अन्नपूर्णा अष्टकम् : धन, धान्य और समृद्धि की देवी की स्तुति

अन्नपूर्णा अष्टकम् एक अत्यंत पवित्र स्तोत्र है, जो माँ अन्नपूर्णा की महिमा का गुणगान करता है। यह स्तुति आदि शंकराचार्य द्वारा रचित मानी जाती है और इसमें माँ अन्नपूर्णा को अन्न, धान्य और समृद्धि की देवी के रूप में वर्णित किया गया है। Annapurna Ashtakam के प्रत्येक श्लोक में उनकी कृपा और दया का उल्लेख किया गया है, जो भक्तों को हर प्रकार की चिंता और अभाव से मुक्त करती हैं।

Annapurna Ashtakam Lyrics

नित्यानन्दकरी वराभयकरी सौन्दर्यरत्नाकरी,
निर्धूताखिलघोरपावनकरी प्रत्यक्षमाहेश्वरी॥
प्रालेयाचलवंशपावनकरी काशीपुराधीश्वरी,
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥1॥

नानारत्नविचित्रभूषणकरी हेमाम्बराडम्बरी,
मुक्ताहारविलम्बमानविलसद्वक्षोजकुम्भान्तरी॥
काश्मीरागरुवासिताङ्गरुचिरे काशीपुराधीश्वरी,
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥2॥

योगानन्दकरी रिपुक्षयकरी धर्मार्थनिष्ठाकरी,
चन्द्रार्कानलभासमानलहरी त्रैलोक्यरक्षाकरी॥
सर्वैश्वर्यसमस्तवाञ्छितकरी काशीपुराधीश्वरी,
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥3॥

कैलासाचलकन्दरालयकरी गौरी उमा शङ्करी,
कौमारी निगमार्थगोचरकरी ओङ्कारबीजाक्षरी॥
मोक्षद्वारकपाटपाटनकरी काशीपुराधीश्वरी,
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥4॥

दृश्यादृश्यविभूतिवाहनकरी ब्रह्माण्डभाण्डोदरी,
लीलानाटकसूत्रभेदनकरी विज्ञानदीपाङ्कुरी॥
श्रीविश्वेशमनःप्रसादनकरी काशीपुराधीश्वरी,
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥5॥

उर्वीसर्वजनेश्वरी भगवती मातान्नपूर्णेश्वरी,
वेणीनीलसमानकुन्तलहरी नित्यान्नदानेश्वरी॥
सर्वानन्दकरी सदा शुभकरी काशीपुराधीश्वरी,
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥6॥

आदिक्षान्तसमस्तवर्णनकरी शम्भोस्त्रिभावाकरी,
काश्मीरात्रिजलेश्वरी त्रिलहरी नित्याङ्कुरा शर्वरी॥
कामाकाङ्क्षकरी जनोदयकरी काशीपुराधीश्वरी,
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥7॥

देवी सर्वविचित्ररत्नरचिता दाक्षायणी सुन्दरी,
वामं स्वादुपयोधरप्रियकरी सौभाग्यमाहेश्वरी॥
भक्ताभीष्टकरी सदा शुभकरी काशीपुराधीश्वरी,
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥8॥

चन्द्रार्कानलकोटिकोटिसदृशा चन्द्रांशुबिम्बाधरी,
चन्द्रार्काग्निसमानकुन्तलधरी चन्द्रार्कवर्णेश्वरी॥
मालापुस्तकपाशासाङ्कुशधरी काशीपुराधीश्वरी,
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥9॥

क्षत्रत्राणकरी महाऽभयकरी माता कृपासागरी,
साक्षान्मोक्षकरी सदा शिवकरी विश्वेश्वरश्रीधरी॥
दक्षाक्रन्दकरी निरामयकरी काशीपुराधीश्वरी,
भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी ॥10॥

