Main Rum Gaya Teri Kashi Me
मै रम गया तेरी काशी में,
मैं रम गया तेरी काशी में,
मन साधु हुआ,
मन साधु हुआ,
बन गया सन्यासी मै,
मैं रम गया तेरी काशी में……
जो आनंद है तेरे घाटों में,
माथा झुकता है,
काशी कपाटों में,
वैरागी हुआ,
वैरागी हुआ,
जो प्रीत लगी अविनाशी में,
मैं रम गया तेरी काशी में…..
मन साधु हुआ,
मन साधु हुआ,
बन गया सन्यासी मै,
मैं रम गया तेरी काशी में…..
छोड़े महल ये रेशमी धागों के,
नींदे मीठी हैं, गंगा के घाटो में,
मल्हारी हुआ,
मल्हारी हुआ,
मैं रम गया चौरासी में….
मै रम गया तेरी काशी में….
मन साधु हुआ,
मन साधु हुआ,
बन गया सन्यासी मै…..

मैं पंडित सत्य प्रकाश, सनातन धर्म का एक समर्पित साधक और श्री राम, लक्ष्मण जी, माता सीता और माँ सरस्वती की भक्ति में लीन एक सेवक हूँ। मेरा उद्देश्य इन दिव्य शक्तियों की महिमा को जन-जन तक पहुँचाना और भक्तों को उनके आशीर्वाद से जोड़ना है। मैं अपने लेखों के माध्यम से इन महान विभूतियों की कथाएँ, आरती, मंत्र, स्तोत्र और पूजन विधि को सरल भाषा में प्रस्तुत करता हूँ, ताकि हर भक्त अपने जीवन में इनकी कृपा का अनुभव कर सके।जय श्री राम View Profile