Aigiri Nandini Lyrics अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्दिनुते... गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते ! भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते... जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते !! १ !! सुरवरवर्षिणि दुर्धरधर्षिणि दुर्मुखमर्षिणि हर्षरते... त्रिभुवनपोषिणि शङ्करतोषिणि किल्बिषमोषिणि घोषरते ! दनुजनिरोषिणि दितिसुतरोषिणि दुर्मदशोषिणि सिन्धुसुते... जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते !! २ !! अयि जगदम्ब मदम्ब कदम्ब वनप्रियवासिनि हासरते... शिखरि शिरोमणि तुङ्गहिमलय शृङ्गनिजालय मध्यगते ! मधुमधुरे मधुकैटभगञ्जिनि कैटभभञ्जिनि रासरते... जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते !! ३ !! अयि शतखण्ड विखण्डितरुण्ड वितुण्डितशुण्द गजाधिपते... रिपुगजगण्ड विदारणचण्ड पराक्रमशुण्ड मृगाधिपते ! निजभुजदण्ड निपातितखण्ड विपातितमुण्ड भटाधिपते... जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते !! ४ !! अयि रणदुर्मद शत्रुवधोदित दुर्धरनिर्जर शक्तिभृते... चतुरविचार धुरीणमहाशिव दूतकृत प्रमथाधिपते ! दुरितदुरीह दुराशयदुर्मति दानवदुत कृतान्तमते... जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते !! ५ !! अयि शरणागत वैरिवधुवर वीरवराभय दायकरे... त्रिभुवनमस्तक शुलविरोधि शिरोऽधिकृतामल शुलकरे ! दुमिदुमितामर धुन्दुभिनादमहोमुखरीकृत दिङ्मकरे... जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते !! ६ !! अयि निजहुङ्कृति मात्रनिराकृत धूम्रविलोचन धूम्रशते... समरविशोषित शोणितबीज समुद्भवशोणित बीजलते ! शिवशिवशुम्भ निशुम्भमहाहव तर्पितभूत पिशाचरते... जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते !! ७ !! धनुरनुषङ्ग रणक्षणसङ्ग परिस्फुरदङ्ग नटत्कटके... कनकपिशङ्ग पृषत्कनिषङ्ग रसद्भटशृङ्ग हताबटुके ! कृतचतुरङ्ग बलक्षितिरङ्ग घटद्बहुरङ्ग रटद्बटुके... जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते !! ८ !! सुरललना ततथेयि तथेयि कृताभिनयोदर नृत्यरते... कृत कुकुथः कुकुथो गडदादिकताल कुतूहल गानरते ! धुधुकुट धुक्कुट धिंधिमित ध्वनि धीर मृदंग निनादरते... जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते !! ९ !! जय जय जप्य जयेजयशब्द परस्तुति तत्परविश्वनुते... झणझणझिञ्झिमि झिङ्कृत नूपुरशिञ्जितमोहित भूतपते ! नटित नटार्ध नटी नट नायक नाटितनाट्य सुगानरते... जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते !! १० !! अयि सुमनःसुमनःसुमनः सुमनःसुमनोहरकान्तियुते... श्रितरजनी