माँ चंद्रघंटा की आरती जय मां चंद्रघंटा सुख धाम । पूर्ण कीजो मेरे सभी काम ॥ चंद्र समान तुम शीतल दाती । चंद्र तेज किरणों में समाती ॥ क्रोध को शांत करने वाली । मीठे बोल सिखाने वाली ॥ मन की मालक मन भाती हो । चंद्र घंटा तुम वरदाती हो ॥ सुंदर भाव को लाने वाली । हर संकट मे बचाने वाली ॥ हर बुधवार जो तुझे ध्याये । श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं ॥ मूर्ति चंद्र आकार बनाएं । सन्मुख घी की ज्योति जलाएं ॥ शीश झुका कहे मन की बाता । पूर्ण आस करो जगदाता ॥ कांचीपुर स्थान तुम्हारा । करनाटिका में मान तुम्हारा ॥ नाम तेरा रटूं महारानी । भक्त की रक्षा करो भवानी ॥ ॥ इति मां चंद्रघंटा आरती संपूर्णम् ॥

Maa Chandraghanta Aarti | माँ चंद्रघंटा की आरती : माँ की कृपा

माँ चंद्रघंटा की आरती दुर्गा माँ के भक्तो के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है। माता चंद्रघंटा देवी के नौ रूपों में से एक है जिनका नवरात्री के तीसरे दिन अत्यधिक महत्त्व होता है। Maa Chandraghanta Aarti में माँ चंद्रघंटा की महिमा, उनकी विशेषताएँ और भक्तों पर उनके आशीर्वाद का वर्णन किया गया है। …

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लक्ष्मी आरती लिरिक्स मंत्र महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं सुरेश्वरि। हरि प्रिये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं दयानिधे॥ पद्मालये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं च सर्वदे। सर्वभूत हितार्थाय, वसु सृष्टिं सदा कुरुं॥ आरती ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता। तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥ उमा, रमा, ब्रम्हाणी, तुम ही जग माता। सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥ ॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥ दुर्गा रुप निरंजनि, सुख-संपत्ति दाता। जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥ ॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥ तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता। कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी, भव निधि की त्राता॥ ॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥ जिस घर तुम रहती हो, ताँहि में हैं सद्‍गुण आता। सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता॥ ॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥ तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता। खान पान का वैभव, सब तुमसे आता॥ ॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥ शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता। रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥ ॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥ महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता। उँर आंनद समाता, पाप उतर जाता॥ ॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥ ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता। तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥

Laxmi Aarti Lyrics | लक्ष्मी आरती लिरिक्स : धन की वर्षा

माता लक्ष्मी जी को धन, समृद्धि, और वैभव की देवी माना जाता हैं और लक्ष्मी आरती लिरिक्स का हमारे भारतीय संस्कृति में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। उन्हें धन और ऐश्वर्य की देवी के रूप में पूजा जाता है, और उनकी कृपा से व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि का वास होता है। Laxmi …

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सूर्य देव की आरती ऊँ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान। जगत् के नेत्र स्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा। धरत सब ही तव ध्यान, ऊँ जय सूर्य भगवान॥ ॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥ सारथी अरूण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी॥ अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटी किरण पसारे। तुम हो देव महान॥ ॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥ ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते॥ फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान॥ ॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥ संध्या में भुवनेश्वर, अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते॥ गोधुली बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान॥ ॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥ देव दनुज नर नारी, ऋषि मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते॥ स्त्रोत ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान॥ ॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥ तुम हो त्रिकाल रचियता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार॥ प्राणों का सिंचन करके, भक्तों को अपने देते। बल बृद्धि और ज्ञान॥ ॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥ भूचर जल चर खेचर, सब के हो प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं॥ वेद पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्व शक्तिमान॥ ॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥ पूजन करती दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल॥ ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान॥ ॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥ ऊँ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान। जगत के नेत्र रूवरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा॥ धरत सब ही तव ध्यान, ऊँ जय सूर्य भगवान॥

