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Hanuman Aarti PDF | हनुमान आरती पीडीएफ : भक्ति और आधुनिकता का संगम

हनुमान आरती पीडीएफ भगवान हनुमान की आराधना में एक अच्छा साधन है, जो भक्तों के हृदय में अपार श्रद्धा और भक्ति की भावना जगाता है। आज के व्यस्त जीवन में Hanuman Aarti pdf भक्तों के लिए एक सुविधाजनक डॉक्यूमेंट है, जिसे मोबाइल या कंप्यूटर पर डाउनलोड करके, हम कहीं भी और कभी भी इसका पाठ … Read more

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Om Jai Shiv Omkara PDF | ॐ जय शिव ओंकारा PDF: शिव भक्ति और शांति के लिए

वर्तमान डिजिटल युग में ओम जय शिव ओमकारा पीडीएफ के माध्यम से भक्त शिव जी आरती कर रहे है और अपने पूजा पाठ को सरल और आसान बना रहें हैं। Om Jai Shiv Omkara Pdf के माध्यम से भक्त कहीं भी और कभी भी अपने मोबाइल या कंप्यूटर पर इस आरती को पढ़ सकते हैं। … Read more

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शिव जी की आरती फोटो | Shiv Ji Ki Aarti Photo : आध्यात्मिक ऊर्जा और भक्ति का प्रतीक

यह शिव जी की आरती फोटो एक सुंदर और धार्मिक फोटो है जिसमें सम्पूर्ण शिव जी की आरती लिरिक्स को उपलब्ध कराया गया है। साथ ही शिव शंकर का एक पवित्र और मनमोहक चित्र भी जोड़ा गया है। Shiv Ji Ki Aarti Photo को देखकर भक्तों को भक्ति का अनुभव होता है और आरती पढ़ना … Read more

हनुमान आरती आरती कीजै हनुमान लला की, दुष्ट दलन रघुनाथ कला की। जाके बल से गिरिवर कांपे, रोग दोष जाके निकट न झांके। अंजनि पुत्र महा बलदाई, सन्तन के प्रभु सदा सहाई। ॥आरती कीजै हनुमान लला की॥ दे बीरा रघुनाथ पठाए, लंका जारि सिया सुधि लाए। लंका सो कोट समुद्र-सी खाई, जात पवनसुत बार न लाई। ॥आरती कीजै हनुमान लला की॥ लंका जारि असुर संहारे, सियारामजी के काज सवारे। लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे, आनि संजीवन प्राण उबारे। ॥आरती कीजै हनुमान लला की॥ पैठि पाताल तोरि जम-कारे, अहिरावण की भुजा उखारे। बाएं भुजा असुरदल मारे, दाहिने भुजा संतजन तारे। ॥आरती कीजै हनुमान लला की॥ सुर नर मुनि आरती उतारें, जय जय जय हनुमान उचारें। कंचन थार कपूर लौ छाई, आरती करत अंजना माई। ॥आरती कीजै हनुमान लला की॥ जो हनुमानजी की आरती गावे, बसि बैकुण्ठ परम पद पावे। आरती कीजै हनुमान लला की, दुष्ट दलन रघुनाथ कला की। ॥समाप्त॥

Hanuman Ji Ki Aarti | हनुमान जी की आरती: संपूर्ण आरती पाठ

हनुमान जी की आरती का हमारे जीवन में एक विशेष स्थान है। यह आरती भगवान हनुमान के प्रति श्रद्धा, भक्ति और आस्था को प्रकट करने का एक सरल और सशक्त माध्यम है। हनुमान जी, जिन्हें राम भक्त, संकटमोचन और अंजनीपुत्र के रूप में जाना जाता है, वे अपने भक्तों के हर संकट को हरने वाले … Read more

आरती ॐ जय अम्बे गौरी जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी, तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी। ॐ जय अम्बे गौरी मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को, उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको। ॐ जय अम्बे गौरी कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै, रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै। ॐ जय अम्बे गौरी केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी, सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी। ॐ जय अम्बे गौरी कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती, कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती। ॐ जय अम्बे गौरी शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती, धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती। ॐ जय अम्बे गौरी चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे, मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे। ॐ जय अम्बे गौरी ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी, आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी। ॐ जय अम्बे गौरी चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों, बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू। ॐ जय अम्बे गौरी तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता, भक्तन की दुख हरता, सुख संपति करता। ॐ जय अम्बे गौरी भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी, मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी। ॐ जय अम्बे गौरी कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती, श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती। ॐ जय अम्बे गौरी श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे, कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे। ॐ जय अम्बे गौरी जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ॥