रजनीरजनी रजनीरजनी करवक्त्रवृते ! सुनयनविभ्रमर भ्रमरभ्रमर भ्रमरभ्रमराधिपते... जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते !! ११ !! सहितमहाहव मल्लमतल्लिक मल्लितरल्लक मल्लरते... विरचितवल्लिक पल्लिकमल्लिक झिल्लिकभिल्लिक वर्गवृते ! शितकृतफुल्ल समुल्लसितारुण तल्लजपल्लव सल्ललिते... जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते !! १२ !! अविरलगण्ड गलन्मदमेदुर मत्तमतङ्ग जराजपते... त्रिभुवनभुषण भूतकलानिधि रूपपयोनिधि राजसुते ! अयि सुदतीजन लालसमानस मोहन मन्मथराजसुते... जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते !! १३ !! कमलदलामल कोमलकान्ति कलाकलितामल भाललते... सकलविलास कलानिलयक्रम केलिचलत्कल हंसकुले ! अलिकुलसङ्कुल कुवलयमण्डल मौलिमिलद्बकुलालिकुले... जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते !! १४ !! करमुरलीरव वीजितकूजित लज्जितकोकिल मञ्जुमते... मिलितपुलिन्द मनोहरगुञ्जित रञ्जितशैल निकुञ्जगते ! निजगणभूत महाशबरीगण सद्गुणसम्भृत केलितले... जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते !! १५ !! कटितटपीत दुकूलविचित्र मयुखतिरस्कृत चन्द्ररुचे... प्रणतसुरासुर मौलिमणिस्फुर दंशुलसन्नख चन्द्ररुचे ! जितकनकाचल मौलिमदोर्जित निर्भरकुञ्जर कुम्भकुचे... जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते !! १६ !! विजितसहस्रकरैक सहस्रकरैक सहस्रकरैकनुते... कृतसुरतारक सङ्गरतारक सङ्गरतारक सूनुसुते ! सुरथसमाधि समानसमाधि समाधिसमाधि सुजातरते... जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते !! १७ !! पदकमलं करुणानिलये वरिवस्यति योऽनुदिनं सुशिवे... अयि कमले कमलानिलये कमलानिलयः स कथं न भवेत् ! तव पदमेव परम्पदमित्यनुशीलयतो मम किं न शिवे... जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते !! १८ !! कनकलसत्कलसिन्धुजलैरनुषिञ्चति तेगुणरङ्गभुवम्... भजति स किं न शचीकुचकुम्भतटीपरिरम्भसुखानुभवम् ! तव चरणं शरणं करवाणि नतामरवाणि निवासि शिवम्... जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते !! १९ !! तव विमलेन्दुकुलं वदनेन्दुमलं सकलं ननु कूलयते... किमु पुरुहूतपुरीन्दु मुखी सुमुखीभिरसौ विमुखीक्रियते ! मम तु मतं शिवनामधने भवती कृपया किमुत क्रियते... जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते !! २० !! अयि मयि दीन दयालुतया कृपयैव त्वया भवितव्यमुमे... अयि जगतो जननी कृपयासि यथासि तथानुमितासिरते ! यदुचितमत्र भवत्युररीकुरुतादुरुतापमपाकुरुते... जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते !! २१ !!