Surya dev ki Aarti lyrics | सूर्य देव की आरती लिरिक्स : कुष्ठरोग से छुटकारा

सूर्य देव को हिंदू धर्म में ऊर्जा, प्रकाश, और जीवन के स्रोत के रूप में पूजा जाता है। सूर्य देव की आरती लिरिक्स में उनकी महिमा और शक्ति का गुणगान करने के लिए किया जाता है, जो भक्तों को आंतरिक शक्ति और आत्मविश्वास प्रदान करता है। उन्हें नवग्रहों में प्रमुख स्थान प्राप्त है और वे …

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चंद्रदेव की आरती ॐ जय सोम देवा, स्वामी जय सोम देवा । दुःख हरता सुख करता, जय आनन्दकारी॥ ॐ जय सोम देवा.. रजत सिंहासन राजत, ज्योति तेरी न्यारी। दीन दयाल दयानिधि, भव बन्धन हारी॥ ॐ जय सोम देवा... जो कोई आरती तेरी, प्रेम सहित गावे। सकल मनोरथ दायक, निर्गुण सुखराशि॥ ॐ जय सोम देवा... योगीजन हृदय में, तेरा ध्यान धरें । ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, सन्त करें सेवा॥ ॐ जय सोम देवा... वेद पुराण बखानत, भय पातक हारी। प्रेमभाव से पूजें, सब जग के नारी॥ ॐ जय सोम देवा... शरणागत प्रतिपालक, भक्तन हितकारी। धन सम्पत्ति और वैभव, सहजे सो पावे॥ ॐ जय सोम देवा... विश्व चराचर पालक, ईश्वर अविनाशी। सब जग के नर नारी, पूजा पाठ करें॥ ॐ जय सोम देवा... ॐ जय सोम देवा, स्वामी जय सोम देवा॥

Chandrdev Ki Aarti | चंद्रदेव की आरती : शीतलता का अनुभव

चंद्रदेव की आरती हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है, क्योंकि चंद्रमा को मन और भावनाओं का स्वामी माना जाता है। चंद्रदेव, जिन्हें सोम या शशि के नाम से भी जाना जाता है, शीतलता, शांति और मानसिक संतुलन के प्रतीक हैं। Chandrdev Ki Aarti का गायन जीवन में शांति, सौम्यता, और समृद्धि लाने का एक …

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कार्तिकेय जी की आरती जय जय आरती वेणु गोपाला.. वेणु गोपाला वेणु लोला पाप विदुरा नवनीत चोरा। जय जय आरती वेंकटरमणा, वेंकटरमणा संकटहरणा सीता राम राधे श्याम। जय जय आरती गौरी मनोहर, गौरी मनोहर भवानी शंकर साम्ब सदाशिव उमा महेश्वर। जय जय आरती राज राजेश्वरि राज राजेश्वरि त्रिपुरसुन्दरि, महा सरस्वती महा लक्ष्मी महा काली महा लक्ष्मी। जय जय आरती आन्जनेय आन्जनेय हनुमन्ता, जय जय आरति दत्तात्रेय दत्तात्रेय त्रिमुर्ति अवतार। जय जय आरती सिद्धि विनायक सिद्धि विनायक श्री गणेश, जय जय आरती सुब्रह्मण्य सुब्रह्मण्य कार्तिकेय।

Kartikeya Ji Ki Aarti | कार्तिकेय जी की आरती : अनुपम भक्ति स्वर

कार्तिकेय जी, भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र हैं, और गणेश जी के छोटे भाई हैं, हिंदू धर्म में युद्ध और पराक्रम का देवता माना जाता हैं। कार्तिकेय जी की आरती उनकी भक्ति और आराधना का एक महत्वपूर्ण भाग है, जिसे विशेष रूप से दक्षिण भारत में बड़े भक्तिभाव से गाया जाता है। Kartikeya …