Durga Devi Aarti | दुर्गा देवी आरती: माँ दुर्गा का भक्तिपूरित गान

दुर्गा देवी आरती हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। Durga Devi Aarti माँ दुर्गा की महिमा, शक्ति और अनंत कृपा का स्तवन करती है। माँ दुर्गा को शक्ति की देवी माना जाता है, जो सभी बुराइयों और असत्य से निपटने में सक्षम हैं। देवी दुर्गा की आरती विशेष रूप से उन भक्तों के … Read more

इस PDF में आपको सम्पूर्ण दुर्गा आरती प्राप्त हो जाती है।

Durga Aarti PDF | दुर्गा आरती PDF : संपूर्ण आरती संग्रह डाउनलोड करें

दुर्गा आरती PDF एक अत्यंत महत्वपूर्ण और लोकप्रिय धार्मिक पुस्तक है, जिसमें देवी दुर्गा की महिमा और आशीर्वाद की प्रार्थना के स्वरुप उनकी आरती शामिल होती है। Durga Aarti Pdf में देवी दुर्गा के अनेकों रूपों की स्तुति की जाती है, जिनमें उनका वीरता, शक्ति, साहस, और करूणा शामिल है। देवी दुर्गा के प्रति श्रद्धा … Read more

बद्रीनाथ जी की आरती लिरिक्स पवन मंद सुगंध शीतल, हेम मंदिर शोभितम् निकट गंगा बहत निर्मल, श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्। शेष सुमिरन करत निशदिन, धरत ध्यान महेश्वरम् वेद ब्रह्मा करत स्तुति, श्री बद्रीनाथ विश्वम्भरम्। ॥ पवन मंद सुगंध शीतल…॥ शक्ति गौरी गणेश शारद, नारद मुनि उच्चारणम् जोग ध्यान अपार लीला, श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्। ॥ पवन मंद सुगंध शीतल…॥ इंद्र चंद्र कुबेर धुनि कर, धूप दीप प्रकाशितम् सिद्ध मुनिजन करत जय जय, बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्। ॥ पवन मंद सुगंध शीतल…॥ यक्ष किन्नर करत कौतुक, ज्ञान गंधर्व प्रकाशितम् श्री लक्ष्मी कमला चंवरडोल, श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्। ॥ पवन मंद सुगंध शीतल…॥ कैलाश में एक देव निरंजन, शैल शिखर महेश्वरम् राजयुधिष्ठिर करत स्तुति, श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्। ॥ पवन मंद सुगंध शीतल…॥ श्री बद्रजी के पंच रत्न, पढ्त पाप विनाशनम् कोटि तीर्थ भवेत पुण्य, प्राप्यते फलदायकम्। ॥ पवन मंद सुगंध शीतल…॥ पवन मंद सुगंध शीतल, हेम मंदिर शोभितम् निकट गंगा बहत निर्मल, श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्। ॥ इति श्री बद्रीनाथ जी की आरती संपूर्णम्॥

Badrinath Ji Ki Aarti : श्री बद्रीनाथ के दर्शन और आशीर्वाद का दिव्य मार्ग

बद्रीनाथ जी की आरती सनातन धर्म की एक महत्वपूर्ण आध्यात्मिक परंपरा है, जो भगवान विष्णु के स्वरूप बद्रीनाथ जी को समर्पित है। Badrinath Ji Ki Aarti उत्तराखंड के पवित्र बद्रीनाथ धाम में प्रतिदिन भक्तिभाव से गाई जाती है। बद्रीनाथ धाम, जो चार धामों में से एक है, अलकनंदा नदी के किनारे स्थित है और इसे … Read more

आरती ओम जय शिव ओंकारा... स्वामी जय शिव ओंकारा, ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा। ओम जय शिव ओंकारा... एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे, हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे। ओम जय शिव ओंकारा... दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे, त्रिगुण रूप निरखत त्रिभुवन जन मोहे। ओम जय शिव ओंकारा... अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी, त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी। ओम जय शिव ओंकारा... श्वेताम्बर पीताम्बर बाघंबर अंगे, सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे। ओम जय शिव ओंकारा... कर के मध्य कमण्डल चक्र त्रिशूलधारी, जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता। ओम जय शिव ओंकारा... ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका, प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनों एका। ओम जय शिव ओंकारा... पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा, भांग धतूरे का भोजन, भस्मी में वासा। ओम जय शिव ओंकारा... जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला, शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला। ओम जय शिव ओंकारा... काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी, नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी। ओम जय शिव ओंकारा... त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे, कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे। ओम जय शिव ओंकारा...

