Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics | आरती कुंज बिहारी की लिरिक्स : बांके बिहारी की गुणगान

यह आरती कुंज बिहारी की लिरिक्स से हम लोग बांके बिहारी की गुणगान करते है। बाकें बिहारी को श्री कृष्णा के नाम से भी जाना जाता है जो प्रेम, त्याग के प्रतिक के रूप में जाने जातें है। Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics में कृष्णा के सुन्दर रूप और श्रृंगार का वर्णन किया गया है जो किसी भी भक्त के मन को मोहित कर सकता है।

यह एक शांत, भक्तिपूर्ण और धार्मिक Krishna Aarti गान जो हमें भगवान के साथ जोड़ता है और हमें एक शांत और ध्यानमग्न अनुभव का अवसर प्रदान करता है, जिससे हमारी आध्यात्मिक भावनाओं को समृद्ध किया जा सकता है। इसका नियमिट पाठ करने से जीवन में सकारत्मकता आती है और बुरी शक्तियों का नाश होता है। इस आरती के लिरिक्स को हमने नीचे आपके लिए उपलब्ध कराया है।

आरती कुंजबिहारी की…
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
गले में बैजंती माला…
बजावै मुरली मधुर बाला

श्रवण में कुण्डल झलकाला,
नंद के आनंद नंदलाला ॥
गगन सम अंग कांति काली,
राधिका चमक रही आली ॥

लतन में ठाढ़े बनमाली
भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चंद्र सी झलक,
ललित छवि श्यामा प्यारी की..
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

आरती कुंजबिहारी की…
कनकमय मोर मुकुट बिलसै,
देवता दरसन को तरसैं।
गगन सों सुमन रासि बरसै ॥

बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिन संग,
अतुल रति गोप कुमारी की…
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
जहां ते प्रकट भई गंगा,

स्मरन ते होत मोह भंगा,
बसी शिव सीस, जटा के बीच, हरै अघ कीच,
चरन छवि श्रीबनवारी की…
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥

चमकती उज्ज्वल तट रेनू॥
बज रही वृंदावन बेनू ॥
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू
हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद, कटत भव फंद,

टेर सुन दीन दुखारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की…

श्री कृष्णा और राम भगवान विष्णु के अवतार माने जाते है ऐसे में Vishnu Ji Ki Aarti और Ram Ji Ki Aarti भी कृष्ण भक्तो के लिए लाभकारी सिद्ध हो सकता है।

Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics की विधि

  1. स्नान: सबसे पहले उठकर स्नान करके स्वच्छ कपड़ें पहन ले। यें पूजा की शुद्धता के लिए आवश्यक है।
  2. सफाई और तैयारी: सबसे पहले, पूजा स्थल को साफ और तैयार करें। आरती करने के लिए एक छोटी सी मंदिर या पूजा स्थल चुनें जहां पूजा आसानी से की जा सकती है।
  3. सामग्री: आरती करने के लिए श्रीकृष्ण भगवान की मूर्ति, आरती की थाली, दीपक, धूप, कुछ फूल, और पूजा सामग्री जैसे कि चावल, फल, और मिठाई तैयार रखे।
  4. स्थापना: पूजा स्थल पर कृष्णा की मूर्ति को स्थापित कर दें।
  5. पूजा विधि: पूजा स्थल पर बैठें और मूर्ति के सामने आरती की थाली रखें। धूप और दीपक को जलाये करें।
  6. आरती: इसका गान करते हुए आरती की थाली को मूर्ति के चारों ओर घुमाएं। आरती के साथ आप घंटी और ताली भी बजा सकते है।
  7. प्रसाद बाँटें: आरती के बाद, प्रसाद को सभी उपस्थित व्यक्तियों को दे, और सबसे आशीर्वाद प्राप्त करें।
  8. समापन: आरती के बाद, धूप, दीपक, और मूर्ति को सावधानी से पूजा स्थल से हटाएं।

यह आरती का क्रम और विधि है, जिसे आप श्रद्धा भाव से अपनाकर भगवान कृष्ण का पूजन कर सकते हैं।

बिहारी की आरती करने के लाभ

श्रीकृष्ण जी की आरती का नियमित पाठ और स्मरण करने से भक्तों को आध्यात्मिक, मानसिक, और शारीरिक रूप से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। यह आरती भगवान श्रीकृष्ण की महिमा का गुणगान करने के साथ-साथ उनके प्रति अपनी भक्ति और समर्पण प्रकट करने का एक महत्वपूर्ण साधन है। आइए विस्तार से जानते हैं श्रीकृष्ण जी के इस आरती के लाभ –

  • आध्यात्मिक संबंध: आरती कुंज बिहारी की लिरिक्स भगवान कृष्ण के साथ आध्यात्मिक संबंध को मजबूत करता है और भक्त को उनके साथ एक महत्वपूर्ण और आत्मीय जुड़ाव की अनुभव प्रदान करता है।
  • आंतरिक शांति: इस आरती के पाठ से भक्त को मानसिक शांति प्रदान करता है। यह मानव मन को सुकून और शांति की ओर प्रवृत्त करता है और उनकी चिंताओं को दूर करता है।
  • स्वस्थ लाभ: इस आरती को करने से हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को भी लाभ पहुंचता है। यह मानसिक तनाव को कम करने और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करता है।
  • आदर्श जीवन: यह आरती भगवान कृष्ण के जीवन के मूल्यों और आदर्शों को याद दिलाती है, जिससे आप अपने जीवन में नैतिकता और सद्गुणों का पालन करने के लिए अग्रसर होते है।
  • समृद्धि और सफलता: बिहारी की का पाठ करने से समृद्धि और सफलता की ओर प्रोत्साहित किया जा सकता है, क्योंकि भगवान कृष्ण को धन्य का प्रतीक माना जाता है जो आपके जीवन में समृद्धि लाता है।
  • सद्गुण: यह आरती सामाजिक सामंजस्य को बढ़ावा देती है और सद्गुणों को प्रोत्साहित करती है, जिससे आप समाज में और भी अधिक सम्मान का अनुभव करते है।
  • ध्यान और आत्मज्ञान: इस आरती का पाठ करने से ध्यान और आत्मज्ञान की ओर प्रवृत्त होने में मदद मिलती है, जो आध्यात्मिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
  • नकारात्मक शक्ति: आरती का पाठ नकारात्मक शक्तियों और बुरी ऊर्जा से सुरक्षा प्रदान करता है। भगवान श्रीकृष्ण के नाम का जाप और उनकी आरती करने से घर और वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो नकारात्मक शक्तियों को दूर रखने में सहायक होती है।

FAQ

यह आरती कौन-कौन से स्थानों पर किया जाता है ?

वृंदावन के मंदिरों, विषेशकर श्री बनके बिहारी मंदिर में, प्रात: और संध्या काल में की जाती है।

क्या इसके पाठ किसी विशेष दिन या तिथि पर जरुरी है ?

क्या आरती कापाठ किसी दूसरी भाषा में नहीं किया जा सकता है ?

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