अयिगिरि नंदिनी लिरिक्स | Aigiri Nandini Lyrics : बुरी शक्तियों का नाश

अयिगिरि नंदिनी एक संस्कृत मंत्र है जो माँ दुर्गा के लिए समर्पित है इसे महिषासुरमर्दिनि स्तोत्र के नाम से जाना जाता है। माँ का यह रौद्र रूप सबसे शक्तिशाली राक्षस महिषासुर के वध के लिए प्रकट हुआ था। आप भी अपने जीवन में बुरी शक्तियों का नाश और दुश्मनों से रक्षा चाहते है तो और माता का …

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Shree Hanuman Chalisa ॥ दोहा ॥ श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि । बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि ॥ बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार । बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार ॥ ॥ चौपाई ॥ जय हनुमान ज्ञान गुन सागर । जय कपीस तिहुं लोक उजागर ॥ रामदूत अतुलित बल धामा । अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा ॥ महाबीर बिक्रम बजरंगी । कुमति निवार सुमति के संगी ॥ कंचन बरन बिराज सुबेसा । कानन कुंडल कुंचित केसा ॥ हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै । कांधे मूंज जनेऊ साजै ॥ संकर सुवन केसरीनंदन । तेज प्रताप महा जग बन्दन ॥ विद्यावान गुनी अति चातुर । राम काज करिबे को आतुर ॥ प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया । राम लखन सीता मन बसिया ॥ सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा । बिकट रूप धरि लंक जरावा ॥ भीम रूप धरि असुर संहारे । रामचंद्र के काज संवारे ॥ लाय सजीवन लखन जियाये । श्रीरघुबीर हरषि उर लाये ॥ रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई । तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥ सहस बदन तुम्हरो जस गावैं । अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं ॥ सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा । नारद सारद सहित अहीसा ॥ जम कुबेर दिगपाल जहां ते । कबि कोबिद कहि सके कहां ते ॥ तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा । राम मिलाय राज पद दीन्हा ॥   तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना । लंकेस्वर भए सब जग जाना ॥   जुग सहस्र जोजन पर भानू । लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥   प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं । जलधि लांघि गये अचरज नाहीं ॥   दुर्गम काज जगत के जेते । सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥ राम दुआरे तुम रखवारे । होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥ सब सुख लहै तुम्हारी सरना । तुम रक्षक काहू को डर ना ॥ आपन तेज सम्हारो आपै । तीनों लोक हांक तें कांपै ॥ भूत पिसाच निकट नहिं आवै । महाबीर जब नाम सुनावै ॥ नासै रोग हरै सब पीरा । जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥ संकट तें हनुमान छुड़ावै । मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥ सब पर राम तपस्वी राजा । तिन के काज सकल तुम साजा ॥ और मनोरथ जो कोई लावै । सोइ अमित जीवन फल पावै ॥ चारों जुग परताप तुम्हारा । है परसिद्ध जगत उजियारा ॥ साधु-संत के तुम रखवारे । असुर निकंदन राम दुलारे ॥ अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता । अस बर दीन जानकी माता ॥ राम रसायन तुम्हरे पासा । सदा रहो रघुपति के दासा ॥ तुम्हरे भजन राम को पावै । जनम-जनम के दुख बिसरावै ॥ अन्तकाल रघुबर पुर जाई । जहां जन्म हरि-भक्त कहाई ॥ और देवता चित्त न धरई । हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ॥ संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥ जै जै जै हनुमान गोसाईं । कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥ जो सत बार पाठ कर कोई । छूटहि बंदि महा सुख होई ॥ जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा । होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥ तुलसीदास सदा हरि चेरा । कीजै नाथ हृदय मंह डेरा ॥ ॥ दोहा ॥ ॥ पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप ॥ ॥ राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप ॥

श्री हनुमान चालीसा | Shree Hanuman Chalisa : सुख-शांति

श्री हनुमान चालीसा एक प्रसिद्ध हिन्दू धार्मिक ग्रंथ है, इस ग्रंथ में श्री हनुमान जी के महत्वपूर्ण चौपाइयाँ उपलब्ध हैं।हनुमान भक्तों के लिए यह पाठ अधिक लाभदायक है। पाठ करने से सभी भक्तों के जीवन में सफलता प्राप्त होती है। Shree Hanuman Chalisa का पाठ पूरी भक्तिभाव से करने से जीवन में सुख -शांति बनी …

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Sheetla Mata Aarti जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता... आदि ज्योति महारानी सब फल की दाता !! ॥ जय जय शीतला माता ॥ रतन सिंहासन शोभित, श्वेत छत्र भ्राता... ऋद्धि-सिद्धि चंवर ढुलावें, जगमग छवि छाता !! ॥ जय जय शीतला माता ॥ विष्णु सेवत ठाढ़े, सेवें शिव धाता... वेद पुराण बरणत पार नहीं पाता !! ॥ जय जय शीतला माता ॥ इन्द्र मृदंग बजावत चन्द्र वीणा हाथा... सूरज ताल बजाते नारद मुनि गाता !! ॥ जय जय शीतला माता ॥ घंटा शंख शहनाई बाजै मन भाता... करै भक्त जन आरति लखि लखि हरहाता !! ॥ जय जय शीतला माता ॥ ब्रह्म रूप वरदानी तुही तीन काल ज्ञाता... भक्तन को सुख देनौ मातु पिता भ्राता !! ॥ जय जय शीतला माता ॥ जो भी ध्यान लगावें प्रेम भक्ति लाता... सकल मनोरथ पावे भवनिधि तर जाता !! ॥ जय जय शीतला माता ॥ रोगन से जो पीड़ित कोई शरण तेरी आता... कोढ़ी पावे निर्मल काया अन्ध नेत्र पाता !! ॥ जय जय शीतला माता ॥ बांझ पुत्र को पावे दारिद कट जाता... ताको भजै जो नाहीं सिर धुनि पछिताता !! ॥ जय जय शीतला माता ॥ शीतल करती जननी तू ही है जग त्राता... उत्पत्ति व्याधि विनाशत तू सब की घाता !! ॥ जय जय शीतला माता ॥ दास विचित्र कर जोड़े सुन मेरी माता... भक्ति आपनी दीजे और न कुछ भाता !! ॥ जय जय शीतला माता ॥

