Aur Manjil Kedarnath Ho
मेरे हाथ में तेरा हाथ हो,
और मंज़िल केदारनाथ हो,
मेरे हाथ में तेरा हाथ हो,
और मंज़िल केदारनाथ हो……
शिव शून्य है,
शिव पुन्य है,
शिव कर्म है,
शिव धर्म है,
शिव शून्य है,
शिव पुन्य है ,
शिव कर्म है ,
शिव धर्म है……….
जाहा शिव बसे है बर्फ के संग,
मुझे उस नगरी में लेके चल……..
तेरे हाथ में मेरा हाथ हो,
और मंज़िल केदारनाथ हो……..
तेरे हाथ में मेरा हाथ हो,
और मंज़िल केदारनाथ हो…….
शिव अदि है,
शिव अंत है,
शिव मोक्ष है,
शिव प्रेम है……..
शिव अदि है,
शिव अंत है,
शिव मोक्ष है,
शिव प्रेम है…
जहां बादल बसते शिव के संग,
मुझे उस नगरी में लेके चल…….
तेरे हाथ में मेरा हाथ हो,
और मंज़िल केदारनाथ हो………
तेरे हाथ में मेरा हाथ हो,
और मंज़िल केदारनाथ हो………
शिव है दया,
शिव ही क्रिपा…….
शिव है क्षमा,
शिव है धरा……..
शिव है दया,
शिव है क्रिपा………..
शिव है क्षमा,
शिव है धरा……..
जिस दर पे झुकता सब का सर,
मुझे लेकर तू केदार पे चल……
तेरे हाथ में मेरा हाथ हो,
और मंज़िल केदारनाथ हो…………
मेरे हाथ में तेरा हाथ हो,
और मंज़िल केदारनाथ हो…

मैं पंडित सत्य प्रकाश, सनातन धर्म का एक समर्पित साधक और श्री राम, लक्ष्मण जी, माता सीता और माँ सरस्वती की भक्ति में लीन एक सेवक हूँ। मेरा उद्देश्य इन दिव्य शक्तियों की महिमा को जन-जन तक पहुँचाना और भक्तों को उनके आशीर्वाद से जोड़ना है। मैं अपने लेखों के माध्यम से इन महान विभूतियों की कथाएँ, आरती, मंत्र, स्तोत्र और पूजन विधि को सरल भाषा में प्रस्तुत करता हूँ, ताकि हर भक्त अपने जीवन में इनकी कृपा का अनुभव कर सके।जय श्री राम View Profile