40+Sai Baba Shayari

40+Sai Baba Shayari: साईं बाबा की दिल को छू जाने वाली शायरियाँ

भक्ति जब शब्दों में ढलती है, तो वो शायरी बन जाती है – और जब वो शायरी साईं बाबा से जुड़ी हो, तो हर पंक्ति में चमत्कार बस जाता है। साईं बाबा शायरी सिर्फ़ अल्फ़ाज़ नहीं होते, ये वो एहसास हैं जो दिल से निकलकर सीधे आत्मा तक पहुँचते हैं। यह लेख उन सभी श्रद्धालुओं … Read more

kartavirya arjuna stotram in telugu pdf

कार्तवीर्य अर्जुन स्तोत्रम् इन तेलुगू पीडीएफ: విజయం మరియు శక్తి ప్రసాదించే దివ్య స్తోత్రం

కార్తవీర్య అర్జున స్తోత్రం యొక్క PDF రూపం ఒక అద్భుతమైన साधనం. ఇది మీకు ఈ శక్తివంతమైన స్తోత్రం పఠించడానికి సహాయపడుతుంది. కార్తవీర్య అర్జున స్తోత్రం తెలుగులో PDF ద్వారా, మీరు విజయం, సమృద్ధి, మరియు దివ్య ఆశీర్వాదం పొందేందుకు ఈ స్తోత్రం ను నియమితంగా పఠించవచ్చు. మీరు Kartavirya Arjuna Stotram In Telugu PDF డౌన్‌లోడ్ చేయాలనుకుంటే, కింద ఇచ్చిన డౌన్‌లోడ్ బటన్ పై క్లిక్ చేయండి: Kartavirya Arjuna Stotram In Telugu … Read more

Guru Ka Vedic Mantra ओम बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु॥ यद्दीदयच्छवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्॥१॥ ॥ ॐ बृ बृहस्पतये नमः ॥२॥ ॐ अंगिरसाय विद्महे दिव्यदेहाय धीमहि, तन्नो जीव: प्रचोदयात॥३॥

बृहस्पति वैदिक मंत्र : ज्ञान, समृद्धि और सौभाग्य का स्रोत

वैदिक परंपरा में, बृहस्पति वैदिक मंत्र का जाप अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि यह जीवन में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है और हर क्षेत्र में सफलता दिलाने में सहायक होता है। Brihaspati Vedic Mantra न केवल आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ाता है, बल्कि करियर, शिक्षा और विवाह समस्यां को भी दूर करता है। यहां इस मंत्र … Read more

Kartavirya Arjuna Stotram कार्तवीर्यार्जुनो नाम राजा बाहुसहस्रवान्। तस्य स्मरणमात्रेण गतं नष्टं च लभ्यते ॥1॥ कार्तवीर्यः खलद्वेषी कृतवीर्यसुतो बली। सहस्रबाहुः शत्रुघ्नो रक्तवासा धनुर्धरः ॥2॥ रक्तगन्धो रक्तमाल्यो राजा स्मर्तुरभीष्टदः। द्वादशैतानि नामानि कार्तवीर्यस्य यः पठेत् ॥3॥ सम्पदस्तत्र जायन्ते जनस्तत्र वशं गतः। आनयत्याशु दूरस्थं क्षेमलाभयुतं प्रियम् ॥4॥ कार्तवीर्य महाबाहो सर्वदिष्टविबर्हण। सर्वं रक्ष सदा तिष्ठ दुष्टान्नाशय पाहि माम् ॥5॥ सहस्रबाहुसशरं महितं सचापं रक्ताम्बरं रक्तकिरीटकुण्डलम्। चोरादि-दुष्टभय-नाशं इष्टदं तं ध्यायेत् महाबल-विजृम्भित-कार्तवीर्यम् ॥6॥ यस्य स्मरणमात्रेण सर्वदुःखक्षयो भवेत्। यन्नामानि महावीर्यश्चार्जुनः कृतवीर्यवान् ॥7॥ हैहयाधिपतेः स्तोत्रं सहस्रावृत्तिकारितम्। वाञ्चितार्थप्रदं नृणां स्वराज्यं सुकृतं यदि ॥8॥ ॥ इति कार्तवीर्य द्वादशनाम स्तोत्रम्॥

