हिंदू धर्म में ब्रह्मा जी को सृष्टि के रचयिता के रूप में पूजा जाता है। जब कोई साधक ज्ञान, रचनात्मकता और आध्यात्मिक प्रगति की तलाश करता है, तो ब्रह्मा गायत्री मंत्र लिरिक्स उसका मार्गदर्शन करता है। इस मंत्र का जाप बुद्धि और विवेक को जाग्रत करने का एक दिव्य साधन है। हमने यहां खास आपके लिए Brahma Gayatri Mantra Lyrics को बताया है, जो आपके लिए बहुत उपयोगी होगा-
Brahma Gayatri Mantra Lyrics
ॐ वेदात्मने विद्महे हिरण्यगर्भाय धीमहि,
तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात्॥1॥
अर्थ- हम उस ब्रह्मा जी को जानने का प्रयास करें, जो समस्त वेदों का मूल हैं और जिनका जन्म हिरण्यगर्भ से हुआ है।
ॐ चतुर्मुखाय विद्महे कमण्डलु धाराय धीमहि,
तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात्॥2॥
अर्थ- हम उन चतुर्मुख ब्रह्मा का ध्यान करें, जो सृष्टि के आरंभकर्ता हैं और जिनके हाथों में सृजन का पवित्र कमंडल है।
ॐ परमेश्वर्याय विद्महे, परतत्वाय धीमहि,
तन्नो ब्रह्म प्रचोदयात्॥3॥
अर्थ- हम परमेश्वर स्वरूप, परातत्त्व को समझने का प्रयास करें — वही ब्रह्मा देव हमारे भीतर दिव्य प्रेरणा, ज्ञान और रचनात्मकता का संचार करें।

ब्रह्मा गायत्री मंत्र लिरिक्स का नियमित जाप साधक के भीतर रचनात्मक ऊर्जा, बुद्धि और संतुलन का संचार करता है। यदि आप इस आध्यात्मिक साधना को और गहराई देना चाहते हैं, तो Vishnu Gayatri Mantra का जाप वैष्णव ऊर्जा के लिए, Shiva Gayatri Mantra से आत्मचिंतन और शांति प्राप्त करने हेतु, तथा Ayyappa Gayatri Mantra से संयम और साहस की अनुभूति के लिए अवश्य करें। ये मंत्र जीवन के विभिन्न पहलुओं में दिव्यता और सामंजस्य लाते हैं।
मंत्र जाप करने की सरल और प्रभावशाली विधि
Brahma Gayatri Mantra Lyrics सृष्टि, ज्ञान और सृजनशीलता का प्रतीक है। इसकी जाप करने की विधि को हमने नीचे सरल में दिया हुआ है –
- उचित समय: इस मंत्र का जाप ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) में करना श्रेष्ठ होता है। यह समय चित्त की शुद्धता और ब्रह्मचेतना से जुड़ा होता है।
- साधक की तैयारी: स्नान कर के श्वेत या पीले वस्त्र धारण करें। शांत मन से स्वच्छ स्थान पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
- पूजा स्थान: पूजा स्थल में ब्रह्मा जी की मूर्ति या इमेज को विधिपूर्वक स्थापित करें और अगर इमेज उपलब्ध न हो तो पंचमुखी दीपक जलाकर उनका ध्यान करें।
- पूजन सामग्री: पीले फूल, चंदन, अक्षत, धूप, दीपक और कुछ मीठा प्रसाद (जैसे गुड़ या मिश्री) रखें। ब्रह्मा जी को कमल और हंस अत्यंत प्रिय हैं।
- जाप की संख्या: चंदन या तुलसी की माला से 108 बार मंत्र का जाप करें। जाप करते समय हर बार गहरी श्वास लेकर मंत्र को भाव से उच्चारित करें।
- ध्यान और भावना: ब्रह्मा जी को सृजन के देवता मानते हुए कल्पना करें कि उनके आशीर्वाद से आपकी बुद्धि, रचनात्मकता और ज्ञान तेज हो रहा है।
- समापन प्रार्थना: जाप के बाद ब्रह्मा जी से प्रार्थना करें कि वे आपके जीवन में ज्ञान, स्पष्टता और रचनात्मक ऊर्जा भरें। गंगाजल या शुद्ध जल का छींटा लें और दीप प्रज्वलित करें।
नियमित जाप से बुद्धि शुद्ध होती है और ज्ञान का प्रकाश भीतर जागता है। यह मंत्र साधना जीवन में नई दिशा और दिव्य प्रेरणा लाता है।
FAQ
क्या यह मंत्र बच्चों की बुद्धि बढ़ाने में सहायक है?
हां, यह मंत्र ध्यान और रचनात्मकता को बढ़ाता है, इसलिए छात्रों के लिए उपयोगी है।
क्या इस मंत्र का जाप रोज़ किया जा सकता है?
बिलकुल, इसे नित्य जाप में शामिल करना लाभदायक है।
क्या किसी विशेष दिन इसका जाप ज्यादा फलदायी होता है?
पूर्णिमा, वसंत पंचमी या गुरुवार को जाप विशेष शुभ होता है।
इसका जाप कितनी बार करना चाहिए?
प्रारंभ में 108 बार करें, बाद में श्रद्धा अनुसार 3, 11 या 21 बार भी किया जा सकता है।

मैं श्रुति शास्त्री , एक समर्पित पुजारिन और लेखिका हूँ, मैं अपने हिन्दू देवी पर आध्यात्मिकता पर लेखन भी करती हूँ। हमारे द्वारा लिखें गए आर्टिकल भक्तों के लिए अत्यंत उपयोगी होते हैं, क्योंकि मैं देवी महिमा, पूजन विधि, स्तोत्र, मंत्र और भक्ति से जुड़ी कठिन जानकारी सरल भाषा में प्रदान करती हूँ। मेरी उद्देश्य भक्तों को देवी शक्ति के प्रति जागरूक करना और उन्हें आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत करना है।View Profile