दादी इतनो सो कर द्यो बेटी के सिर पे थे हाथ जरा धर द्यो एक भावुक और भक्तिपूर्ण भजन है, जिसमें एक बेटी अपनी दादी से आशीर्वाद की प्रार्थना करती है। यह भजन दादी और पोती के बीच के विशेष रिश्ते को दर्शाता है, जहाँ बेटी अपनी दादी से जीवन की कठिनाइयों में मार्गदर्शन और आशीर्वाद की उम्मीद करती है।
Dadi Itno So Kar Dhyo Beti Ke Sir Pe The Hath Jara Dhar Dhyo
दादी इतनो सो कर द्यो,
बेटी के सिर पे,
थे हाथ जरा धर द्यो,
लाढ़ो के सिर पे,
थे हाथ जरा धर द्यो।।
सेवा में ले लीजो,
मन्ने ऐसो ही घर द्यो,
मन्ने ऐसो ही घर द्यो,
जिमे मंदिर हो थारो,
ऐसो ही दर द्यो,
थे हाथ जरा धर द्यो,
लाढ़ो के सिर पे,
थे हाथ जरा धर द्यो।।
सासु होवे श्याणी,
सुसरो होवे ज्ञानी,
सुसरो होवे ज्ञानी,
जो पग पूजे थारा,
ऐसो ही वर द्यो,
थे हाथ जरा धर द्यो,
लाढ़ो के सिर पे,
थे हाथ जरा धर द्यो।।
थाने देख के मैं जागु,
थाने देख के ही सोऊँ,
थाने देख के ही सोऊँ,
जठे ज्योत जगे थारी,
ऐसो ही घर द्यो,
थे हाथ जरा धर द्यो,
लाढ़ो के सिर पे,
थे हाथ जरा धर द्यो।।
मनड़े की कह पाऊं,
थासु बोलूँ बतलाऊं,
थासु बोलूँ बतलाऊं,
थारी ‘स्वाति’ के मन की,
‘हर्ष’ कवे कर द्यो,
थे हाथ जरा धर द्यो,
लाढ़ो के सिर पे,
थे हाथ जरा धर द्यो।।
दादी इतनो सो कर द्यो,
बेटी के सिर पे,
थे हाथ जरा धर द्यो,
लाढ़ो के सिर पे,
थे हाथ जरा धर द्यो।।
“दादी इतनो सो कर द्यो बेटी के सिर पे थे हाथ जरा धर द्यो” भजन में दादी के आशीर्वाद की शक्ति और पोती के प्रति उनकी ममता का सुंदर चित्रण किया गया है। यह भजन हमें याद दिलाता है कि दादी के आशीर्वाद और स्नेह के बिना जीवन की राहें अधूरी हैं। जब भी जीवन में कठिनाइयाँ आती हैं, तो दादी का आशीर्वाद हमेशा हमारी मदद करता है। अगर आपको यह भजन पसंद आया हो, तो “दादी के चरणों में विश्वास”, “दादी का आशीर्वाद”, और “दादी का स्नेह” जैसे अन्य भजनों का भी आनंद लें। इन भजनों के माध्यम से हम दादी की ममता और उनके आशीर्वाद का एहसास कर सकते हैं।