सबसे पहले हम आप को यह बता दे की ‘आदित्य ‘शब्द से भगवान सूर्य को सम्बोधित किया जाता है। आदित्य हृदय स्तोत्र भगवान सूर्य की कृपा और ऊर्जा पाने के लिए किया जाता है। शास्त्रों में इस मंत्र का उच्चारण करने का अधिक लाभ और शुभ बताया गया है।
इस प्राचीन स्तोत्र का पाठ करने से आपका मन, शरीर, आत्मा को शक्ति, उत्साह, और आनंद मिलता है। यह स्तोत्र अपने अन्यग्रहों के साथ आपके जीवन में नई ऊर्जा और सफलता प्रदान करता है। Aditya Hridaya Stotra के पाठ से आप के दिन की शुरुआत ऊर्जा से होता है।
Aditya Hridaya Stotra
ततो युद्धपरिश्रान्तं समरे चिन्तया स्थितम् !
रावणं चाग्रतो दृष्टवा युद्धाय समुपस्थितम् ॥1॥
दैवतैश्च समागम्य द्रष्टुमभ्यागतो रणम् !
उपगम्याब्रवीद् राममगरत्यो भगवांस्तदा !! 2 !!
राम राम महाबाहो श्रृणु गुह्यं सनातनम् !
येन सर्वानरीन् वत्स समरे विजयिष्यसे !! 3 !!
आदित्यहृदयं पुण्यं सर्वशत्रुविनाशनम् !
जयावहं जपं नित्यमक्षयं परमं शिवम् !! 4 !!
सर्वमंगलमांगल्यं सर्वपापप्रणाशनम् !
चिन्ताशोकप्रशमनमायुर्वधैनमुत्तमम् !! 5 !!
रश्मिमन्तं समुद्यन्तं देवासुरनमस्कृतम् !
पूजयस्व विवस्वन्तं भास्करं भुवनेश्वरम् !! 6 !!
सर्वदेवतामको ह्येष तेजस्वी रश्मिभावनः !
एष देवासुरगणाँल्लोकान् पाति गभस्तिभिः !! 7 !!
एष ब्रह्मा च विष्णुश्च शिवः स्कन्दः प्रजापतिः !
महेन्द्रो धनदः कालो यमः सोमो ह्यपां पतिः !! 8 !!
पितरो वसवः साध्या अश्विनौ मरुतो मनुः !
वायुर्वन्हिः प्रजाः प्राण ऋतुकर्ता प्रभाकरः !! 9 !!
आदित्यः सविता सूर्यः खगः पूषा गर्भास्तिमान् !
सुवर्णसदृशो भानुहिरण्यरेता दिवाकरः !! 10 !!
हरिदश्वः सहस्रार्चिः सप्तसप्तिर्मरीचिमान् !
तिमिरोन्मथनः शम्भूस्त्ष्टा मार्तण्डकोंऽशुमान् !! 11 !!
हिरण्यगर्भः शिशिरस्तपनोऽहरकरो रविः !
अग्निगर्भोऽदितेः पुत्रः शंखः शिशिरनाशनः !! 12 !!
व्योमनाथस्तमोभेदी ऋम्यजुःसामपारगः !
घनवृष्टिरपां मित्रो विन्ध्यवीथीप्लवंगमः !! 13 !!
आतपी मण्डली मृत्युः पिंगलः सर्वतापनः !
कविर्विश्वो महातेजा रक्तः सर्वभवोदभवः !! 14 !!
नक्षत्रग्रहताराणामधिपो विश्वभावनः !
तेजसामपि तेजस्वी द्वादशात्मन् नमोऽस्तु ते !! 15 !!
नमः पूर्वाय गिरये पश्चिमायाद्रये नमः !
ज्योतिर्गणानां पतये दिनाधिपतये नमः !! 16 !!
जयाय जयभद्राय हर्यश्वाय नमो नमः !
नमो नमः सहस्रांशो आदित्याय नमो नमः !! 17 !!
नम उग्राय वीराय सारंगाय नमो नमः !
नमः पद्मप्रबोधाय प्रचण्डाय नमोऽस्तु ते !! 18 !!
ब्रह्मेशानाच्युतेशाय सूरायदित्यवर्चसे !