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Shri Kuber Ji Ki Aarti ॥ॐ जय यक्ष कुबेर हरे...॥ स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे। शरण पड़े भगतों के, भण्डार कुबेर भरे। ॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे…॥ शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े, स्वामी भक्त कुबेर बड़े। दैत्य दानव मानव से, कई-कई युद्ध लड़े। ॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे…॥ स्वर्ण सिंहासन बैठे, सिर पर छत्र फिरे, स्वामी सिर पर छत्र फिरे। योगिनी मंगल गावैं, सब जय जय कार करैं। ॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे…॥ गदा त्रिशूल हाथ में, शस्त्र बहुत धरे, स्वामी शस्त्र बहुत धरे। दुख भय संकट मोचन, धनुष टंकार करे। ॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे…॥ भांति भांति के व्यंजन बहुत बने, स्वामी व्यंजन बहुत बने। मोहन भोग लगावैं, साथ में उड़द चने। ॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे…॥ यक्ष कुबेर जी की आरती, जो कोई नर गावे, स्वामी जो कोई नर गावे । कहत प्रेमपाल स्वामी, मनवांछित फल पावे। ॥समाप्त॥

Shri Kuber Ji Ki Aarti | श्री कुबेर जी की आरती : दिव्य भक्ति स्वर

श्री कुबेर जी की आरती एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्तोत्र है, जो धन और समृद्धि के देवता कुबेर की आराधना में गाई जाती है। भगवान कुबेर को धन के स्वामी और सभी प्रकार की भौतिक सुख-सुविधाओं का देवता कहा जाता है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि जो व्यक्ति कुबेर जी की सच्ची श्रद्धा से पूजा …

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ॐ जय शिव ओमकारा जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा, ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा । ॥ ॐ जय शिव…॥ एकानन चतुरानन पंचानन राजे, हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे । ॥ ॐ जय शिव…॥ दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे, त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे । ॥ ॐ जय शिव…॥ अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी, चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी । ॥ ॐ जय शिव…॥ श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे, सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे । ॥ ॐ जय शिव…॥ कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता, जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता । ॥ ॐ जय शिव…॥ ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका, प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका । ॥ ॐ जय शिव…॥ काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी, नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी । ॥ ॐ जय शिव…॥ त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे, कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे । ॥ ॐ जय शिव…॥

Om Jai Shiv Omkara | ॐ जय शिव ओमकारा : मधुर आरती स्वर

ॐ जय शिव ओमकारा भगवान शिव की प्रसिद्ध आरती है, जिसे हिंदू धर्म के अनुयायी बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ गाते हैं। यह Om Jai Shiv Omkara आरती भगवान शिवजी के दिव्यता का गुणगान करती है और उनके शक्तिशाली, विनाशक और सृजनकर्ता रूप का बखान करती है। शिव जी को सभी देवताओं का देवता …

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माता पार्वती आरती जय पार्वती माता जय पार्वती माता, ब्रह्म सनातन देवी शुभ फल की दाता। जय पार्वती माता... अरिकुल पद्म विनाशिनि जय सेवक त्राता, जग जीवन जगदंबा, हरिहर गुण गाता। जय पार्वती माता... सिंह को वाहन साजे, कुण्डल हैं साथा, देव वधू जस गावत, नृत्य करत ताथा। जय पार्वती माता... सतयुग रूपशील अतिसुन्दर, नाम सती कहलाता, हेमांचल घर जन्मी, सखियन संग राता। जय पार्वती माता... शुम्भ-निशुम्भ विदारे, हेमांचल स्थाता, सहस्त्र भुजा तनु धरि के, चक्र लियो हाथा। जय पार्वती माता... सृष्टि रूप तुही है जननी शिवसंग रंगराता, नन्दी भृंगी बीन लही सारा जग मदमाता। जय पार्वती माता... देवन अरज करत हम चित को लाता, गावत दे दे ताली, मन में रंगराता। जय पार्वती माता... श्री प्रताप आरती मैया की, जो कोई गाता, सदासुखी नित रहता सुख सम्पत्ति पाता। जय पार्वती माता...

