Maruti Stotra in hindi

Maruti Stotra in Hindi | मारुती स्तोत्र हिंदी में : एक आध्यात्मिक भक्ति पाठ

मारुती स्तोत्र हिंदी में उपलब्ध एक पारंपरिक और धार्मिक स्तोत्र है जो भगवान हनुमान के गुणों का बखान करता है। इसमें हनुमान जी के चमत्कारों, तपस्या, और राम के प्रति उनकी भक्ति का वर्णन किया गया है। इस स्तोत्र में एक अलग ही भक्तिभाव और भगवान के प्रति श्रद्धा दिखाई देती है। मारुती स्तोत्र भक्तों के … Read more

श्री बद्रीनाथ जी की आरती पवन मंद सुगंध शीतल, हेम मंदिर शोभितम्, निकट गंगा बहत निर्मल, श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्॥ शेष सुमिरन करत निशदिन, धरत ध्यान महेश्वरम्, वेद ब्रह्मा करत स्तुति, श्री बद्रीनाथ विश्वम्भरम्॥ ॥ पवन मंद सुगंध शीतल…॥ शक्ति गौरी गणेश शारद, नारद मुनि उच्चारणम्, जोग ध्यान अपार लीला, श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्॥ ॥ पवन मंद सुगंध शीतल…॥ इंद्र चंद्र कुबेर धुनि कर, धूप दीप प्रकाशितम्, सिद्ध मुनिजन करत जय जय, बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्॥ ॥ पवन मंद सुगंध शीतल…॥ यक्ष किन्नर करत कौतुक, ज्ञान गंधर्व प्रकाशितम्, श्री लक्ष्मी कमला चंवरडोल, श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्॥ ॥ पवन मंद सुगंध शीतल…॥ कैलाश में एक देव निरंजन, शैल शिखर महेश्वरम्, राजयुधिष्ठिर करत स्तुति, श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्॥ ॥ पवन मंद सुगंध शीतल…॥ श्री बद्रजी के पंच रत्न, पढ्त पाप विनाशनम्, कोटि तीर्थ भवेत पुण्य, प्राप्यते फलदायकम्॥ ॥ पवन मंद सुगंध शीतल…॥ पवन मंद सुगंध शीतल, हेम मंदिर शोभितम्, निकट गंगा बहत निर्मल, श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्॥ ॥ इति श्री बद्रीनाथ जी आरती संपूर्णम्॥

श्री बद्रीनाथ जी की आरती | Shri Badrinath Ji ki Aarti

श्री बद्रीनाथ धाम, हिन्दू धर्म के चार धामों में से एक, वह पवित्र स्थल है जहाँ बद्री नारायण जी की आराधना की जाती है। यहाँ प्रतिदिन गूंजने वाली “श्री बद्रीनाथ जी की आरती” भक्तों के लिए आस्था, श्रद्धा और भक्ति का अद्वितीय अनुभव है। यह Shri Badrinath Ji ki Aarti केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, … Read more

Shiv Stuti 1

Shiv Stuti | शिव स्तुति : भगवान शिव के चमत्कार

शिव स्तुति, भगवान शिव की आराधना का एक ऐसा दिव्य माध्यम है, जो भक्तों को उनके अपार प्रेम, करुणा और शक्ति से जोड़ता है। शिव, जिन्हें भोलेनाथ, महादेव और त्रिनेत्रधारी के नाम से भी जाना जाता है, सृष्टि के पालनकर्ता और संहारक दोनों माने जाते हैं। Shiv Stuti का जाप और shiv ji ke bhajan … Read more

Shiv Panchakshar Stotra | शिव पंचाक्षर स्तोत्र

शिव पंचाक्षर स्तोत्र हमरे हिन्दू धर्म का अत्यधिक महत्वपूर्ण मन्त्र है। Shiv Panchakshar Stotra श्लोक सभी शिव भक्तों के लिए आदर्श माना जाता है। इस स्तोत्र में भगवान शिव की असीम कृपा समाहित है जिसका अनुभव इस स्तोत्र का पाठ करने वाले भक्त कर सकते है। नियमित रूप से इस स्तोत्र का जाप करके भगवान शिव की विशेष … Read more