अन्नपूर्णे सदापूर्णे शङ्करप्राणवल्लभे॥
ज्ञानवैराग्यसिद्ध्यर्थं भिक्षां देहि च पार्वति ॥11॥

माता च पार्वती देवी पिता देवो महेश्वरः॥
बान्धवाः शिवभक्ताश्च स्वदेशो भुवनत्रयम् ॥12॥

॥ श्री शङ्कराचार्य कृतं ॥

अन्नपूर्णा अष्टकम् लिरिक्स केवल एक स्तोत्र नहीं, बल्कि माँ अन्नपूर्णा की अनुकंपा को पाने का एक दिव्य माध्यम है। इसका पाठ व्यक्ति के जीवन में न केवल भौतिक समृद्धि लाता है, बल्कि आंतरिक शांति और संतोष भी प्रदान करता है। यह हमें सिखाता है कि सच्चा धन केवल अन्न-धन ही नहीं, बल्कि ज्ञान और भक्ति भी है, जो जीवन को सार्थक बनाता है।

Annapurna Ashtakam पाठ विधि

माँ अन्नपूर्णा अन्न, धन और ज्ञान की देवी हैं। अन्नपूर्णा अष्टकम् का पाठ करने से घर में समृद्धि, शांति और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। सही विधि से इसका पाठ करने से माँ की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

  1. शुद्धता और स्नान: सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। मानसिक और शारीरिक शुद्धता का ध्यान रखें। यदि संभव हो तो सफेद या पीले रंग के वस्त्र पहनें, क्योंकि ये माँ अन्नपूर्णा को प्रिय हैं। स्नान के बाद शांत चित्त होकर पूजा स्थल पर बैठें।
  2. पूजा स्थल: पूजा स्थल को स्वच्छ करें और माँ अन्नपूर्णा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। यदि मंदिर नहीं है तो एक चौकी पर सफेद या पीला कपड़ा बिछाकर माँ का चित्र रखें। गंगाजल या स्वच्छ जल से स्थान को पवित्र करें और शांत वातावरण बनाएं।
  3. भोग चढ़ाना: घी का दीपक जलाकर धूप-अगरबत्ती अर्पित करें। माँ अन्नपूर्णा को अक्षत, पुष्प, चंदन और मिठाई चढ़ाएं। भोग में खीर या सादा भोजन अर्पित करें, क्योंकि वे अन्न और समृद्धि की देवी हैं।
  4. मंत्र जाप: अब माँ अन्नपूर्णा का ध्यान करें और उनकी कृपा का आह्वान करें। फिर ॐ अन्नपूर्णायै नमः मंत्र का 108 बार जाप करें। यह मंत्र समृद्धि और मानसिक शांति लाने में सहायक होता है।
  5. पाठ: श्रद्धा और भाव से ऊपर दिए गए अन्नपूर्णा अष्टकम् लिरिक्स का पाठ करें। हर श्लोक का उच्चारण स्पष्ट करें और उसके अर्थ को समझने का प्रयास करें। यदि परिवार के अन्य सदस्य भी साथ में पाठ करें तो इसका प्रभाव और अधिक बढ़ जाता है।
  6. प्रसाद वितरण: पाठ के बाद माँ अन्नपूर्णा की आरती करें। माता को अर्पित भोजन को प्रसाद रूप में ग्रहण करें और परिवार के सदस्यों में बांटें। यदि संभव हो, तो यह प्रसाद जरूरतमंदों को भी दें, जिससे माँ अन्नपूर्णा की कृपा बनी रहे।

FAQ

क्या इसे कोई भी व्यक्ति पढ़ सकता है?

हाँ, इसे कोई भी श्रद्धा और विश्वास के साथ पढ़ सकता है, चाहे स्त्री हो या पुरुष, युवा हो या वृद्ध।

अष्टकम् का पाठ किसी विशेष दिन करना चाहिए?

इसका पाठ करने के क्या लाभ हैं?

क्या इस स्तोत्र को कंठस्थ करने से कोई विशेष लाभ होता है?

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