वरोच्चाटन डाकिनी-शाकिनी-विध्वंसन ! ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते महावीर-वीराय सर्व-दुःख निवारणाय ॥ ग्रह-मण्डल सर्व-भूत-मण्डल सर्व-पिशाच-मण्डलोच्चाटन ! भूत-ज्वर-एकाहिक-ज्वर, द्वयाहिक-ज्वर, त्र्याहिक-ज्वर ॥ चातुर्थिक-ज्वर, संताप-ज्वर, विषम-ज्वर, ताप-ज्वर ! माहेश्वर-वैष्णव-ज्वरान् छिन्दि-छिन्दि यक्ष ब्रह्म-राक्षस !! भूत-प्रेत-पिशाचान् उच्चाटय-उच्चाटय स्वाहा ॥ ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते श्रीमहा-हनुमते ! ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः आं हां हां हां हां ॥ ॐ सौं एहि एहि ॐ हं ॐ हं ॐ हं ॐ हं ! ॐ नमो भगवते श्रीमहा-हनुमते श्रवण-चक्षुर्भूतानां ॥ शाकिनी डाकिनीनां विषम-दुष्टानां सर्व-विषं हर हर ! आकाश-भुवनं भेदय भेदय छेदय छेदय मारय मारय ॥ शोषय शोषय मोहय मोहय ज्वालय ज्वालय ! प्रहारय प्रहारय शकल-मायां भेदय भेदय स्वाहा ॥ ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते महा-हनुमते सर्व-ग्रहोच्चाटन ! परबलं क्षोभय क्षोभय सकल-बंधन मोक्षणं कुर-कुरु ॥ शिरः-शूल गुल्म-शूल सर्व-शूलान्निर्मूलय निर्मूलय ! नागपाशानन्त-वासुकि-तक्षक-कर्कोटकालियान् !! यक्ष-कुल-जगत-रात्रिञ्चर-दिवाचर-सर्पान्निर्विषं कुरु-कुरु स्वाहा ॥ ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते महा-हनुमते ! राजभय चोरभय पर-मन्त्र-पर-यन्त्र-पर-तन्त्र ॥ पर-विद्याश्छेदय छेदय सर्व-शत्रून्नासय ! नाशय असाध्यं साधय साधय हुं फट् स्वाहा ॥

हनुमान वडवानल स्तोत्र | Hanuman Vadvanal Stotra : पूजा का महामंत्र

इस हनुमान वडवानल स्तोत्र में विभीषण ने भगवान राम और हनुमान का वर्णन किया हैं। इस स्त्रोत का जाप करने से आप के जीवन के सभी कष्टों का नाश होगा तथा आप खुद को सुरक्षित महसूस करेंगे। यह हनुमान पूजा मंत्र भगवान की कृपा को पाने का एक महामंत्र है। इस स्त्रोत में हनुमान जी … Read more