Sheetla Mata Aarti | शीतला माता की आरती : बीमारियों से रक्षा

शीतला माता की आरती व पूजा शीतला अष्टमी के दिन किया जाता है। Sheetla mata aarti पुरे भारत में किया जाता है क्युकि ऐसा माना जाता है की गर्मी की शुरुआत होने पर अनेक बीमारिया भी शुरू होने लगती हैं और इन बीमारियों से बचने के लिए हम माता जी की आरती व पूजा करते हैं। …

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Chintpurni Mata Aarti चिंतपूर्णी चिंता दूर करनी, जग को तारो भोली माँ, जन को तारो भोली माँ, काली दा पुत्र पवन दा घोड़ा !! !! भोली माँ…!! सिन्हा पर भाई असवार, भोली माँ, चिंतपूर्णी चिंता दूर !! भोली माँ…!! एक हाथ खड़ग दूजे में खांडा, तीजे त्रिशूल सम्भालो !! भोली माँ…!! चौथे हाथ चक्कर गदा, पाँचवे-छठे मुण्ड़ो की माला !! भोली माँ…!! सातवे से रुण्ड मुण्ड बिदारे, आठवे से असुर संहारो !! भोली माँ…!! चम्पे का बाग़ लगा अति सुन्दर, बैठी दीवान लगाये !! भोली माँ…!! हरी ब्रम्हा तेरे भवन विराजे, लाल चंदोया बैठी तान !! भोली माँ…!! औखी घाटी विकटा पैंडा, तले बहे दरिया !! भोली माँ…!! सुमन चरण ध्यानु जस गावे, भक्तां दी पज निभाओ !! भोली माँ…!! !! चिंतपूर्णी माता की जय !!

Chintpurni Mata Aarti | चिंतपूर्णी माता की आरती : चिंताओं से मुक्ति

चिंतपूर्णी माता आरती देवी चिंतपूर्णी को समर्पित एक पवित्र भक्ति गीत है, जो हिमाचल प्रदेश के उना जिले में स्थित प्रसिद्ध चिंतपूर्णी मंदिर की अधिष्ठात्री देवी हैं। यह Chintpurni Mata Aarti श्रद्धालुओं के दिलों में विशेष स्थान रखती है और उनकी आस्था का प्रतीक है। माना जाता है कि माता चिंतपूर्णी सभी चिंताओं और कष्टों …

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Ganga Aarti हर हर गंगे, जय मां गंगे, हर हर गंगे, जय मां गंगे ॥ ओम जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता... जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता !! चंद्र सी जोत तुम्हारी, जल निर्मल आता... शरण पडें जो तेरी, सो नर तर जाता !! !! ओम जय गंगे माता !! पुत्र सगर के तारे, सब जग को ज्ञाता... कृपा दृष्टि तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता !! !! ओम जय गंगे माता !! एक ही बार जो तेरी, शारणागति आता... यम की त्रास मिटा कर, परमगति पाता !! !! ओम जय गंगे माता !! आरती मात तुम्हारी, जो जन नित्य गाता... दास वही सहज में, मुक्त्ति को पाता !! !! ओम जय गंगे माता !! ओम जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता... जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता !! !! ओम जय गंगे माता, श्री जय गंगे माता !!