Hanuman Ashtak in Hindi | हनुमान अष्टक इन हिंदी

हनुमान अष्टक इन हिंदी उन भक्तों के लिए एक उत्तम साधन है, जो भगवान हनुमान की कृपा से अपने जीवन के सभी संकटों से छुटकारा पाना चाहते हैं। इसमें आठ मंत्रात्मक श्लोक होते हैं, जो उनके बल, बुद्धि, और भक्तों के प्रति उनके असीम प्रेम का वर्णन करते हैं। जो लोग जीवन में निरंतर संघर्ष … Read more

लक्ष्मी आरती लिरिक्स मंत्र महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं सुरेश्वरि। हरि प्रिये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं दयानिधे॥ पद्मालये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं च सर्वदे। सर्वभूत हितार्थाय, वसु सृष्टिं सदा कुरुं॥ आरती ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता। तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥ उमा, रमा, ब्रम्हाणी, तुम ही जग माता। सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥ ॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥ दुर्गा रुप निरंजनि, सुख-संपत्ति दाता। जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥ ॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥ तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता। कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी, भव निधि की त्राता॥ ॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥ जिस घर तुम रहती हो, ताँहि में हैं सद्‍गुण आता। सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता॥ ॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥ तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता। खान पान का वैभव, सब तुमसे आता॥ ॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥ शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता। रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥ ॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥ महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता। उँर आंनद समाता, पाप उतर जाता॥ ॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥ ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता। तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥

Laxmi Aarti Lyrics | लक्ष्मी आरती लिरिक्स : धन की वर्षा

माता लक्ष्मी जी को धन, समृद्धि, और वैभव की देवी माना जाता हैं और लक्ष्मी आरती लिरिक्स का हमारे भारतीय संस्कृति में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। उन्हें धन और ऐश्वर्य की देवी के रूप में पूजा जाता है, और उनकी कृपा से व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि का वास होता है। Laxmi … Read more

सूर्य देव की आरती ऊँ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान। जगत् के नेत्र स्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा। धरत सब ही तव ध्यान, ऊँ जय सूर्य भगवान॥ ॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥ सारथी अरूण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी॥ अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटी किरण पसारे। तुम हो देव महान॥ ॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥ ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते॥ फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान॥ ॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥ संध्या में भुवनेश्वर, अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते॥ गोधुली बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान॥ ॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥ देव दनुज नर नारी, ऋषि मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते॥ स्त्रोत ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान॥ ॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥ तुम हो त्रिकाल रचियता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार॥ प्राणों का सिंचन करके, भक्तों को अपने देते। बल बृद्धि और ज्ञान॥ ॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥ भूचर जल चर खेचर, सब के हो प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं॥ वेद पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्व शक्तिमान॥ ॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥ पूजन करती दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल॥ ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान॥ ॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥ ऊँ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान। जगत के नेत्र रूवरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा॥ धरत सब ही तव ध्यान, ऊँ जय सूर्य भगवान॥

Surya dev ki Aarti lyrics | सूर्य देव की आरती लिरिक्स : कुष्ठरोग से छुटकारा

सूर्य देव को हिंदू धर्म में ऊर्जा, प्रकाश, और जीवन के स्रोत के रूप में पूजा जाता है। सूर्य देव की आरती लिरिक्स में उनकी महिमा और शक्ति का गुणगान करने के लिए किया जाता है, जो भक्तों को आंतरिक शक्ति और आत्मविश्वास प्रदान करता है। उन्हें नवग्रहों में प्रमुख स्थान प्राप्त है और वे … Read more

चंद्रदेव की आरती ॐ जय सोम देवा, स्वामी जय सोम देवा । दुःख हरता सुख करता, जय आनन्दकारी॥ ॐ जय सोम देवा.. रजत सिंहासन राजत, ज्योति तेरी न्यारी। दीन दयाल दयानिधि, भव बन्धन हारी॥ ॐ जय सोम देवा... जो कोई आरती तेरी, प्रेम सहित गावे। सकल मनोरथ दायक, निर्गुण सुखराशि॥ ॐ जय सोम देवा... योगीजन हृदय में, तेरा ध्यान धरें । ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, सन्त करें सेवा॥ ॐ जय सोम देवा... वेद पुराण बखानत, भय पातक हारी। प्रेमभाव से पूजें, सब जग के नारी॥ ॐ जय सोम देवा... शरणागत प्रतिपालक, भक्तन हितकारी। धन सम्पत्ति और वैभव, सहजे सो पावे॥ ॐ जय सोम देवा... विश्व चराचर पालक, ईश्वर अविनाशी। सब जग के नर नारी, पूजा पाठ करें॥ ॐ जय सोम देवा... ॐ जय सोम देवा, स्वामी जय सोम देवा॥

