चंद्र गायत्री मंत्र इन हिंदी: मन की शांति और भावनात्मक संतुलन के लिए श्रेष्ठ साधना

चंद्र देवता को मन, भावनाओं और अंतःचेतना का स्वामी माना गया है। जब जीवन में मानसिक अशांति, भावनात्मक असंतुलन या निर्णय की अस्थिरता हो, तब चंद्र गायत्री मंत्र इन हिंदी का जाप एक गहन शांति और संतुलन प्रदान करता है। इसलिए हमने यहां आपके लिए Chandra Gayatri Mantra In Hindi को उपलब्ध कराया है-

Chandra Gayatri Mantra In Hindi

ॐ क्षीर पुत्राय विद्महे अमृततत्वाय धीमहि,
तन्नो चन्द्र: प्रचोदयात॥1॥

अर्थ- हम उस चंद्रदेव को जानें, जो क्षीरसागर (दूध के समुद्र) के पुत्र हैं और अमृत स्वरूप में स्थित हैं। हम उनका ध्यान करें, जो अमरत्व और शीतलता के प्रतीक हैं। वे चंद्रदेव हमारे बुद्धि और चेतना को श्रेष्ठ कार्यों की ओर प्रेरित करें।

ॐ भूर्भुव: स्व: अमृतांगाय विदमहे कलारूपाय धीमहि,
तन्नो सोमो प्रचोदयात्॥2॥

अर्थ- हम त्रिलोकों (भू: भुव: स्व:) के स्वामी, अमृतमय शरीर वाले सोमदेव को जानें। हम उनका ध्यान करें जो कलाओं के रूप में प्रकट होते हैं और सुंदरता, सौम्यता तथा चंद्रशक्ति के प्रतीक हैं। वे सोमदेव (चंद्रमा) हमारी बुद्धि को उज्ज्वल और शुभ दिशा में प्रेरित करें।

Chandra Gayatri Mantra In Hindi

ॐ क्षीर पुत्राय विद्महे अमृततत्वाय धीमहि,
तन्नो चन्द्र: प्रचोदयात॥1॥

अर्थ- हम उस चंद्रदेव को जानें, जो क्षीरसागर (दूध के समुद्र) के पुत्र हैं और अमृत स्वरूप में स्थित हैं। हम उनका ध्यान करें, जो अमरत्व और शीतलता के प्रतीक हैं। वे चंद्रदेव हमारे बुद्धि और चेतना को श्रेष्ठ कार्यों की ओर प्रेरित करें।

ॐ भूर्भुव: स्व: अमृतांगाय विदमहे कलारूपाय धीमहि,
 तन्नो सोमो प्रचोदयात्॥2॥

अर्थ- हम त्रिलोकों (भू: भुव: स्व:) के स्वामी, अमृतमय शरीर वाले सोमदेव को जानें। हम उनका ध्यान करें जो कलाओं के रूप में प्रकट होते हैं और सुंदरता, सौम्यता तथा चंद्रशक्ति के प्रतीक हैं। वे सोमदेव (चंद्रमा) हमारी बुद्धि को उज्ज्वल और शुभ दिशा में प्रेरित करें।

मानसिक शांति और भावनात्मक संतुलन की खोज में चंद्र गायत्री मंत्र इन हिंदी का जाप एक बेहद शक्तिशाली और प्रभावी साधना है। यदि आप पंचतत्त्वों के संतुलन की ओर बढ़ना चाहते हैं, तो सूर्य गायत्री मंत्र से आत्मबल, इंद्र गायत्री मंत्र से उत्साह एवं देवत्व का आह्वान, और अग्नि गायत्री मंत्र से ऊर्जा व शुद्धि प्राप्त की जा सकती है। ये सभी मंत्र मिलकर साधक को पूर्णता, शांति और तेज से परिपूर्ण कर देते हैं।

इस गायत्री मंत्र की जाप विधि

  1. शुभ तिथि: सोमवार, पूर्णिमा, या चंद्र ग्रहण की रात्रि चंद्र गायत्री मंत्र जाप के लिए अत्यंत शुभ मानी जाती है। रात 8 से 10 बजे के बीच का समय सबसे उपयुक्त है।
  2. शुद्धि करें: स्नान करके साफ-सुथरे सफेद वस्त्र पहनें और मन को शांत रखें, साथ ही हल्का चंदन या इत्र लगाकर खुद को शीतल ऊर्जा से भरें।
  3. पूजा स्थान: एक शांत स्थान चुनें जहाँ चंद्रमा स्पष्ट दिखाई देता हो, या उसकी कल्पना की जा सके। एक दीपक जलाएं और सफेद पुष्प, चंदन, और जल पात्र रखें।
  4. आसन और दिशा: चंद्र मंत्र जाप करते समय उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर मुख करके बैठें और सफेद रंग का ऊन या रेशमी आसन उपयोग करें।
  5. स्तुति करें: आंखें बंद करके मन में चंद्र देव की शीतल, सौम्य और शांत स्वरुप का ध्यान करें और उनसे मानसिक शांति और स्थिरता की प्रार्थना करें।
  6. मंत्र का जाप: अब पूर्ण श्रद्धा से Chandra Gayatri Mantra In Hindi का 108 बार जाप करें। जाप के लिए रुद्राक्ष या चंदन की माला का प्रयोग करें।
  7. जल अर्पण: जाप के बाद एक ताम्बें के लोटें में जल लेकर चंद्रमा की ओर मुख करके उसे अर्पण करें। मन ही मन धन्यवाद करें और सुख-शांति की कामना करें।

नियमित रूप से चंद्र गायत्री मंत्र का जाप करने से मन शांत होता है और जीवन में सौम्यता व संतुलन आता है। यह साधना आपको भीतर से स्थिर और ऊर्जावान बनाती है।

FAQ

इस मंत्र का जाप कब करना उत्तम होता है?

इसका जाप रात में चन्द्रमा के उपस्थिति के समय में करना बहुत शुभ होता है।

क्या यह मंत्र चंद्र दोष में लाभकारी है?

इस मंत्र से नींद से जुड़ी समस्या ठीक हो सकती है?

क्या यह मंत्र छात्रों के लिए उपयोगी है?

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