Om Jai Shiv Omkara Lyrics In Hindi : हिंदी में पूर्ण लिरिक्स

ओम जय शिव ओमकारा लिरिक्स हिंदी में उपलब्ध एक दिव्य भक्ति गीत है जो भगवान शिव के आरती के दौरान गाए जाती है। यह भजन शिव आराधना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है और इसे भक्तिपूर्ण उत्साह के साथ मंदिरों, घरों, और विशेष धार्मिक अवसरों पर गाया जाता है। Om Jai Shiv Omkara Lyrics … Read more

Durga Chalisa Aarti नमो नमो दुर्गे सुख करनी नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥१॥ निरंकार है ज्योति तुम्हारी तिहूं लोक फैली उजियारी॥ शशि ललाट मुख महाविशाला नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥ रूप मातु को अधिक सुहावे दरश करत जन अति सुख पावे॥ तुम संसार शक्ति लै कीना पालन हेतु अन्न-धन दीना॥ अन्नपूर्णा हुई जग पाला तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥ प्रलयकाल सब नाशन हारी तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥ शिव योगी तुम्हरे गुण गावें ब्रह्मा-विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥ रूप सरस्वती को तुम धारा दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥ धरयो रूप नरसिंह को अम्बा परगट भई फाड़कर खम्बा॥ रक्षा करि प्रह्लाद बचायो हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥ लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं श्री नारायण अंग समाहीं॥ क्षीरसिन्धु में करत विलासा दयासिन्धु दीजै मन आसा॥ हिंगलाज में तुम्हीं भवानी महिमा अमित न जात बखानी॥ मातंगी अरु धूमावति माता भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥ श्री भैरव तारा जग तारिणी छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥ केहरि वाहन सोह भवानी लांगुर वीर चलत अगवानी॥ कर में खप्पर-खड्ग विराजै जाको देख काल डर भाजै॥ सोहै अस्त्र और त्रिशूला जाते उठत शत्रु हिय शूला॥ नगरकोट में तुम्हीं विराजत तिहुंलोक में डंका बाजत॥ शुंभ-निशुंभ दानव तुम मारे रक्तबीज शंखन संहारे॥ महिषासुर नृप अति अभिमानी जेहि अघ भार मही अकुलानी॥ रूप कराल कालिका धारा सेन सहित तुम तिहि संहारा॥ परी गाढ़ संतन पर जब जब भई सहाय मातु तुम तब तब॥ अमरपुरी अरु बासव लोका तब महिमा सब रहें अशोका॥ ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥ प्रेम भक्ति से जो यश गावें दुःख-दरिद्र निकट नहिं आवें॥ ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥ जोगी सुर मुनि कहत पुकारी योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥ शंकर आचारज तप कीनो काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥ निशिदिन ध्यान धरो शंकर को काहु काल नहि सुमिरो तुमको॥ शक्ति रूप का मरम न पायो शक्ति गई तब मन पछितायो॥ शरणागत हुई कीर्ति बखानी जय जय जय जगदम्ब भवानी॥ भई प्रसन्न आदि जगदम्बा दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥ मोको मातु कष्ट अति घेरो तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥ आशा तृष्णा निपट सतावें रिपू मुरख मौही डरपावे॥ शत्रु नाश कीजै महारानी सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥ करो कृपा हे मातु दयाला ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला। जब लगि जिऊं दया फल पाऊं तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं॥ दुर्गा चालीसा जो कोई गावै सब सुख भोग परमपद पावै॥ देवीदास शरण निज जानी करहु कृपा जगदम्बा भवानी॥ दुर्गा माता की जय… दुर्गा माता की जय… दुर्गा माता की जय

दुर्गा चालीसा आरती | Durga Chalisa Aarti : सम्पूर्ण आरती संग्रह

दुर्गा चालीसा आरती हमारे हिंदू धर्म में मां दुर्गा की भक्ति का एक अनमोल हिस्सा हैं। ये न केवल आस्था और श्रद्धा को प्रकट करते हैं, बल्कि हमें देवी दुर्गा की दिव्य ऊर्जा से जोड़ने का माध्यम भी बनते हैं। Durga Chalisa Aarti के 40 चौपाइयों में मां के नौ रूपों की महिमा का गुणगान … Read more

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हनुमान जी की आरती PDF | Hanuman Ji Ki Aarti PDF : भक्ति और शक्ति का अद्भुत संगम

हनुमान जी की आरती PDF भगवान हनुमान की महिमा का गान करने वाला एक डॉक्यूमेंट फाइल है, जिसमें हनुमान जी की आरती लिरिक्स को सम्पूर्ण रूप से उपलब्ध कराया गया है। जो हनुमान जी के प्रति आपकी भक्ति को और गहरा करता है। Hanuman Ji Ki Aarti Pdf में हनुमान की वीरता, शक्ति, भक्ति, और … Read more