Chandrdev Ki Aarti | चंद्रदेव की आरती : शीतलता का अनुभव

चंद्रदेव की आरती हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है, क्योंकि चंद्रमा को मन और भावनाओं का स्वामी माना जाता है। चंद्रदेव, जिन्हें सोम या शशि के नाम से भी जाना जाता है, शीतलता, शांति और मानसिक संतुलन के प्रतीक हैं। Chandrdev Ki Aarti का गायन जीवन में शांति, सौम्यता, और समृद्धि लाने का एक … Read more

कार्तिकेय जी की आरती जय जय आरती वेणु गोपाला.. वेणु गोपाला वेणु लोला पाप विदुरा नवनीत चोरा। जय जय आरती वेंकटरमणा, वेंकटरमणा संकटहरणा सीता राम राधे श्याम। जय जय आरती गौरी मनोहर, गौरी मनोहर भवानी शंकर साम्ब सदाशिव उमा महेश्वर। जय जय आरती राज राजेश्वरि राज राजेश्वरि त्रिपुरसुन्दरि, महा सरस्वती महा लक्ष्मी महा काली महा लक्ष्मी। जय जय आरती आन्जनेय आन्जनेय हनुमन्ता, जय जय आरति दत्तात्रेय दत्तात्रेय त्रिमुर्ति अवतार। जय जय आरती सिद्धि विनायक सिद्धि विनायक श्री गणेश, जय जय आरती सुब्रह्मण्य सुब्रह्मण्य कार्तिकेय।

Kartikeya Ji Ki Aarti | कार्तिकेय जी की आरती : अनुपम भक्ति स्वर

कार्तिकेय जी, भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं, और गणेश जी के छोटे भाई हैं, हिंदू धर्म में युद्ध और पराक्रम का देवता माना जाता हैं। कार्तिकेय जी की आरती उनकी भक्ति और आराधना का एक महत्वपूर्ण भाग है, जिसे विशेष रूप से दक्षिण भारत में बड़े भक्तिभाव से गाया जाता है। Kartikeya … Read more

Shri Kuber Ji Ki Aarti ॥ॐ जय यक्ष कुबेर हरे...॥ स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे। शरण पड़े भगतों के, भण्डार कुबेर भरे। ॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे…॥ शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े, स्वामी भक्त कुबेर बड़े। दैत्य दानव मानव से, कई-कई युद्ध लड़े। ॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे…॥ स्वर्ण सिंहासन बैठे, सिर पर छत्र फिरे, स्वामी सिर पर छत्र फिरे। योगिनी मंगल गावैं, सब जय जय कार करैं। ॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे…॥ गदा त्रिशूल हाथ में, शस्त्र बहुत धरे, स्वामी शस्त्र बहुत धरे। दुख भय संकट मोचन, धनुष टंकार करे। ॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे…॥ भांति भांति के व्यंजन बहुत बने, स्वामी व्यंजन बहुत बने। मोहन भोग लगावैं, साथ में उड़द चने। ॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे…॥ यक्ष कुबेर जी की आरती, जो कोई नर गावे, स्वामी जो कोई नर गावे । कहत प्रेमपाल स्वामी, मनवांछित फल पावे। ॥समाप्त॥

Shri Kuber Ji Ki Aarti | श्री कुबेर जी की आरती : दिव्य भक्ति स्वर

श्री कुबेर जी की आरती एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्तोत्र है, जो धन और समृद्धि के देवता कुबेर की आराधना में गाई जाती है। भगवान कुबेर को धन के स्वामी और सभी प्रकार की भौतिक सुख-सुविधाओं का देवता कहा जाता है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि जो व्यक्ति कुबेर जी की सच्ची श्रद्धा से पूजा … Read more