हीरा मोत्या सू जड़योड़ी ल्याया लाल चुनरी राणीसती दादी भजन

Hira Motya Su Jadyodi Lyaya Lal Chunari Ranisati Dadi Bhajan

हीरा मोत्या सू जड़योड़ी,
ल्याया लाल चुनरी,
जाने ओढ्या दादी लागसी,
तु आज बनङी,
जाने ओढ्या दादी लागसी,
तु आज बनङी।

लाल कसुमल दादी,
घणी मन मोहणी,
ओढके देखो थारे,
लागसी या सोवणी,
सारी दुनिया में करेगी,
या धमाल चुनरी,
जाने ओढ्या दादी लागसी,
तु आज बनङी,
जाने ओढ्या दादी लागसी,
तु आज बनङी।।

जयपुर को माँ,
पोत है भारी,
ई चुनरी न निरखे,
दुनिया या सारी,
देख्या मन हरसावे,
या कमाल चुनरी,
जाने ओढ्या दादी लागसी,
तु आज बनङी,
जाने ओढ्या दादी लागसी,
तु आज बनङी।।

ई चुनरी की दादी,
बात निराली,
चमके ज्यू,
सूरज की लाली,
भक्ति भाव सू भरियोङी,
बेमिसाल चुनरी,
जाने ओढ्या दादी लागसी,
तु आज बनङी,
जाने ओढ्या दादी लागसी,
तु आज बनङी।।

चुनरी ओढ के,
माँ मुस्काई,
‘नम्रता’ या चुनरी,
म्हारे मन भाई,
‘योगी’ सगला न करेगी,
या निहाल चुनरी,
जाने ओढ्या दादी लागसी,
तु आज बनङी,
जाने ओढ्या दादी लागसी,
तु आज बनङी।।

हीरा मोत्या सू जड़योड़ी,
ल्याया लाल चुनरी,
जाने ओढ्या दादी लागसी,
तु आज बनङी,
जाने ओढ्या दादी लागसी,
तु आज बनङी।।

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