भास्वते सर्वभक्षाय रौद्राय वपुषे नमः !! 19 !!
तमोघ्नाय हिमघ्नाय शत्रुघ्नायामितात्मने !
कृतघ्नघ्नाय देवाय ज्योतिषां पतये नमः !! 20 !!
तप्तचामीकराभाय हस्ये विश्वकर्मणे !
नमस्तमोऽभिनिघ्नाय रुचये लोकसाक्षिणे !! 21 !!
नाशयत्येष वै भूतं तमेव सृजति प्रभुः !
पायत्येष तपत्येष वर्षत्येष गभस्तिभिः !! 22 !!
एष सुप्तेषु जागर्ति भूतेषु परिनिष्ठितः !
एष चैवाग्निहोत्रं च फलं चैवाग्निहोत्रिणाम् !! 23 !!
देवाश्च क्रतवश्चैव क्रतूनां फलमेव च !
यानि कृत्यानि लोकेषु सर्वेषु परमप्रभुः !! 24 !!
एनमापत्सु कृच्छ्रेषु कान्तारेषु भयेषु च !
कीर्तयन् पुरुषः कश्चिन्नावसीदति राघव !! 25 !!
पूजयस्वैनमेकाग्रो देवदेवं जगत्पतिम् !
एतत् त्रिगुणितं जप्तवा युद्धेषु विजयिष्ति !! 26 !!
अस्मिन् क्षणे महाबाहो रावणं त्वं जहिष्यसि !
एवमुक्त्वा ततोऽगस्त्यो जगाम स यथागतम् !! 27 !!
एतच्छ्रुत्वा महातेजा, नष्टशोकोऽभवत् तदा !
धारयामास सुप्रीतो राघवः प्रयतात्मवान् !! 28 !!
आदित्यं प्रेक्ष्य जप्त्वेदं परं हर्षमवाप्तवान् !
त्रिराचम्य शुचिर्भूत्वा धनुरादाय वीर्यवान् !! 29 !!
रावणं प्रेक्ष्य हृष्टात्मा जयार्थे समुपागमत् !
सर्वयत्नेन महता वृतस्तस्य वधेऽभवत् !! 30 !!
अथ रविरवदन्निरीक्ष्य रामं मुदितनाः परमं प्रहृष्यमाणः !
निशिचरपतिसंक्षयं विदित्वा सुरगणमध्यगतो वचस्त्वरेति !! 31 !!
आदित्य हृदय स्तोत्र, सूर्य देव से जुड़ा स्तोत्र है। इस स्तोत्र का पाठ करने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा मिलती है। इस लिए इसके साथ-साथ सूर्य देव के मुख्य पाठ surya dev ki aarti एवं Surya Namaskar Mantra, का पाठ करना चाहिए।
आइये जानते हैं कैसे किया जाता है इस स्तोत्र का पाठ
- प्रारंभ मंत्र: इस मंत्र का उच्चारण सूर्योदय के समय किया जाता है।
- स्नान: सबसे पहले स्नान करें और शुद्ध वस्त्र पहनें।
- शांत स्थान का चयन : इसके बाद आप एक शांत और एकाग्र स्थान का चुनाव करें ताकि आप के ध्यान में कोई बाधा न आये।
- ध्यान: आप अपने मन को शुद्ध और शांत रखने के लिए कुछ समय ध्यान में लगाए और सूर्य देवो नमः का जाप करें।
- पूजा स्थल की सजावट: इस स्तोत्र का जाप आप उगते सूर्य के सामने ही होकर करें।
- पूजा सामग्री: पाठ करने के लिए आप एक तांबे के लोटे में जल लेकर उसमे लाल पुष्प, रोली, अक्षत, चंदन रख कर सूर्य देव को अर्पित करें।
- मंत्र का पाठ: इसके बाद श्रद्धापूर्वक सूर्य देव को याद करते हुए मन से पाठ करें और सूर्यदेव की अपार ऊर्जा को अपने अंदर महसूस करें।
- समापन: पूजा के बाद, ध्यान में बैठकर सूर्य भगवान से अपने रोगों ,कष्टों को दूर करने का प्रार्थना करें और उनसे दिनभर के कार्यों के लिए शक्ति मांगें।
- इस विधि के अनुसार आप पाठ कर सकते हैं और आपने जीवन में सकारात्मक परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।
इस स्तोत्र का पाठ करने से आप के जीवन में होने वाले मुख्य लाभ
- आध्यात्मिक विकास: पाठ करने से आपका आध्यात्मिक विकास होता है और आप अपने अंतर्मन को समझने लगते हैं।
