जब नवरात्रि प्रारम्भ होता है तब तीसरे दिन चंद्रघंटा माता की आरती और पूजा किया जाता है। माता के मस्तक पर घंटे के आकर में अर्धचंद्र बना है इसी कारण इनको चंद्रघंटा माता के नाम से पुकारा जाता है। Chandraghanta Mata ki Aarti का अर्थ केवल धार्मिक प्रार्थना नहीं है, बल्कि यह भक्त और देवी के बीच एक गहन संवाद है।
जब भक्त इस आरती को पूरे मन और श्रद्धा के साथ गाते हैं, तो एक ऊर्जा उत्पन्न होती है, जो उनके भीतर सकारात्मकता और निडरता का संचार करती है। आरती का यह सरल और प्रभावी रूप हर भक्त के हृदय को जोड़ता है और आध्यात्मिक यात्रा को और भी गहन बना देता है। यदि आप अपने भक्तिमय जीवन को उजागर करने के लिए इस आरती की तलाश कर रहे हैं तो, हमने सम्पूर्ण आरती को आपकी सुविधा के लिए निचे मुख्य रूप से उपलब्ध कराया है।
Chandraghanta Mata ki Aarti Lyrics
जय मां चंद्रघंटा सुख धाम, पूर्ण कीजो मेरे सभी काम !!
चंद्र समान तुम शीतल दाती, चंद्र तेज किरणों में समाती !!
क्रोध को शांत करने वाली, मीठे बोल सिखाने वाली !!
मन की मालक मन भाती हो, चंद्र घंटा तुम वरदाती हो !!
सुंदर भाव को लाने वाली, हर संकट मे बचाने वाली !!
हर बुधवार जो तुझे ध्याये, श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं !!
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं, सन्मुख घी की ज्योत जलाएं !!
शीश झुका कहे मन की बाता, पूर्ण आस करो जगदाता !!
कांची पुर स्थान तुम्हारा, करनाटिका में मान तुम्हारा।
नाम तेरा रटू महारानी, भक्त की रक्षा करो भवानी।
नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। जिस दौरान आप इनकी आरती के साथ-साथ दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा, या दुर्गा स्त्रोत का पाठ कर सकते हैं। क्योंकि माँ चंद्रघंटा को देवी दुर्गा का स्वरुप माना जाता है।
माता चंद्रघंटा की आरती करने की विधि
- शुभ दिन – माता की पूजा और आरती नवरात्रि के तीसरे दिन विधिवत करना चाहिए।
- स्नान – पूजा करने से पहले स्नान करके साफ वस्त्र पहन ले।
- पूजा स्थान की शुद्धि – गंगाजल से पूजास्थान को शुद्ध कर ले।
- पूजा सामग्री – फूल, माला, कुमकुम, सिंदूर, रोली, अक्षत, चढ़ाये और दीपक तथा धूप जलाले।
- भोग – माता को खीर का भोग लगाए।
- ध्यान – इसके बाद मन को शांत करने के लिए ध्यान करें।
- आरती – दीपक जलाने के बाद आरती करें और सबको प्रसाद बाटे।
माता की आरती करने के लाभ
- सुरक्षा – आरती करने से साधकों की माता किसी न किसी रूप में रक्षा करती हैं।
- इच्छित वरदान – भक्तों को उनके इच्छित वरदान को पूरा करती हैं।
- स्वास्थ्य – आरती करने से भक्तों का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बना रहता है।
- मन की शांति – इनका आरती करने से मन शांत होता है संतोष की भावना जागृत होती है जिससे मन में किसी के प्रति जलन का भाव नहीं रहता।
- अध्यात्म में रूचि – पूजा अर्चना करने से अध्यात्म में रूचि बढ़ती है और हम अध्यात्म को समझने लगते हैं।
- जीवन में सफलता – इनकी आरती करने से जीवन में हमेशा सफलता मिलता है।
FAQ
माता को प्रसाद में क्या पसंद हैं ?
दूध से बनी वस्तुओं का प्रसाद पसंद है।
माता को कौन सा फूल पसंद है ?
सफेद कमल और पीला गुलाब माता को पसंद है।
माता की पूजा और आरती किसको करनी चाहिए ?
इनकी पूजा और आरती कोई भी विधि -विधान से कर सकता है।
माँ की पूजा आप कब कर सकते हैं ?
आप रोज माँ दुर्गा की पूजा कर सकते हैं लेकिन इनके स्वरूप की पूजा का शुभ समय नवरात्रि के तीसरे दिन किया जाता है।
I am Shri Nath Pandey and I am a priest in a temple, which is located in Varanasi. I have been spending my life worshiping for the last 6 years. I have dedicated my soul completely to the service of God. Our website is a source related to Aarti, Stotra, Chalisa, Mantra, Festivals, Vrat, Rituals, and Sanatan Lifestyle.