Mere Sirhane Khadi Hai Dadi Ser Pe Hath Firati Hai
जब जब मेरा मन घबराए और तकलीफ़ सताती है,
मेरे सिरहाने खड़ी है दादी सर पे हाथ फिराती है
लोग से समझे मैं हूँ अकेला लेकिन साथ में मैया है,
लोग ये समझे डूब रहा मैं चल रही मेरी नैया है,
जब जब तूफा आते हैं ये खुद पतवार चलाती है,
मेरे सिरहाने खड़ी है दादी सर पे हाथ फिराती है
जिसके आंसूं कोई ना पौंछे कोई ना जिसको प्यार करे,
जिसके साथ ये दुनियां वाले मतलब का व्यवहार करे,
दुनियाँ जिसे ठुकाराती उसको दादी गले लगाती है,
मेरे सिरहाने खड़ी है दादी सर पे हाथ फिराती है
प्रीत की डोर बंधी दादी से जैसे दीपक बाती है,
कदम कदम पर रक्षा करती यह सुख दुःख की साथी है,
संजू जब रस्ता नहीं सूझें प्रेम का दीप जलाती है,
मेरे सिरहाने खड़ी है दादी सर पे हाथ फिराती है
मैं शिवप्रिया पंडित, माँ शक्ति का एक अनन्य भक्त और विंध्येश्वरी देवी, शैलपुत्री माता और चिंतापूर्णी माता की कृपा से प्रेरित एक आध्यात्मिक साधक हूँ। मेरा उद्देश्य माँ के भक्तों को उनके दिव्य स्वरूप, उपासना विधि और कृपा के महत्व से अवगत कराना है, ताकि वे अपनी श्रद्धा और भक्ति को और अधिक दृढ़ बना सकें। मेरे लेखों में इन देवी शक्तियों के स्तोत्र, चालीसा, आरती, मंत्र, कथा और पूजन विधियाँ शामिल होती हैं, ताकि हर भक्त माँ की आराधना सही विधि से कर सके और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को सुख-समृद्धि से भर सके। जय माता दी! View Profile 🙏🔱