कार्तवीर्य अर्जुन स्तोत्रम्: शक्तिशाली राजा के स्मरण का दिव्य स्तोत्र

हिंदू धर्म में कार्तवीर्य अर्जुन स्तोत्रम् एक अत्यंत प्रभावशाली और शक्ति प्रदान करने वाला स्तोत्र माना जाता है। Kartavirya Arjuna Stotram भगवान दत्तात्रेय के परम भक्त और महान चक्रवर्ती सम्राट कार्तवीर्य अर्जुन को समर्पित है, जिनकी सहस्त्र भुजाएँ और अद्वितीय पराक्रम की कथा पुराणों में वर्णित है। यदि आप Kartavirya Arjuna Mantra Lyrics की तलाश … Read more

जय शनिदेव भक्त हितकारी

शनि देव केवल न्याय के देवता ही नहीं, बल्कि अपने भक्तों के सच्चे हितैषी भी हैं। जो भक्त सच्चे हृदय से उनकी शरण में आते हैं, उन्हें वे कष्टों से मुक्त कर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। जय शनिदेव भक्त हितकारी भजन शनि देव की महिमा का गुणगान करता है और उनके दयालु स्वरूप को … Read more

जय जय हे शनि राज देव

शनि देव को समर्पित भजनों का गायन और पाठ जीवन में शांति, स्थिरता और संतुलन लाने का एक प्रभावी माध्यम है। जय जय हे शनि राज देव भजन शनि देव की महिमा का गुणगान करता है और उनकी कृपा की कामना करता है। जब हम श्रद्धा से शनि देव की आराधना करते हैं, तो वे … Read more

शनि देवा जी भगतो की लाज रखना

शनि देव अपने भक्तों की रक्षा करने वाले, न्यायप्रिय और कृपालु देवता हैं। वे अपने भक्तों के सच्चे मन से किए गए भक्ति भाव को स्वीकार कर उनके कष्टों का निवारण करते हैं। शनि देवा जी, भक्तों की लाज रखना भजन में शनि देव से प्रार्थना की गई है कि वे अपने भक्तों पर कृपा … Read more

Brihaspati Ashtottara Shatanama Stotram गुरुर्गुणवरो गोप्ता गोचरो गोपतिप्रियः, गुणी गुणवतां श्रेष्ठो गुरूणां गुरुरव्ययः। जेता जयंतो जयदो जीवोऽनंतो जयावहः, आंगीरसोऽध्वरासक्तो विविक्तोऽध्वरकृत्परः। वाचस्पतिर्वशी वश्यो वरिष्ठो वाग्विचक्षणः, चित्तशुद्धिकरः श्रीमान् चैत्रः चित्रशिखंडिजः। बृहद्रथो बृहद्भानुर्बृहस्पतिरभीष्टदः, सुराचार्यः सुराराध्यः सुरकार्यहितंकरः। गीर्वाणपोषको धन्यो गीष्पतिर्गिरिशोऽनघः, धीवरो धिषणो दिव्यभूषणो देवपूजितः। धनुर्धरो दैत्यहंता दयासारो दयाकरः, दारिद्र्यनाशको धन्यो दक्षिणायनसंभवः। धनुर्मीनाधिपो देवो धनुर्बाणधरो हरिः, आंगीरसाब्जसंजातः आंगीरसकुलोद्भवः। सिंधुदेशाधिपो धीमान् स्वर्णवर्णश्चतुर्भुजः, हेमांगदो हेमवपुर्हेमभूषणभूषितः। पुष्यनाथः पुष्यरागमणिमंडलमंडितः, काशपुष्पसमानाभः कलिदोषनिवारकः। इंद्रादिदेवोदेवेशो देवताभीष्टदायकः, असमानबलः सत्त्वगुणसंपद्विभासुरः। भूसुराभीष्टदो भूरियशः पुण्यविवर्धनः, धर्मरूपो धनाध्यक्षो धनदो धर्मपालनः। सर्ववेदार्थतत्त्वज्ञः सर्वापद्विनिवारकः, सर्वपापप्रशमनः स्वमतानुगतामरः। ऋग्वेदपारगो ऋक्षराशिमार्गप्रचारकः, सदानंदः सत्यसंधः सत्यसंकल्पमानसः । सर्वागमज्ञः सर्वज्ञः सर्ववेदांतविद्वरः, ब्रह्मपुत्रो ब्राह्मणेशो ब्रह्मविद्याविशारदः। समानाधिकनिर्मुक्तः सर्वलोकवशंवदः, ससुरासुरगंधर्ववंदितः सत्यभाषणः। नमः सुरेंद्रवंद्याय देवाचार्याय ते नमः, नमस्तेऽनंतसामर्थ्य वेदसिद्धांतपारगः। सदानंद नमस्तेऽस्तु नमः पीडाहराय च, नमो वाचस्पते तुभ्यं नमस्ते पीतवाससे। नमोऽद्वितीयरूपाय लंबकूर्चाय ते नमः, नमः प्रहृष्टनेत्राय विप्राणां पतये नमः. नमो भार्गवशिष्याय विपन्नहितकारिणे, नमस्ते सुरसैन्यानां विपत्तित्राणहेतवे। बृहस्पतिः सुराचार्यो दयावान् शुभलक्षणः, लोकत्रयगुरुः श्रीमान् सर्वगः सर्वतोविभुः। सर्वेशः सर्वदातुष्टः सर्वदः सर्वपूजितः, अक्रोधनो मुनिश्रेष्ठो नीतिकर्ता जगत्पिता। विश्वात्मा विश्वकर्ता च विश्वयोनिरयोनिजः, भूर्भुवोधनदाता च भर्ताजीवो महाबलः । बृहस्पतिः काश्यपेयो दयावान् शुभलक्षणः, अभीष्टफलदः श्रीमान् शुभग्रह नमोऽस्तु ते। बृहस्पतिः सुराचार्यो देवासुरसुपूजितः, आचार्योदानवारिश्च सुरमंत्री पुरोहितः। कालज्ञः कालृग्वेत्ता चित्तगश्च प्रजापतिः, विष्णुः कृष्णः सदासूक्ष्मः प्रतिदेवोज्ज्वलग्रहः। इति श्री बृहस्पति अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम्

