जगदम्बा के दीवानो को दरश चाहिए भजन लिरिक्स

माँ जगदम्बा के भक्तों की एक ही तमन्ना होती है उनके दिव्य दर्शन पाना। जगदम्बा के दीवानो को दरश चाहिए भजन इसी भक्ति-भाव को दर्शाता है। जब भी कोई भक्त माँ के दरबार में आता है, वह केवल उनकी कृपा दृष्टि की आस लेकर आता है। यह भजन माँ की भक्ति और भक्तों की तड़प को दर्शाता है।

Jagdamba Ke Deewano Ko Darash Chahiye Bhajan Lyrics

जगदम्बा के दीवानो को,
दरश चाहिए, दरश चाहिए,
हमें माँ तेरी एक,
झलक चाहिए, झलक चाहिए।।

दया और ममता का मंदिर है तू,
तुझे क्या पता कितनी सूंदर है तू,
गुलाबों के माँ जैसा मन है तेरा,
हमे माँ तेरे जैसा मन चाहिए,
जगदम्बा के दीवानों को,
दरश चाहिए, दरश चाहिए।।


तेरा रूप सबसे सुहाना लगे,
बिना भक्ति के जी कही ना लगे,
माँ भक्ति में तेरे हम डूबे रहे,
हमें ऐसा तुझसे माँ वर चाहिए,
जगदम्बा के दीवानों को,
दरश चाहिए, दरश चाहिए।।

कई दैत्य तुमने पछाड़े है माँ,
तेरा शेर रण में दहाड़े है माँ,
तू काली नवदुर्गा तू ज्वाला है माँ,
हमे माँ तेरी ही शरण चाहिए,
जगदम्बा के दीवानों को,
दरश चाहिए, दरश चाहिए।।

तू पर्वत तू नदियां तू धरती है माँ,
तू पाताल अम्बर सितारों में माँ,
तेरी इन भुजाओं में सृष्टि है माँ,
हमें इन भुजाओं का बल चाहिए,
जगदम्बा के दीवानों को,
दरश चाहिए, दरश चाहिए।।

जगदम्बा के दीवानो को,
दरश चाहिए, दरश चाहिए,
हमें माँ तेरी एक,
झलक चाहिए, झलक चाहिए।।

“जगदम्बा के दीवानो को दरश चाहिए” भजन हमें यह सिखाता है कि सच्ची भक्ति में केवल माँ के चरणों में समर्पण ही सबसे बड़ा वरदान है। अगर आपको यह भजन पसंद आया, तो “हर बार तेरे दर पे नव गीत सुनाएंगे” और “सजा दो दर को फूलों से माँ का नवरात आया है” जैसे अन्य भक्तिगीत भी जरूर सुनें।

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