Mata Parvati aarti | माता पार्वती आरती : आध्यात्मिक शांति

माता पार्वती आरती देवी की आराधना का एक महत्वपूर्ण अंग है, जिसे भक्तगण विशेष रूप से उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए गाते हैं। माता पार्वती, जिन्हें शक्ति, गौरी और अन्नपूर्णा के नाम से भी जाना जाता है, भगवान शिव की अर्धांगिनी हैं और संपूर्ण सृष्टि की आदिशक्ति मानी जाती हैं। Mata Parvati …

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श्री राधा रानी जी की आरती आरती राधाजी की कीजै। टेक... कृष्ण संग जो कर निवासा, कृष्ण करे जिन पर विश्वासा।   आरती वृषभानु लली की कीजै। आरती... कृष्णचन्द्र की करी सहाई, मुंह में आनि रूप दिखाई।   उस शक्ति की आरती कीजै। आरती... नंद पुत्र से प्रीति बढ़ाई, यमुना तट पर रास रचाई।   आरती रास रसाई की कीजै। आरती... प्रेम राह जिनसे बतलाई, निर्गुण भक्ति नहीं अपनाई।   आरती राधाजी की कीजै। आरती... दुनिया की जो रक्षा करती, भक्तजनों के दुख सब हरती।   आरती दु:ख हरणीजी की कीजै। आरती... दुनिया की जो जननी कहावे, निज पुत्रों की धीर बंधावे।   आरती जगत माता की कीजै। आरती... निज पुत्रों के काज संवारे, रनवीरा के कष्ट निवारे।   आरती विश्वमाता की कीजै। आरती राधाजी की कीजै।

Shri Radha Rani Ji Ki Aarti | श्री राधा रानी जी की आरती : दिव्य भक्ति अनुभव

श्री राधा रानी जी की आरती का हमारे हिन्दू धर्म में एक विशेष महत्त्व है। यह आरती देवी राधा के प्रति समर्पित होती है, जो भगवान श्रीकृष्ण की परम प्रेमिका और भक्ति का प्रतीक मानी जाती हैं। Shri Radha Rani Ji Ki Aarti गाने से श्रद्धालुओं के मन में आध्यात्मिक शांति और आंतरिक आनंद की …

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जगन्नाथ जी की आरती आरती श्री जगन्नाथ मंगलकारी। आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी॥ मंगलकारी नाथ आपादा हरि। कंचन को धुप दीप ज्योत जगमगी॥ अगर कपूर बाटी भव से धारी । आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी, आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी। घर घरन बजता बाजे बंसुरी ॥ घर घरन बजता बाजे बंसुरी, झांझ या मृदंग बाजे,ताल खनजरी ॥ आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी । आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी ॥ निरखत मुखारविंद परसोत चरनारविन्द आपादा हरि । जगन्नाथ स्वामी के अताको चढे वेद की धुवानी ॥ जगन्नाथ स्वामी के भोग लागो बैकुंठपुरी । आरती श्री जगन्नाथ मंगलकारी । आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी ॥ इंद्र दमन सिंह गजे रोहिणी खड़ी । इंद्र दमन सिंह गजे रोहिणी खड़ी ॥ मार्कंडेय स्व गंगा आनंद भरि । आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी ॥ आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी । सरनार मुनि द्वारे तदे ब्रह्म वेद भानी ॥ सरनार मुनि द्वारे तदे ब्रह्म वेद भानी । धन धन ओह सुर स्वामी आनंद गढ़ी ॥ आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी । आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी ॥ आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी । आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी । मंगलकारी नाथ आपादा हरि ॥ कंचन को धुप दीप ज्योत जगमगी, अगर कपूर बाटी भव से धारी ॥ आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी । आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी ॥

Jagannath Ji Ki Aarti | जगन्नाथ जी की आरती : मनोकामना पूर्ण

जगन्नाथ जी की आरती एक पवित्र और श्रद्धा से भरी धार्मिक क्रिया है जो भगवान जगन्नाथ को समर्पित है। भगवान जगन्नाथ हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक हैं, जिन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। विशेष रूप से उड़ीसा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर में, भगवान जगन्नाथ की पूजा अत्यंत श्रद्धा …

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