बृहस्पति अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम् : गुरु की कृपा पाने का दिव्य मार्ग

बृहस्पति अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम् एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है, जिसमें बृहस्पति देव के 108 दिव्य नामों का वर्णन किया गया है। Brihaspati Ashtottara Shatanama Stotram विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है, जिनका गुरु ग्रह अशुभ स्थिति में है। बृहस्पति देव को प्रसन्न करने के लिए इस स्तोत्र का पाठ अत्यंत प्रभावी माना … Read more

Brihaspati Angiras Rishi Stotram बृहस्पतिं वाग्रहणं च बुद्धिं ज्ञानं च विद्यां च धृतिं श्रुतिं च। विनीतभावं च दयां च शीलं प्रदाय नः पातु गुरुर्गरीयान् ॥ १ ॥ देवानां च ऋषीणां च गुरुं काञ्चनसन्निभम्। बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम् ॥ २ ॥ सुराचार्यं शुद्धबुद्धिं ज्ञानविज्ञानकारकम्। सर्वदोषहरं देवं तं नमामि बृहस्पतिम् ॥ ३ ॥ नमस्ते देवदेवेश नमस्ते दैवतप्रिय। नमस्ते लोकनाथाय नमस्ते गुरवे नमः ॥ ४ ॥ शान्तं पद्मधरं वन्दे सुराचार्यं कृपानिधिम्। सर्वदोषहरं देवं बृहस्पतिं नमाम्यहम् ॥ ५ ॥ ॥ इति श्रीबृहस्पति अङ्गिरस ऋषि स्तोत्रम् संपूर्णम् ॥

बृहस्पति अङ्गिरस ऋषि स्तोत्रम्: ज्ञान, बुद्धि और समृद्धि का दिव्य स्रोत

बृहस्पति अङ्गिरस ऋषि स्तोत्रम् एक अत्यंत शक्तिशाली बृहस्पति स्तोत्र है, जिसकी रचना अङ्गिरस ऋषि ने की थी है। हिंदू शास्त्रों में बृहस्पति ग्रह को ज्ञान, शिक्षा, विवेक और शुभता का कारक माना गया है। ऋषि अङ्गिरस ने गुरु बृहस्पति की स्तुति में Brihaspati Angiras Rishi Stotram रचा, जो आज भी भक्तों को ज्ञान, धैर्य और … Read more