तुम तो भोले अस्सी बरस के मेरी बाली उमरिया

Tum To Bhole Assi Baras Ke Meri Bali Umariya

तुम तो भोले अस्सी बरस के, मेरी बाली उमरिया,
बनवाये दे रे भोला मोहि सोने की अटरिया……

इतना सुनकर शिव शंकर ने विश्वर्कमा बुलवाये,
सोने का एक महल बनाया, सोने के कलश धराये,
काग कंगूरे सब सोने के, सोने की किबिड़िया,
बनवाये दे रे भोला मोहि सोने की अटरिया……

शिव और गौरा दोनों मिलकर स्वर्ण महल में आये,
रावण जैसे पंडित ज्ञानी पूजन करने आये,
कैसो सुंदर महल बनो है, ठहरे ना नज़रिया,
बनवाये दे रे भोला मोहि सोने की अटरिया……

किया संकल्प शिव शंकर ने रावण कर फैलाये,
देहु दक्षिणा मुझको स्वामी कारज सफल बनाये,
क्या देदू मैं इस ब्राह्मण को लेजा ये अटरिया,
बनवाये दे रे भोला मोहि सोने की अटरिया……

शिव और गौरा दोनों मिलकर वापिस कैलाश आये,
काशीनाथ कहे जग दाता हमे महल ना भाये,
गौरा बोली साथ चलूंगी तेरी नाथ नगरीया,
ना चाहिए रे भोले मोहि सोने की अटरिया……

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