भोले भंडारी त्रिपुरारी तेरे शीश बहे गंगा प्यारी उमा लहरी

आज हम जिस भजन की भक्ति भाव से चर्चा करेंगे, उसका नाम है भोले भंडारी त्रिपुरारी तेरे शीश बहे गंगा प्यारी उमा लहरी यह भजन भगवान शिव के उन रूपों की महिमा का वर्णन करता है जिनमें वे त्रिपुरासुर का संहार करने वाले त्रिपुरारी हैं, जटाओं में गंगा को धारण करने वाले गंगाधर हैं और पार्वती जी के संग उमा लहरी स्वरूप में विद्यमान हैं। इस भजन के बोल शिव जी के सौंदर्य, तेज और करुणा तीनों को दर्शाते हैं।

Bhole Bhandari Tripurari Tere Shish Bahe Ganga Pyari Uma Lahari

भोले भंडारी त्रिपुरारी,
तेरे शीश बहे गंगा प्यारी,
माथे पे वो प्यारा चंदा सजे,
माथे पे वो प्यारा चंदा सजे,
माथे पे वो प्यारा चंदा सजे,
कर मध्य कमंडल है धारी,
भोले भंडारी त्रिपुरारी,
तेरे शीश बहे गंगा प्यारी।।

गले सर्प विषैले है काले,
तन पर मृगछाला को है डाले,
डमरू जो बजाके नृत्य करे,
डमरू जो बजाके नृत्य करे,
डमरू जो बजाके नृत्य करे,
सब झूम उठे श्रष्टि सारी,
भोले भंडारी त्रिपुरारि,
तेरे शीश बहे गंगा प्यारी।।

नागेश निराले मतवाले,
रहे मस्त सदा पि भंग प्याले,
अविनाशी है वासी कैलाशी,
अविनाशी है वासी कैलाशी,
अविनाशी है वासी कैलाशी,
है त्रिनेत्र प्रभु गंगाधारी,
भोले भंडारी त्रिपुरारि,
तेरे शीश बहे गंगा प्यारी।।

हे शिव शंकर हे भोले प्रभु,
तेरे द्वार खड़ा क्या मांगू प्रभु,
घट घट के वासी सब जानो,
घट घट के वासी सब जानो,
घट घट के वासी सब जानो,
‘लहरी’ शिव भोले भंडारी,
भोले भंडारी त्रिपुरारि,
तेरे शीश बहे गंगा प्यारी।।

भोले भंडारी त्रिपुरारी,
तेरे शीश बहे गंगा प्यारी,
माथे पे वो प्यारा चंदा सजे,
माथे पे वो प्यारा चंदा सजे,
माथे पे वो प्यारा चंदा सजे,
कर मध्य कमंडल है धारी,
भोले भंडारी त्रिपुरारी,
तेरे शीश बहे गंगा प्यारी।।

“भोले भंडारी त्रिपुरारी तेरे शीश बहे गंगा प्यारी उमा लहरी” जैसे भजन भगवान शिव की बहुआयामी महिमा का सुंदर चित्रण करते हैं। ऐसे भजनों को पढ़ने या करने से मन में न केवल शांति और श्रद्धा आती है, बल्कि जीवन के हर संकट से उबरने की शक्ति भी मिलती है। यदि आपको यह भजन भावविभोर कर रहा है, तो आप “डमरू वाले बाबा जटाधारी बाबा”, “हे त्रिपुरारी हे गंगाधारी भोले शंकर”, “घर में पधारो भोले बाबा”, और “भोले के गले में काला नाग डोले” जैसे अन्य शिव भजनों को भी जरूर पढ़ें और शिव भक्ति की अमृतधारा में स्वयं को सराबोर करें।

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