Mujh Patak Ka Ho Aise Uddhar
हो जाऊँ मैं उस राह की कंकर,
जिससे गुजरे मेरे भोले शंकर,
मुझे रौंद कर भक्त सब पहुंचें,
काशी नगरी शिव के द्वार,
मुझ पातक का हो ऐसे उद्धार,
शोभित करे जो प्रभु चरणों को,
हो जाऊँ पत्र दल उस सुमन का,
या छू आऊँ मैं उस पुष्प को,
बनके भ्रमर उस उपवन का,
चरण पघारे जो भोले नाथ के,
हो जाऊँ मैं जल की वो धार,
मुझ पातक का हो ऐसे उद्धार,
चरण नवाऊँ शीश सदा मैं,
करें विनती महादेव मेरी स्वीकार,
जगत पिता जगत नाथ वहीं हैं,
करें मुझ पातक का उद्धार,
करें राजीव का उद्धार ॥

मैं पंडित सत्य प्रकाश, सनातन धर्म का एक समर्पित साधक और श्री राम, लक्ष्मण जी, माता सीता और माँ सरस्वती की भक्ति में लीन एक सेवक हूँ। मेरा उद्देश्य इन दिव्य शक्तियों की महिमा को जन-जन तक पहुँचाना और भक्तों को उनके आशीर्वाद से जोड़ना है। मैं अपने लेखों के माध्यम से इन महान विभूतियों की कथाएँ, आरती, मंत्र, स्तोत्र और पूजन विधि को सरल भाषा में प्रस्तुत करता हूँ, ताकि हर भक्त अपने जीवन में इनकी कृपा का अनुभव कर सके।जय श्री राम View Profile