Aigiri Nandini Lyrics अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते... गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते ! भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते... जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते !! १ !! सुरवरवर्षिणि दुर्धरधर्षिणि दुर्मुखमर्षिणि हर्षरते... त्रिभुवनपोषिणि शङ्करतोषिणि किल्बिषमोषिणि घोषरते ! दनुजनिरोषिणि दितिसुतरोषिणि दुर्मदशोषिणि सिन्धुसुते... जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते !! २ !! अयि जगदम्ब मदम्ब कदम्ब वनप्रियवासिनि हासरते... शिखरि शिरोमणि तुङ्गहिमलय शृङ्गनिजालय मध्यगते ! मधुमधुरे मधुकैटभगञ्जिनि कैटभभञ्जिनि रासरते... जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते !! ३ !! अयि शतखण्ड विखण्डितरुण्ड वितुण्डितशुण्द गजाधिपते... रिपुगजगण्ड विदारणचण्ड पराक्रमशुण्ड मृगाधिपते ! निजभुजदण्ड निपातितखण्ड विपातितमुण्ड भटाधिपते... जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते !! ४ !! अयि रणदुर्मद शत्रुवधोदित दुर्धरनिर्जर शक्तिभृते... चतुरविचार धुरीणमहाशिव दूतकृत प्रमथाधिपते ! दुरितदुरीह दुराशयदुर्मति दानवदुत कृतान्तमते... जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते !! ५ !! अयि शरणागत वैरिवधुवर वीरवराभय दायकरे... त्रिभुवनमस्तक शुलविरोधि शिरोऽधिकृतामल शुलकरे ! दुमिदुमितामर धुन्दुभिनादमहोमुखरीकृत दिङ्मकरे... जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते !! ६ !! अयि निजहुङ्कृति मात्रनिराकृत धूम्रविलोचन धूम्रशते... समरविशोषित शोणितबीज समुद्भवशोणित बीजलते ! शिवशिवशुम्भ निशुम्भमहाहव तर्पितभूत पिशाचरते... जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते !! ७ !! धनुरनुषङ्ग रणक्षणसङ्ग परिस्फुरदङ्ग नटत्कटके... कनकपिशङ्ग पृषत्कनिषङ्ग रसद्भटशृङ्ग हताबटुके ! कृतचतुरङ्ग बलक्षितिरङ्ग घटद्बहुरङ्ग रटद्बटुके... जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते !! ८ !! सुरललना ततथेयि तथेयि कृताभिनयोदर नृत्यरते... कृत कुकुथः कुकुथो गडदादिकताल कुतूहल गानरते ! धुधुकुट धुक्कुट धिंधिमित ध्वनि धीर मृदंग निनादरते... जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते !! ९ !! जय जय जप्य जयेजयशब्द परस्तुति तत्परविश्वनुते... झणझणझिञ्झिमि झिङ्कृत नूपुरशिञ्जितमोहित भूतपते ! नटित नटार्ध नटी नट नायक नाटितनाट्य सुगानरते... जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते !! १० !! अयि सुमनःसुमनःसुमनः सुमनःसुमनोहरकान्तियुते... श्रितरजनी रजनीरजनी रजनीरजनी करवक्त्रवृते ! सुनयनविभ्रमर भ्रमरभ्रमर भ्रमरभ्रमराधिपते... जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते !! ११ !! सहितमहाहव मल्लमतल्लिक मल्लितरल्लक मल्लरते... विरचितवल्लिक पल्लिकमल्लिक झिल्लिकभिल्लिक वर्गवृते ! शितकृतफुल्ल समुल्लसितारुण तल्लजपल्लव सल्ललिते... जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते !! १२ !! अविरलगण्ड गलन्मदमेदुर मत्तमतङ्ग जराजपते... त्रिभुवनभुषण भूतकलानिधि रूपपयोनिधि राजसुते ! अयि सुदतीजन लालसमानस मोहन मन्मथराजसुते... जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते !! १३ !! कमलदलामल कोमलकान्ति कलाकलितामल भाललते... सकलविलास कलानिलयक्रम केलिचलत्कल हंसकुले ! अलिकुलसङ्कुल कुवलयमण्डल मौलिमिलद्बकुलालिकुले... जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते !! १४ !! करमुरलीरव वीजितकूजित लज्जितकोकिल मञ्जुमते... मिलितपुलिन्द मनोहरगुञ्जित रञ्जितशैल निकुञ्जगते ! निजगणभूत महाशबरीगण सद्गुणसम्भृत केलितले... जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते !! १५ !! कटितटपीत दुकूलविचित्र मयुखतिरस्कृत चन्द्ररुचे... प्रणतसुरासुर मौलिमणिस्फुर दंशुलसन्नख चन्द्ररुचे ! जितकनकाचल मौलिमदोर्जित निर्भरकुञ्जर कुम्भकुचे... जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते !! १६ !! विजितसहस्रकरैक सहस्रकरैक सहस्रकरैकनुते... कृतसुरतारक सङ्गरतारक सङ्गरतारक सूनुसुते ! सुरथसमाधि समानसमाधि समाधिसमाधि सुजातरते... जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते !! १७ !! पदकमलं करुणानिलये वरिवस्यति योऽनुदिनं सुशिवे... अयि कमले कमलानिलये कमलानिलयः स कथं न भवेत् ! तव पदमेव परम्पदमित्यनुशीलयतो मम किं न शिवे... जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते !! १८ !! कनकलसत्कलसिन्धुजलैरनुषिञ्चति तेगुणरङ्गभुवम्... भजति स किं न शचीकुचकुम्भतटीपरिरम्भसुखानुभवम् ! तव चरणं शरणं करवाणि नतामरवाणि निवासि शिवम्... जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते !! १९ !! तव विमलेन्दुकुलं वदनेन्दुमलं सकलं ननु कूलयते... किमु पुरुहूतपुरीन्दु मुखी सुमुखीभिरसौ विमुखीक्रियते ! मम तु मतं शिवनामधने भवती कृपया किमुत क्रियते... जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते !! २० !! अयि मयि दीन दयालुतया कृपयैव त्वया भवितव्यमुमे... अयि जगतो जननी कृपयासि यथासि तथानुमितासिरते ! यदुचितमत्र भवत्युररीकुरुतादुरुतापमपाकुरुते... जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते !! २१ !!

