शैलपुत्री माता की आरती देवी दुर्गा के प्रथम स्वरूप को समर्पित एक भक्तिपूर्ण स्तुति है। शैलपुत्री, जिनका नाम ‘पर्वत की पुत्री’ के अर्थ को प्रकट करता है, हिमालय की बेटी और देवी शक्ति का अवतार मानी जाती हैं। नवरात्रि के पहले दिन, उन्हें श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा जाता है। Shailputri Mata Aarti न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि भक्त और देवी के बीच एक भावनात्मक पुल है, जो भक्तों के मन को शुद्ध करता है और उन्हें दिव्य शक्ति का अनुभव कराता है।
ऐसा माना जाता है कि शैलपुत्री माता की आराधना करने से भक्तों को मानसिक शांति, आत्मिक शक्ति और सांसारिक सुख प्राप्त होते हैं। यदि आप इस आरती का पाठ करके अपने दिन को और भी ज्यादा भक्तिमय एवं उजागर बनाना चाहते हैं तो, आप सही जगह आये हैं। हमने आपके लिए सम्पूर्ण आरती को निचे मुख्य रूप से उपलब्ध कराया है।
Shailputri Mata Aarti Lyrics
शैलपुत्री मां बैल असवार…
करें देवता जय जयकार॥
शिव शंकर की प्रिय भवानी…
तेरी महिमा किसी ने ना जानी॥
पार्वती तू उमा कहलावे…
जो तुझे सिमरे सो सुख पावे॥
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू…
दया करे धनवान करे तू॥
सोमवार को शिव संग प्यारी…
आरती तेरी जिसने उतारी॥
उसकी सगरी आस पुजा दो…
सगरे दुख तकलीफ मिला दो॥
घी का सुंदर दीप जला के…
गोला गरी का भोग लगा के॥
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं…
प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं॥
जय गिरिराज किशोरी अंबे…
शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे॥
मनोकामना पूर्ण कर दो…
भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो॥
मां शैलपुत्री की पूजा के साथ-साथ मां दुर्गा की पूजा की जा सकती है। पूजा में माँ दुर्गा के दुर्गा हवन मंत्र, दुर्गा चालिसा, दुर्गा स्तुति, दुर्गा सप्तशती पाठ, दुर्गा स्तोत्रम एवं दुर्गा आरती का पाठ किया जा सकता है। जो आपके लिए लाभकारी हो सकते हैं। आप परिवार के साथ माता के जयकारे भी लगा सकते हैं। जो आपके भक्तिमय जीवन को और भी ऊर्जावान बना सकता है।
शैलपुत्री माता की आरती को करने की मुख्य विधियां
- स्नान – नवरात्रि के पहले दिन ब्रह्ममुहूर्त में ही स्नान करके साफ कपड़े पहन लें।
- साफ -सफाई : इसके बाद पूजास्थान को साफ कर ले।
- माता की स्थापना – पूजास्थान पर चौकी रखे उस पर लाल वस्त्र बिछा कर गंगा जल से शुद्धि करें इसके बाद माता की मूर्ति या चित्र को स्थापित करें।
- चढ़ावा – माता रानी को सफेद फूल, धूप, चंदन, रोली, अक्षत, सोलह श्रृंगार का सामान, इत्यादि चढ़ाये और शुद्ध देशी घी का दीपक जलाए।
- प्रसाद – माता को सफेद रंग पसंद है इसलिए इन्हे गाय के घी में बने प्रसाद का ही भोग लगाए।
- ध्यान – माँ की सच्ची श्रद्धा से पूजा करने के लिए वही बैठकर ध्यान करें।
- आरती – पूजा के अंत में माता की आरती गा कर करे।
- आशीर्वाद – अंत में आप माता की चरणों में नतमष्तक होकर उनसे आशीर्वाद और वरदान मांगे।
शैलपुत्री माता आरती के मुख्य लाभ
- अध्यात्म से जुड़ना – माता की आरती करने से हम अध्यात्म को समझ पाते हैं तथा अध्यात्म की विकास में अपना योदान दे पाते हैं।
- नकारात्मक शक्ति – Shailputri mata ki aarti करने से हमारे घर पर आने वाली बुरी या नकारात्क शक्तियों का नाश होता है।
- जीवन में सफलता और करुणामय – माता की आरती करने से उनकी कृपा हमारे ऊपर बनी रहती है जिससे हम अपने जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं तथा जीवों के प्रति हमारा मन करुणामय होता है।
- प्रेमभाव – Mata Shailputri दया और प्रेम की प्रतीक हैं इनकी पूजा करने से हमारा मन प्रेम से परिपूर्ण रहता है, हम जिससे भी प्रेम से बात करेंगे हमारा बिगड़ा कार्य भी बन जाता है।
FAQ
माता शैलपुत्री की पूजा कब करनी चाहिए ?
इनकी पूजा नवरात्रि पहले दिन ही करनी चाहिए।
माता को कौन सा रंग पसंद हैं ?
माता रानी को सफेद रंग अति प्रिय है।
माँ को कौन सा प्रसाद अधिक पसंद हैं?
माता रानी को गाय के घी में बना प्रसाद अधिक पसंद है।
I am Shri Nath Pandey and I am a priest in a temple, which is located in Varanasi. I have been spending my life worshiping for the last 6 years. I have dedicated my soul completely to the service of God. Our website is a source related to Aarti, Stotra, Chalisa, Mantra, Festivals, Vrat, Rituals, and Sanatan Lifestyle.