मुरली छोड़ दे सांवरिया फागण मेलो आयो रे

मुरली छोड़ दे सांवरिया फागण मेलो आयो रे यह भजन फागण के माहौल में सांवरिया यानी श्याम बाबा की महिमा और भक्ति को मनाने का एक सुंदर तरीका है। भजन में सांवरिया के मुरली छोड़ने का संकेत है कि इस फागण के अवसर पर वह अपने भक्तों के साथ मस्ती और खुशी के पल बिताने के लिए तैयार हैं। यह भजन होली के रंग और उल्लास के बीच श्याम बाबा के दर्शन और आशीर्वाद की प्रतीकात्मकता को व्यक्त करता है।

Murli Chhod De Sawariya Fagan Melo Aayo Re

मुरली छोड़ दे सांवरिया,
फागण मेलो आयो रे,
मुरली छोड दे,
मेलो आयो मेलो आयो
मेलो आयो रे,
मुरली छोड दे।।

तू भी जाने मैं भी जानू,
होली को त्योहार है,
तेरे हाथा में या मुरली,
फागुण में बेकार है,
बढके बैठो मंदिर में क्यों,
बढके बैठो मंदिर में क्यों,
मुखड़ो छुपावे रे,
मुरली छोड दे,
मुरली छोड दे कानुड़ा,
फागण मेलो आयो रे,
मुरली छोड दे।।

एक हाथ में रंग गुलाबी,
एक हाथ पिचकारी है,
पहले रंग लगा ले म्हारे,
पाछे मारी बारी है,
तने मजो चखास्या मोको,
तने मजो चखास्या मोको,
आछो आयो रे,
मुरली छोड दे,
मुरली छोड दे कानुड़ा,
फागण मेलो आयो रे,
मुरली छोड दे।।

कहे ‘पवन’ के तू है सयाना,
मने कम ना समझिए तू,
मैं हूं जाट हरियाने वाला,
मेरे से ना उलझिए तू,
आज तलक कोई के आगे,
आज तलक कोई के आगे,
ना घबरायो रे,
मुरली छोड दे,
मुरली छोड दे कानुड़ा,
फागण मेलो आयो रे,
मुरली छोड दे।।

मुरली छोड़ दे सांवरिया,
फागण मेलो आयो रे,
मुरली छोड दे,
मेलो आयो मेलो आयो
मेलो आयो रे,
मुरली छोड दे।।

“मुरली छोड़ दे सांवरिया फागण मेलो आयो रे” भजन भक्तों को यह सिखाता है कि हर उत्सव, विशेषकर होली का, अपना आध्यात्मिक अर्थ होता है। श्याम बाबा का मुरली छोड़ना यह दर्शाता है कि वह अपने भक्तों के साथ रंगों और खुशियों में पूरी तरह से समर्पित हैं। यह भजन भक्तों को श्याम बाबा के पास जाने, उनके साथ खुशी मनाने और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने की प्रेरणा देता है। यह भजन फागण के मौसम के आनंद को श्याम बाबा के संग मनाने की अद्वितीय भावना को उजागर करता है। जय श्री श्याम!

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