गंगा आरती लिरिक्स | Ganga Aarti : मोक्ष की प्राप्ति

माँ गंगा आरती पुरे भारतवर्ष में महत्वपूर्ण माना जाता है। गंगा नदी को हिन्दू धर्म में सबसे पवित्र माना जाता है, ऐसी मान्यता है की गंगा  में स्नान करने से अनजाने में किये सभी पाप धूल जाते हैं। Ganga Aarti करने के लिए आप गंगा आरती लिरिक्स का प्रयोग कर सकते हैं। गंगा मईया की …

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Vaishno Mata Aarti जय वैष्णवी माता, मैया जय वैष्णवी माता, हाथ जोड़ तेरे आगे, आरती मैं गाता॥ !! जय वैष्णवी माता !! शीश पे छत्र विराजे, मूरतिया प्यारी, गंगा बहती चरनन, ज्योति जगे न्यारी॥ !! जय वैष्णवी माता !! ब्रह्मा वेद पढ़े नित द्वारे, शंकर ध्यान धरे, सेवक चंवर डुलावत, नारद नृत्य करे॥ !! जय वैष्णवी माता !! सुन्दर गुफा तुम्हारी, मन को अति भावे, बार-बार देखन को, ऐ माँ मन चावे॥ !! जय वैष्णवी माता !! भवन पे झण्डे झूलें, घंटा ध्वनि बाजे, ऊँचा पर्वत तेरा, माता प्रिय लागे॥ !! जय वैष्णवी माता !! पान सुपारी ध्वजा नारियल, भेंट पुष्प मेवा, दास खड़े चरणों में, दर्शन दो देवा॥ !! जय वैष्णवी माता !! जो जन निश्चय करके, द्वार तेरे आवे, उसकी इच्छा पूरण, माता हो जावे॥ !! जय वैष्णवी माता !! इतनी स्तुति निश-दिन, जो नर भी गावे, कहते सेवक ध्यानू, सुख सम्पत्ति पावे॥ !! जय वैष्णवी माता !!

Vaishno Mata Aarti | वैष्णो माता की आरती : सुख और शांति

माता वैष्णो जी के मंदिर में आरती दिन में दो बार किया जाता है, हम आप को बता दे यदि आप माता वैष्णो जी की आरती के लिए वैष्णो जी मंदिर जाना चाहते हैं तो आप ख़ुशी से जा कर वहाँ Vaishno Mata Aarti कर सकते हैं, लेकिन जो भक्त वैष्णो देवी के मंदिर नहीं …

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Saraswati Mata Ki Aarti ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता ! सद्‍गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता !! !! ॐ जय जय सरस्वती माता… !! देवी शरण जो आएं, उनका उद्धार किया ! पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया !! !! ॐ जय जय सरस्वती माता… !! विद्या ज्ञान प्रदायिनी, ज्ञान प्रकाश भरो ! मोह, अज्ञान, तिमिर का जग से नाश करो !! !! ॐ जय जय सरस्वती माता… !! धूप, दीप, फल, मेवा मां स्वीकार करो ! ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो !! !! ॐ जय जय सरस्वती माता… !! मां सरस्वती की आरती जो कोई जन गावें ! हितकारी, सुखकारी, ज्ञान भक्ती पावें !! !! ॐ जय जय सरस्वती माता… !! जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता ! सद्‍गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता !! !! ॐ जय जय सरस्वती माता… !! ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता ! सद्‍गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता !! !! ॐ जय जय सरस्वती माता… !!

Saraswati Mata Ki Aarti | सरस्वती माता की आरती : सफलता की प्राप्ति

सरस्वती माता की आरती और पूजा करने से आप हर मुश्किल काम को आसानी से सिखने की क्षमता रख पाते हैं, आप संगीत, नृत्य, ज्ञान और किसी भी प्रकार की कला में महारथ हासिल कर पाते है। Saraswati mata ki aarti करने से माँ का आशीर्वाद हमेशा आप पर बना रहता है।  सरस्वती माता को …

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Krishna Aarti !! आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की !! !! आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की !! गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला... श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला !! गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली... लतन में ठाढ़े बनमाली भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक !! चंद्र सी झलक, ललित छवि श्यामा प्यारी की... !! श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की, आरती कुंजबिहारी की !! कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं... गगन सों सुमन रासि बरसै, बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग ग्वालिन संग !! अतुल रति गोप कुमारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की !! आरती कुंजबिहारी की !! जहां ते प्रकट भई गंगा, सकल मन हारिणि श्री गंगा... स्मरन ते होत मोह भंगा, बसी शिव सीस !! जटा के बीच,हरै अघ कीच, चरन छवि श्रीबनवारी की !! श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की, आरती कुंजबिहारी की !! चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू... चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू !! हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद, कटत भव फंद... टेर सुन दीन दुखारी की !! !! श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की, आरती कुंजबिहारी की !! !! आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की !! !! आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की !!