अयिगिरि नंदिनी लिरिक्स | Aigiri Nandini Lyrics : बुरी शक्तियों का नाश

अयिगिरि नंदिनी एक संस्कृत मंत्र है जो माँ दुर्गा के लिए समर्पित है इसे महिषासुरमर्दिनि स्तोत्र के नाम से जाना जाता है। माँ का यह रौद्र रूप सबसे शक्तिशाली राक्षस महिषासुर के वध के लिए प्रकट हुआ था। आप भी अपने जीवन में बुरी शक्तियों का नाश और दुश्मनों से रक्षा चाहते है तो और माता का … Read more

Kartavirya Arjuna Mantra कार्तवीर्यार्जुनॊनाम राजाबाहुसहस्रवान् ... तस्यस्मरण मात्रॆण गतम् नष्टम् च लभ्यतॆ !! कार्तवीर्यह:खलद्वॆशीकृत वीर्यॊसुतॊबली ... सहस्र बाहु:शत्रुघ्नॊ रक्तवास धनुर्धर: !! रक्तगन्थॊ रक्तमाल्यॊ राजास्मर्तुरभीश्टद:... द्वादशैतानि नामानि कातवीर्यस्य य: पठॆत् !! सम्पदस्तत्र जायन्तॆ जनस्तत्रवशन्गतह:... आनयत्याशु दूर्स्थम् क्षॆम लाभयुतम् प्रियम् !! सहस्रबाहुम् महितम् सशरम् सचापम्... रक्ताम्बरम् विविध रक्तकिरीट भूषम् !! चॊरादि दुष्ट भयनाशन मिश्टदन्तम्... ध्यायॆनामहाबलविजृम्भित कार्तवीर्यम् !! यस्य स्मरण मात्रॆण सर्वदु:खक्षयॊ भवॆत्... यन्नामानि महावीरस्चार्जुनह:कृतवीर्यवान् !! हैहयाधिपतॆ: स्तॊत्रम् सहस्रावृत्तिकारितम्... वाचितार्थप्रदम् नृणम् स्वराज्यम् सुक्रुतम् यदि !! ॥ इति श्री कार्तवीर्यार्जुन स्त्रोत द्वादश नामस्तॊत्रम् सम्पूर्णम् !!

Kartavirya Arjuna Mantra | कार्तवीर्य अर्जुन: वीरता

कार्तवीर्य अर्जुन, हिन्दू पौराणिक ग्रंथ ‘महाभारत’ में एक महत्वपूर्ण पात्र है। महाभारत में इनके  सौर्य गाथा का वर्णन हुआ है।कार्तवीर्य अर्जुन का चरित्र महाभारत में सहस्रबाहु और धार्मिक पुरुष के रूप में दर्शाया गया है। अर्जुन के बहादुरी और वीरता के कारण वे कार्तवीर्य अर्जुन के नाम से प्रसिद्ध हुए।Kartavirya Arjuna Mantra आपके लिए उपलब्ध … Read more