जब गुरु का आशीर्वाद मिलता है, तब जीवन में शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का संचार होता है। आया रे कुशल गुरु दरबार भजन गुरु की कृपा और उनकी दिव्यता का गुणगान करता है। यह भजन हमें सिखाता है कि सच्चे गुरु के दर्शन और उपदेश से जीवन धन्य हो जाता है। आइए, इस भजन के माध्यम से गुरु भक्ति के भाव को जाग्रत करें और उनके दरबार में श्रद्धा अर्पित करें।
Aaya Re Kushal Guru Darbar
आया रे कुशल गुरु दरबार,
छाई है दिल में खुशी अपार,
बड़े भाव से आया चाव से,
सँग लाया हाँ परिवार,
म्हारा प्यारा गुरूसा।1।
लागे रे या मूरत प्यारी लागे,
जागे रे aकी ज्योत जागे,
बड़ी प्यारी है मनोहारी है,
म्हे लेवा नजर उतार,
म्हारा प्यारा गुरूसा।2।
दादा रे प्रीत की डोर न टूटे,
जग रूठे पर दादा मुझसे न रूठे,
इण जनम में उण जनम में,
सो जनम में साथ न छुटे,
म्हारा प्यारा गुरूसा।3।
आया रे कुशल गुरु दरबार,
छाई है दिल में खुशी अपार,
बड़े भाव से आया चाव से,
सँग लाया हाँ परिवार,
म्हारा प्यारा गुरूसा।4।
गुरु के चरणों में ही सच्ची भक्ति और मोक्ष का मार्ग मिलता है। “आया रे कुशल गुरु दरबार” जैसे भजन हमें गुरु की महिमा का अनुभव कराते हैं। इसी आध्यात्मिक भाव को और गहरा करने के लिए “गुरु वंदना,” “शांतिनाथ भगवान की स्तुति,” “जिन शासन की आराधना,” और “संतों की वाणी अमृत समान” जैसे अन्य जैन भजनों को पढ़ें और अपने जीवन को धर्ममय करें। 🙏
मैं धर्म पाल जैन, जैन धर्म का एक निष्ठावान अनुयायी और भगवान महावीर की शिक्षाओं का प्रचारक हूँ। मेरा लक्ष्य है कि लोग भगवान महावीर के संदेशों को अपनाकर अपने जीवन में शांति, संयम और करुणा का संचार करें और अपने जीवन को सदाचार और आध्यात्मिक शांति से समृद्ध कर सके। मैं अपने लेखों के माध्यम से भगवान महावीर के उपदेश, भक्तामर स्तोत्र, जैन धर्म के सिद्धांत और धार्मिक अनुष्ठान को सरल और सहज भाषा में प्रस्तुत करता हूँ, ताकि हर जैन अनुयायी इनका लाभ उठा सके।View Profile ॐ ह्रीं अर्हं नमः 🙏