Re Man Shiv Ka Sumiran Kar Lakkha Ji Bhajan Lyrics
रे मन शिव का सुमिरण कर,
शिव से आदि शिव से अंत है,
शिव ही अजर अमर,
रे मन शिव का सुमिरण कर।।
सत्य सजीव सनातन सुन्दर,
शिव ही सकल सुजान,
शिव ही नाद अबाद अगोचर,
शिव ही ताले सवर,
रे मन शिव का सुमिरण कर,
रे मन शिव का सुमिरण कर।।
शिव ही दृश्य नैन है शिव ही,
शिव महेश नटराज,
शिव पाताल मध्य में शिव है,
शिव है सदैव शिखर,
रे मन शिव का सुमिरन कर,
रे मन शिव का सुमिरण कर।।
शिव शक्ति सर्वोच्च सरल शिव,
शिव ही जग का सार,
शिव के बिना शेष बस शव है,
शिव ना कभी बिसर,
रे मन शिव का सुमिरन कर,
रे मन शिव का सुमिरण कर।।
रे मन शिव का सुमिरण कर,
शिव से आदि शिव से अंत है,
शिव ही अजर अमर,
रे मन शिव का सुमिरण कर।।

मैं पंडित सत्य प्रकाश, सनातन धर्म का एक समर्पित साधक और श्री राम, लक्ष्मण जी, माता सीता और माँ सरस्वती की भक्ति में लीन एक सेवक हूँ। मेरा उद्देश्य इन दिव्य शक्तियों की महिमा को जन-जन तक पहुँचाना और भक्तों को उनके आशीर्वाद से जोड़ना है। मैं अपने लेखों के माध्यम से इन महान विभूतियों की कथाएँ, आरती, मंत्र, स्तोत्र और पूजन विधि को सरल भाषा में प्रस्तुत करता हूँ, ताकि हर भक्त अपने जीवन में इनकी कृपा का अनुभव कर सके।जय श्री राम View Profile