- सूर्य की आराधना: स्तोत्र करने का मतलब है आप सूर्य भगवान की आराधना कर रहे हैं जिससे आप उनकी कृपा प्राप्त कर पाते हैं।
- ऊर्जा और सशक्ति: पाठ करने से आपको अपने जीवन में ऊर्जा और सशक्ति मिलती है, जिससे आप दिनभर के कार्यों में सफलता प्राप्त कर पाते हैं।
- रोग निवारण: इस स्तोत्र का जाप करने से मनुष्यों को होने वाले अनेक रोगों का नाश होता है क्योकि सूर्य देव को जल चढ़ाते समय एक लाभकारी किरण निकलता है जो आपके शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारता है।
- मानसिक शांति: स्तोत्र का पाठ करने से मानसिक शांति बनी रहती है।
- आत्मविश्वास: इस स्तोत्र का पाठ करने से आपका आत्मविश्वास बढ़ता है और आपको अपने कार्यों के प्रति सकारात्मक भाव पैदा होता है।
- राजा योग्यता: इस स्तोत्र का पाठ करने से आपकी राजा योग्यता बढ़ती है और आपको कुशल नेतृत्व दृष्टि मिलती है।
- आत्मा की शुद्धि: पाठ करने से आपका आत्मा शुद्ध होता है और आप अपने जीवन को अध्यात्मिक दृष्टिकोण से देख पाते हैं।
- समृद्धि: इस स्तोत्र का पाठ करने से आपके जीवन में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
- कष्टों का नाश: पाठ करने से आपके जीवन से कष्टों का नाश होता है और आप अपने समस्त दुखों से मुक्ति प्राप्त कर पाते हैं।
- नौकरी और धन : इस स्तोत्र का जाप करने से नौकरी का प्रयास करने वालों की नौकरी लग जाती है और धन की कमी नहीं होती है।
- संतान सुख : स्तोत्र का जाप करने से घर में संतान सुख की प्राप्ति होती है और परिवार में एकता बनी रहती है।
FAQ
यह स्तोत्र किसको करना चाहिए ?
स्तोत्र का पाठ सबको करना चाहिए इसमें कोई बाधा नहीं है की कौन कर सकता है और कौन नहीं ,यह पाठ सभी के लिए उपलब्ध है।
कब करना चाहिए ?
वैसे तो आप इस स्तोत्र का पाठ दिन में कभी भी कर सकते हैं ,लेकिन सूर्योदय के समय पर पाठ करना आप के लिए अत्यंत लाभदायक होगा।
क्या स्तोत्र का जाप प्रतिदिन करना चाहिए ?
स्तोत्र का जाप आप के भक्ति और समय पर निर्भर करता है यदि आप के पास समय हो तो आप प्रतिदिन करें ,यदि आप के पास समय नहीं हो तो आप रविवार के दिन इस मंत्र का जाप कर सकते हैं यह दिन सूर्य देव की पूजा के लिए खास होता है।
क्या विशेष मन्त्रण की आवश्यकता है ?
स्तोत्र पाठ के लिए विशेष मन्त्रण की आवश्यकता नहीं है, लेकिन इसका जाप श्रद्धापूर्वक और सावधानी से किया जाना चाहिए। जिससे इसका आप को लाभ मिल सके।
इस स्तोत्र में कुल कितने श्लोक हैं ?
स्तोत्र में कुल 30 श्लोक हैं जिन्हे 6 भागों में बाटा गया है।
I am Shri Nath Pandey and I am a priest in a temple, which is located in Varanasi. I have been spending my life worshiping for the last 6 years. I have dedicated my soul completely to the service of God. Our website is a source related to Aarti, Stotra, Chalisa, Mantra, Festivals, Vrat, Rituals, and Sanatan Lifestyle.