Krishna Aarti | कृष्ण आरती : भक्ति का मधुर संगम

श्रीकृष्ण आरती भक्तों के लिए एक ऐसा अनुभव है, जो मन और आत्मा को शांति और आनंद से भर देता है। भगवान श्रीकृष्ण, जिन्हें प्रेम, करुणा और चमत्कारों का प्रतीक माना जाता है, की आरती करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। Krishna Aarti के मधुर शब्द और भक्तिमय स्वर न केवल …

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Brihaspati Dev Ki Aarti ॐ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा... छिन-छिन भोग लगाऊं, कदली फल मेवा !! !! ॐ जय बृहस्पति देवा... !! तुम पूर्ण परमात्मा, तुम अंतर्यामी... जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी ॥ !! ॐ जय बृहस्पति देवा… !! चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता... सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता॥ !! ॐ जय बृहस्पति देवा… !! तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े... प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े॥ !! ॐ जय बृहस्पति देवा… !! दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी... पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी॥ !! ॐ जय बृहस्पति देवा… !! सकल मनोरथ दायक, सब संशय तारो... विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी॥ !! ॐ जय बृहस्पति देवा… !! जो कोई आरती तेरी प्रेम सहित गावे... जेष्टानंद बंद सो-सो निश्चय पावे॥ !! ॐ जय बृहस्पति देवा… !!

Brihaspati Dev Ki Aarti | बृहस्पतिदेव आरती : देवताओं के गुरु

बृहस्पतिदेव को देवताओं का गुरु माना जाता है।बृहस्पतिदेव आरती, पूजा और व्रत करने से आप के पास कभी भी धन की कमी नहीं होती है।  बृहस्पतिदेव को भगवान विष्णु का अंशावतार बताया गया है। जिस साधक की कुंडली में बृहस्पति कमजोर स्थिति में होता है तो Brihaspati dev ki aarti, पूजा और व्रत करने से …

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Laxmi Ji Ki Aarti Lyrics ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ! तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥ !! ॐ जय लक्ष्मी माता... !! उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता ! मैया तुम ही जग-माता... सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥ !! ॐ जय लक्ष्मी माता… !! दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता ! मैया सुख संपत्ति दाता... जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥ !! ॐ जय लक्ष्मी माता… !! तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता ! मैया तुम ही शुभदाता... कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥ !! ॐ जय लक्ष्मी माता… !! जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता ! मैया सब सद्गुण आता... सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता॥ !! ॐ जय लक्ष्मी माता… !! तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता ! मैया वस्त्र न कोई पाता... खान-पान का वैभव,सब तुमसे आता॥ !! ॐ जय लक्ष्मी माता… !! शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता ! मैया क्षीरोदधि-जाता... रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥ !! ॐ जय लक्ष्मी माता… !! महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता ! मैया जो कोई नर गाता... उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥ !! ॐ जय लक्ष्मी माता… !! ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ! तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥ !! ॐ जय लक्ष्मी माता… !!

Laxmi Ji Ki Aarti Lyrics | लक्ष्मी जी की आरती लिरिक्स : धन-धान्य से सम्पन्न

हमारे हिन्दू धर्म में माता लक्ष्मी को धन की देवी माना जाता है जिस भी घर में माता लक्ष्मी जी की आरती व पूजा की जाती है उस घर से आर्थिक संकट खत्म हो जाता हैं तथा घर धन-धान्य से सम्पन्न रहता है। Laxmi ji ki aarti lyrics भक्तों के जीवन को उजागर करती है और …

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