Brihaspati Dev Ki Aarti | बृहस्पतिदेव आरती : देवताओं के गुरु

बृहस्पतिदेव को देवताओं का गुरु माना जाता है।बृहस्पतिदेव आरती, पूजा और व्रत करने से आप के पास कभी भी धन की कमी नहीं होती है।  बृहस्पतिदेव को भगवान विष्णु का अंशावतार बताया गया है।

जिस साधक की कुंडली में बृहस्पति कमजोर स्थिति में होता है तो Brihaspati dev ki aarti, पूजा और व्रत करने से सभी कष्ट दूर होते है और घर परिवार में शांति बनी रहती है तथा आशीर्वाद सदा आप पर रहेगा।

Brihaspati Dev Ki Aarti

ॐ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा…
छिन-छिन भोग लगाऊं, कदली फल मेवा !!
!! ॐ जय बृहस्पति देवा… !!

तुम पूर्ण परमात्मा, तुम अंतर्यामी
जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी ॥
!! ॐ जय बृहस्पति देवा… !!

चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता
सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता॥
!! ॐ जय बृहस्पति देवा… !!

तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े
प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े॥
!! ॐ जय बृहस्पति देवा… !!

दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी
पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी॥
!! ॐ जय बृहस्पति देवा… !!

सकल मनोरथ दायक, सब संशय तारो
विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी॥
!! ॐ जय बृहस्पति देवा… !!

जो कोई आरती तेरी प्रेम सहित गावे
जेष्टानंद बंद सो-सो निश्चय पावे॥
!! ॐ जय बृहस्पति देवा… !!

इस आरती के साथ Brihaspativar Vrat Katha Aarti का पाठ करना बड़ा ही शुभ माना जाता है। हालाँकि आप इस आरती के साथ हिन्दू धर्म के त्रिदेवों में से एक एवं जगत के पालनहार भगवान Vishnu Ji Ki Aarti भी कर सकते हैं। जिसके फलस्वरूप भगवान की कृपा आप पर सदैव बनी रहेगी।

बृहस्पतिदेव की व्रत और आरती करने की विधि

  1. स्नान – पूजा और व्रत करने  के लिए आप सुबह में स्नान करले। 
  2. पूजास्थान – Brihaspati ki aarti आप मंदिर में कर सकते हैं  या अपने घर में ही छोटा सा मंदिर बना सकते हैं। 
  3. पूजन सामग्री – पूजा के  लिए आप पीला वस्त्र, पिली मिठाई, पीला फल, पिली चावल, हल्दी, जल,चंदन और पीला फूल इत्यादि इक्क्ठा करके पूजथाली को सजा ले। 
  4. पहनावा – इस पूजा में शामिल होने के लिए आप पिले रंग का वस्त्र पहनते हैं तो आप के लिए और भी अच्छा होगा। 
  5. विष्णु और लक्ष्मी जी की पूजा – गुरुवार के दिन पूजा करने से पहले आप भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी जी की पूजा करने से अधिक प्रसन्न होते हैं। 
  6. बृहस्पतिदेव और केले के पौधे की पूजा – इस दिन यदि आप केले के पौधे की पूजा करते हैं तो हल्दी जल, चावल, पीला वस्त्र पौधे को चढ़ा दे। 
  7. प्रसाद – आप प्रसाद में गुण, चना, हल्दी केले के पौधे को या बृहस्पतिदेव को चढ़ाएं। 
  8. आरती – इसके बाद आप सच्ची श्रद्धा से इनकी कथा पढ़े और आरती करें। 
  9. वरदान मांगे – Brihaspati bhagwan ki aarti के बाद इनका ध्यान करें और उनसे अपनी इच्छा अनुसार वरदान और आशीर्वाद  मांगे। 
  10. दान –  पूजा के अंत में आप चना दाल या केले का दान करें लेकिन याद रहे दान किये जा रहे वस्तु को आप नहीं खाएंगे। 

बृहस्पतिदेव की पूजा और व्रत करने के लाभ

  • धन सम्पदा – आरती और व्रत करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं जिससे आप के घर में धन सम्पदा बनी रहती है।
  • वैवाहिक जीवन सुखी – इनकी पूजा करने से वैवाहिक जीवन सुखी बना रहता हैं।
  • मनोकामना पूर्ति – भगवान ब्रहस्पति की पूजा और व्रत करने से आप के इच्छा की पूर्ति होती है।
  • विवाह में  रुकावट – इनकी पूजा करने से कुवारी लड़कियों की शादी में आ रही बाधा खत्म होती है।
  • संतान की प्राप्ति – जिनको संतान नहीं है उन्हें इनकी पूजा करने से संतानसुख की प्राप्ति होती है।
  • ग्रह दोष –  जीवन में ग्रह -दोष से परेशान व्यक्तियों को इनकी पूजा करने से मुक्ति मिलती है।

FAQ

बृहस्पतिदेव की पूजा आरती और व्रत किस दिन करना चाहिए ?

हर गुरुवार या ब्रहस्पतिवार के दिन करना चाहिए।

बृहस्पतिदेव की व्रत करने पर क्या नहीं खाना चाहिए ?

इनका व्रत रखने पर क्या खाना शुभ माना जाता है ?

बृहस्पितवार का कितना दिन व्रत करने पर सिद्धि प्राप्त होती है ?

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