Mand Mand Muskaye Re Bhola
मंद मंद मुस्काये रे भोला काहे भांग धतूरा खाये,
समुन्द्र मंथन में जब दुनिया में जहर फैला था,
पी के विष का प्याला तूने दुनिया को बचाया था,
कंठ हुआ जब नीला कंठ हुआ जब नीला ,
भोला तू तो नील कंठ कहलाये,
मंद मंद मुस्काये रे भोला काहे भांग धतूरा खाये……..
मैं तेरा सेवक हूँ बाबा कर भी दूँ नादानी,
जान के अपना बालक बाबा दे देना तू माफ़ी,
कैलाशो में वास है तेरा ऐ भोले अविनाशी,
तीनो लोको में बजता डंका है तेरा हे त्रिपुरारी,
धुल अगर दे दे तेरे चरणों की बाबा जीवन सफल हो जाये,
मंद मंद मुस्काये रे भोला काहे भांग धतूरा खाये……..
इस संसार में बाबा तुझसे बड़ा ना कोई योगी,
सृष्टि से पहले भी तेरे नाम से जलती ज्योति,
ख्वाब बड़े अगर दुनिया में भोला करले जो करवाए,
मंद मंद मुस्काये रे भोला काहे भांग धतूरा खाये………..
मंद मंद मुस्काये रे भोला काहे भांग धतूरा खाये,
समुन्द्र मंथन में जब दुनिया में जहर फैला था,
पी के विष का प्याला तूने दुनिया को बचाया था,
कंठ हुआ जब नीला कंठ हुआ जब नीला ,
भोला तू तो नील कंठ कहलाये,
मंद मंद मुस्काये रे भोला काहे भांग धतूरा खाये………

मैं पंडित सत्य प्रकाश, सनातन धर्म का एक समर्पित साधक और श्री राम, लक्ष्मण जी, माता सीता और माँ सरस्वती की भक्ति में लीन एक सेवक हूँ। मेरा उद्देश्य इन दिव्य शक्तियों की महिमा को जन-जन तक पहुँचाना और भक्तों को उनके आशीर्वाद से जोड़ना है। मैं अपने लेखों के माध्यम से इन महान विभूतियों की कथाएँ, आरती, मंत्र, स्तोत्र और पूजन विधि को सरल भाषा में प्रस्तुत करता हूँ, ताकि हर भक्त अपने जीवन में इनकी कृपा का अनुभव कर सके।जय श्री राम View Profile